कोडाइकनाल सौर वेधशाला ने सूर्य के अध्ययन के 125 वर्ष पूरे होने पर उत्सव मनाया

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के एक स्वायत्त संस्थान, भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (आईआईए) ने 1 अप्रैल 2024 को प्रतिष्ठित कोडाइकनाल सौर वेधशाला (केएसओ) की 125वीं वर्षगांठ मनाई, जिससे कोडाइकनाल सौर वेधशाला (केएसओ) के इतिहास का स्मरण किया जा सके। इसके वैज्ञानिकों का अभिनंदन करने और इसकी विरासत का सम्मान करना भारत में खगोल विज्ञान के लिए एक प्रमुख और बड़ी उपलब्धि […]

“विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, लीथियम-आयन बैटरियों के पुनर्चक्रण के लिए रेमाइन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड का समर्थन किया”

प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टीडीबी) 15 करोड़ रुपये की कुल परियोजना लागत में से  7.5 करोड़ रूपये की वित्तीय सहायता प्रदान करेगा प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टीडीबी) ने विगत 27 मार्च 2024 को नई दिल्ली में जिला उधम सिंह नगर,  उत्तराखंड के सितारगंज में एसआईआईडीसीयूएल औद्योगिक क्षेत्र के एल्डेको में “स्वदेशी प्रौद्योगिकी का उपयोग करके लीथियम बैटरी […]

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने नीली अर्थव्यवस्था (ब्लू इकोनॉमी) पर अंतर-मंत्रालयी संयुक्त कार्यशाला का आयोजन किया

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने आज (22 मार्च, 2024) नई दिल्ली में ब्लू इकोनॉमी पाथवेज स्टडी रिपोर्ट की स्थिति पर एक परामर्श कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला में विश्व बैंक, सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, नीति आयोग, पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय, […]

सी.एस.आई.आर. – राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला ने मनाया एक दिवसीय हिंदी सम्मेलन

सी.एस.आई.आर. – राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला के पर्यावरण विज्ञान एवं जैवचिकित्सा मापिकी प्रभाग द्वारा आज एक दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसका विषय था “पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य : वर्तमान चुनौतियाँ “। उद्घाटन सत्र में प्रोफेसर वेणु गोपाल आचंटा, निदेशक, सीएसआईआर-राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि प्रयोगशाला में पर्यावरण विज्ञान एवं जैवचिकित्सा मापिकी से संबन्धित अंशांकन व परीक्षण कार्य शीघ्र ही शुरू होगी। पर्यावरण विज्ञान एवं जैवचिकित्सा मापिकी प्रभाग के  विभागाध्यक्ष  डॉ. सच्चिदानंद सिंह ने अपने उद्बोधन में इस प्रभाग के गठन व राष्ट्रीय/अंतरराष्ट्रीय महत्त्व  की ऐतिहासिक उपलब्धियों की जानकारियां दी। डॉ. शंकर गोपाल अग्रवाल, मुख्य वैज्ञानिक, एनपीएल  व सचिव, मेट्रोलॉजी सोसाइटी ऑफ इण्डिया ने एमएसआई के बारे में बताया। डॉ. अखिलेश गुप्ता,वरिष्ठ सलाहकार, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार ने अपने व्याख्यान में प्रदुषण, पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के अंतर्संबंधों पर विस्तृत ज्ञानवर्द्धक  जानकारी दी। डॉ. सुमित कुमार मिश्रा, राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला में प्रधान वैज्ञानिक और  इस सम्मेलन के  संयोजक ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। दिन भर चले इस महत्वपूर्ण सम्मेलन में विभिन्न विषयों पर कई तकनीकी सत्रों का भी आयोजन किया गया था। इसमें प्रोफेसर यू सी कुलश्रेष्ठ, पर्यावरण विज्ञान संस्थान, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, डॉ मयंक कुमार, मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी दिल्ली, श्री अबगा जी, राष्ट्रीय संयोजक, नीड मिशन, डॉ सुमित शर्मा, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम, प्रोफेसर (डॉ) अनंत मोहन, प्रोफेसर (डॉ) संजय कुमार राय, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), प्रोफेसर (डॉ) अनिल अरोड़ा, गंगाराम अस्पताल,  प्रोफेसर चिराश्री घोष, पर्यावरण अध्ययन विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय, डॉ जे आर भट्ट, राष्ट्रीय उच्च अध्ययन संस्थान, बंगलुरु, डॉ जे एस शर्मा, इंडियन एसोसिएशन ऑफ एयर पॉल्यूशन कंट्रोल, श्री सौरभ मिश्र, वरिष्ठ अधिवक्ता, सर्वोच्च न्यायालय आदि संस्थानों के विषय-विशेषज्ञों सहित अन्य  क्षेत्रों  के  गणमान्य  चिकित्सक व प्रबुद्धजनों ने  अपने अनुभवों को साझा किया तथा मानव कल्याण के लिए विषयानुकूल समाधान प्रस्तुत किया। सम्मेलन में प्रतिभागी शोधार्थियों द्वारा ४० से ज्यादा पोस्टर्स को प्रदर्शित किया गया और उत्कृष्ट पोस्टरों को सम्मानित भी किया गया।

