सेवा सुधार में नई पहल: डीएआरपीजी ने ई-सेवाओं के ज़रिए नागरिकों और सरकार को जोड़ा

सेवा सुधार में नई पहल: डीएआरपीजी ने ई-सेवाओं के ज़रिए नागरिकों और सरकार को जोड़ा

प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) ने सेवा का अधिकार (आरटीएस) आयुक्तों की एक बैठक आयोजित कर सेवा वितरण में सुधार और सर्वोत्तम कार्यप्रणाली के आदान-प्रदान पर जोर दिया। इस पहल का उद्देश्य प्रौद्योगिकी के माध्यम से नागरिकों और सरकार के बीच की दूरी को कम करना और ई-सेवाओं के प्रभाव को बढ़ाना है।

राज्यों की सर्वश्रेष्ठ प्रथाओं की प्रस्तुति

इस बैठक में विभिन्न राज्यों ने अपनी अनूठी कार्यप्रणालियों को प्रस्तुत किया:

  • हरियाणा: आरटीएस आयोग द्वारा विकसित ऑटो-अपील प्रणाली, जो समय पर सेवा न मिलने पर स्वतः कार्रवाई सुनिश्चित करती है।
  • राजस्थान: "राज संपर्क 181" कॉल सेंटर, जो जनता की शिकायतों के समाधान के लिए एक प्रभावी मंच प्रदान करता है।
  • बिहार: प्रशासनिक सुधार मिशन सोसाइटी द्वारा ऑटोमेटेड अपील प्रणाली, जो सेवा वितरण को पारदर्शी और उत्तरदायी बनाती है।

राष्ट्रीय सहभागिता और भविष्य की दिशा

बैठक में महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़, उत्तराखंड, असम और मेघालय के आरटीएस आयुक्तों के साथ-साथ बिहार और राजस्थान के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। डीएआरपीजी सचिव ने इन पहलों की सराहना की और कहा कि 2024 में ई-सेवाओं की संख्या बढ़कर 18,500 हो गई है, जो कुल सेवाओं का 74% हिस्सा हैं। यह डिजिटल भारत के लक्ष्य को मजबूत करता है।

ई-सेवाओं का प्रभाव और विस्तार

डीएआरपीजी ने सेवा वितरण में तकनीकी नवाचार और डिजिटलीकरण पर जोर दिया है। इसका उद्देश्य नागरिकों को सुविधाजनक और तेज़ सेवाएं प्रदान करना है, जैसे शिकायत निवारण, समय पर अपील प्रक्रिया और कॉल सेंटर सेवाएं।

आगे की दिशा

बैठक में शामिल अधिकारी इस सहमति पर पहुंचे कि राष्ट्रीय स्तर पर सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाकर अन्य राज्यों में लागू किया जाएगा, जिससे सेवा वितरण प्रणाली और अधिक कुशल और पारदर्शी बनेगी। डीएआरपीजी की यह पहल नागरिकों और सरकार के बीच विश्वास और संवाद को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। डिजिटल युग में, ऐसी ई-सेवाएं भारत को प्रशासनिक सुधारों और नागरिक सुविधा के क्षेत्र में अग्रणी बना रही हैं।