- ‘ राम को देख जनक नंदिनी,बाग में खड़ी की खड़ी रह गई
- – पुष्प वाटिका में श्रीराम को देख सुध खो बैठीं जनक नंदिनी
- – पंडाल में गूंजा ‘राम देखे सिया को सिया राम को, चारो अँखिआ लड़ी की लड़ी रह गयी’
तहसील संवाददाता- नरसिंह यादव, बांसगांव ,गोरखपुर
श्री श्री आदर्श रामलीला समिति गंभीरपुर के तत्वाधान में रामलीला के तिसरे दिन फुलवारी प्रसंग का मंचन किया गया। प्रभु राम गुरु विश्वामित्र से आज्ञा लेकर भाई लक्ष्मण के साथ जनकपुर देखने निकलते हैं। जनकपुर की शोभा देकर राम हर्षित हो जाते हैं। रंग-बिरंगे पक्षी, रंग रंग के कमल खिले हैं। सदा सुख देने वाला शीतल मंद सुगंध पवन बह रहा है। सुंदर बाजार हैं, मणियों से बने हुए विचित्र छज्जे हैं मानो ब्रह्मा ने उन्हें अपने हाथों से बनाया है। वहीं जनकपुर के नर-नारि राम और लक्ष्मण की मनमोहक सूरत देखकर निहाल हो उठते हैं। राम लक्ष्मण फूल लेने बागीचे में जाते हैं, ठीक उसी समय सखियों सहित सीता भी माता गौरी की पूजा के लिए पहुंचती हैं।
पुष्प वाटिका में सीता और राम की दृष्टि मिलती है। श्री राम की मधुर मनोहर सूरत देखकर सीता देह की सुध बुध से रहित हो जाती हैं। सखियां गाती हैं ‘राम रघुराई की झरोखे झांकी की जैरी’।
वहीं सीताजी की शोभा देखकर श्रीराम ह्रदय में सराहना करते हैं, लेकिन मुख से वचन नहीं निकलते। राम कहते हैं कि ‘ हे लक्ष्मण बड़ा अचंभा है, सारा उपवन झंकार उठा। छा गई सरसता, कमलों में भ्रमरों का दल गुंजार उठा। रघुकुल कि यह धर्म नहीं जो देखे सुंदर नारी को, फिर जाने क्यों दांया अंग फड़क उठा।’
इसके बाद सीता गौरी पूजन के लिए पहुंचती हैं। जहां मां गौरी से मन ही मन भगवान श्रीराम को पति के रूप में पाने की कामना करती हैं। आकाशवाणी होती है कि सीता तुम्हारी हर मनोकामना पूरी होगी जिसके बाद श्रद्धालुओं की ताली गुंज उठी।
राम की धवन सिंह,लक्ष्मण की अर्पित सिंह, विश्वामित्र की भूमिका रजत सिंह गोलू ने निभाई।
चित्र परिचय – जनकपुर में पहली बार मिले प्रभु राम और माता सीता