भारत एनसीएक्स 2024 का भव्य शुभारंभ: साइबर सुरक्षा में भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बड़ा कदम

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नई दिल्ली, 18 नवंबर 2024
भारत की साइबर सुरक्षा क्षमता को नई ऊंचाइयों तक ले जाने के उद्देश्य से “भारत राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा अभ्यास (भारत एनसीएक्स 2024)” का आज भव्य उद्घाटन हुआ। यह ऐतिहासिक पहल राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय (एनएससीएस) द्वारा राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (आरआरयू) के सहयोग से आयोजित की जा रही है। 12 दिवसीय इस अभ्यास का उद्देश्य देश के साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों को नवीनतम तकनीकों, रणनीतिक निर्णयों और उभरते खतरों से निपटने के लिए सशक्त बनाना है।

उद्घाटन समारोह की मुख्य बातें
राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा समन्वयक, लेफ्टिनेंट जनरल एमयू नायर (सेवानिवृत्त) ने अपने प्रेरक भाषण में कहा,
“भारत एनसीएक्स 2024 हमारे साइबर रक्षकों को तकनीकी और रणनीतिक रूप से तैयार करता है। यह पहल केवल तकनीकी क्षमताओं को मजबूत करने तक सीमित नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर साइबर संकटों से निपटने के लिए नेतृत्व कौशल का भी विकास करती है।”

आरआरयू के कुलपति प्रो. (डॉ.) बिमल एन. पटेल ने शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार के महत्व पर जोर देते हुए कहा,
“यह अभ्यास एक ऐसा मंच है, जो भारत को साइबर सुरक्षा में वैश्विक नेतृत्व के लिए तैयार करेगा।”


भारत एनसीएक्स 2024 की मुख्य विशेषताएं:

  1. साइबर सुरक्षा प्रशिक्षण:
    आईटी और ओटी सिस्टम पर साइबर हमलों के खतरों से निपटने के लिए गहन प्रशिक्षण।
  2. रणनीतिक निर्णय क्षमता:
    राष्ट्रीय स्तर के साइबर संकट में नेतृत्व को तैयार करने पर विशेष ध्यान।
  3. सीआईएसओ कॉन्क्लेव:
    सरकारी, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के मुख्य सूचना सुरक्षा अधिकारियों के विचार-विमर्श और पैनल चर्चाएं।
  4. साइबर स्टार्टअप प्रदर्शनी:
    भारतीय स्टार्टअप के नवाचार, जो साइबर सुरक्षा के बुनियादी ढांचे को मजबूत करेंगे।
  5. सरकार-उद्योग सहयोग:
    सभी हितधारकों को एक मंच पर लाकर सामूहिक प्रयासों को बढ़ावा देना।

राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा के नए आयाम

18 से 29 नवंबर 2024 तक चलने वाले इस अभ्यास का समापन व्यापक चर्चा और अनुभव साझा करने के साथ होगा। इस पहल के तहत साइबर सुरक्षा में सर्वोत्तम विधियों को आत्मसात करने और राष्ट्रीय सुरक्षा को नई मजबूती देने का प्रयास है।

भारत एनसीएक्स 2024 न केवल साइबर खतरों से निपटने की क्षमता को बढ़ाएगा, बल्कि यह दिखाएगा कि कैसे भारत आत्मनिर्भर साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना सकता है।