नई दिल्ली में ‘स्वास्थ्य सेवा तक सार्वभौमिक पहुंच: डिजिटल समाधान’ पर राष्ट्रीय सम्मेलन का समापन सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज प्राप्त करने के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग को अनुकूलित करने वाले कई प्रमुख सुझावों के साथ हुआ। इसका आयोजन संकला फाउंडेशन द्वारा भारतीय राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी), नीति आयोग और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सहयोग से किया गया था। इसका उद्घाटन करते हुए नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी.के. पॉल ने कहा कि सामूहिक सोच से यह सुनिश्चित करने के लिए कार्रवाई की रूपरेखा तैयार करने में सहायता मिल सकती है कि भारत के लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हों। उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र में भी स्वास्थ्य क्षेत्र में सकारात्मक विकास हुआ है। डिजिटल प्रौद्योगिकी में भारत के नेतृत्व को वैश्विक स्तर पर स्वीकार किए जाने की ओर इशारा करते हुए डॉ. पॉल ने कहा कि भारत ने पिछले वर्ष जी20 स्वास्थ्य मंत्रिस्तरीय बैठक के दौरान विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के साथ डिजिटल स्वास्थ्य पर वैश्विक पहल (जीआईडीएच) शुरू की थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) प्रबंधित नेटवर्क के रूप में, डिजिटल स्वास्थ्य पर वैश्विक पहल (जीआईडीएच) का उद्देश्य वैश्विक डिजिटल स्वास्थ्य में हाल के और पिछले लाभों को समेकित और बढ़ाना है, साथ ही आपसी उत्तरदायित्व को मजबूत करना और डिजिटल स्वास्थ्य 2020-25 पर वैश्विक रणनीति को लागू करने के लिए एक वाहन के रूप में कार्य करना है। डॉ. पॉल ने प्रौद्योगिकी का उपयोग करने और उसे बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया, साथ ही गोपनीयता संरक्षण, साइबर अपराधों और धोखाधड़ी से सुरक्षा के माध्यम से मानवाधिकारों की रक्षा, डिजिटल अंतर को पाटना और उपयोगकर्ता के अनुकूल तकनीक को बढ़ावा देने के बारे में भी बातचीत की। उन्होंने कहा कि इससे जीवन की गुणवत्ता और खुशहाली बढ़ेगी। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव श्री अपूर्व चंद्रा ने मुख्य भाषण देते हुए घोषणा की कि भारत आने वाले दिनों में प्रत्येक व्यक्ति के लिए जीवन भर का स्वास्थ्य रिकॉर्ड बनाने की दिशा में काम कर रहा है। इसकी शुरुआत में मंत्रालय यूविन ऐप का शुभारंभ करेगा, जो देश में […]