1.22 करोड़ रुपए की मंजूरी के साथ क्विकसैंड डिज़ाइन स्टूडियो के लिए इनोवेशन परियोजना शुरू

फास्ट-मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी) उद्योग में नवाचार को आगे बढ़ाने के लिए एक रणनीतिक कदम के रूप में प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टीडीबी) ने मैसर्स क्विकसैंड डिजाइन स्टूडियो प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली के साथ एक समझौता किया है। प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड  ने ‘भारत-इज़राइल औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास और तकनीकी नवाचार कोष (आई4एफ)’  के अंतर्गत “डिजिटल फाइनेंशियल सॉल्यूशंस फॉर लास्ट माइल […]

जर्मनी के अनुसंधान केंद्र से भारत को बड़ा प्रोत्साहन

अनुसंधानकर्ताओं के लिए बड़ा प्रोत्साहन : भारत बेहतर सटीकता के लिए जर्मनी के अनुसंधान केंद्र में उन्नत सिंक्रोटोन सुविधाओं पर विद्यमान साझीदारी का विस्तार कर सकता है भारतीय वैज्ञानिकों ने एक द्विपक्षीय संचालन समिति के दौरान भारत उन्नत सिंक्रोटोन सुविधाओं पर विद्यमान साझीदारी के विस्तार की संभावनाओं पर विचार किया है जो सबसे छोटे स्तरों पर अलग अलग वस्तुओं की माप कर सकते हैं, संरचना, ऊर्जा की स्थितियों और उन्नत सामग्रियों के कार्यों को रिकॉर्ड कर सकते हैं तथा ऊर्जा एवं पर्यावरण के प्रति सुसंगत मूल – स्थान प्रतिक्रिया के स्नैपशौट का अध्ययन कर सकते हैं। जर्मनी के एक विख्यात अनुसंधान केंद्र ड्यूश एलेक्ट्रोनेन – सिंक्रोटोन ( डीईएसवाई ) से एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने 12 – 14 मार्च, 2024 को बंगलुरु में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्तशासी संस्थान जवाहर लाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च (जेएनसीएएसआर) का दौरा किया और सिंक्रोटोन एक्स-रे प्रयोगों पर भारतीय वैज्ञानिकों तथा डीईएसवाई के बीच वर्तमान में जारी सहयोग की प्रगति पर विचार विमर्श केया। उन्होंने पेट्रा iv तथा फ्री इलेक्ट्रोन लेजर में प्रयोगों में साझीदारी करने की संभावना पर भी चर्चा की जो अधिक सटीकता के साथ एक उन्नत अनुसंधान बुनियादी ढांचा होगा। इस सहयोगात्मक प्रयास पर 2011 में भारत सरकार के तत्कालीन वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर सी एन आर द्वारा शुरु किए गए भारत-जर्मन सहयोग का विस्तार करते हुए नैनो और उन्नत सामग्री विज्ञान में भारत और डीईएसवाई के बीय कार्यनीतिक साझीदारी के विस्तार के रूप में चर्चा की गई थी। विद्यमान साझीदारी ने तब से 60 संस्थानों के 1000 से अधिक भारतीय शोधकर्ताओं को उन्नत सामग्री एवं नैनो विज्ञान में अपने शोध के लिए डीईएसवाई में सिंक्रोटोन विकिरण स्त्रोत पेट्रा iii का उपयोग करने में सक्षम बनाया है। इस सहयोग का परिणाम 7 के औसत प्रभाव कारक के साथ 340 वैज्ञानिक प्रकाशनों के रूप में सामने आया है जिसमें नोवेल क्वांटम मैटेरियल्स, ऊर्जा एवं स्वच्छ वातावरण के लिए उन्नत मैटेरियल्स और सेमीकंडक्टर जैसे विषय शामिल हैं। एनसीएएसआर में उपयोगकर्ता कार्यशाला लोकसंपर्क कार्यक्रम के पहले दिन आयोजित एक द्विपक्षीय संचालन समिति के दौरान पेट्रा iii पर वर्तमान सहयोग को विस्तारित करने तथा पेट्रा 4 एवं फ्री इलेक्ट्रोन लेजर में प्रयोगों में साझीदारी करने की संभावना पर भी चर्चा की जो अधिक सटीकता और बीमलाइन की चमक के साथ एक उन्नत अनुसंधान बुनियादी ढांचा होगा। पेट्रा iv सबसे छोटे स्तरों पर अलग अलग वस्तुओं की माप करने, संरचना, ऊर्जा की स्थितियों और उन्नत सामग्रियों के कार्यों को रिकॉर्ड करने तथा ऊर्जा एवं पर्यावरण के प्रति सुसंगत मूल – स्थान प्रतिक्रिया के स्नैपशौट का अध्ययन करने में सक्षम बनाएंगे।   इस वैज्ञानिक कार्यशाला, जिसका आयोजन डीईएसवाई के दौरे के दौरान किया गया था, में भारतीय विश्वविद्यालयों, अनुसंधान संस्थानों तथा टाटा स्टील जैसे उद्योग के विशेषज्ञों जैसे लगभग 100 सहभागियों ने हिस्सा लिया। कार्यशाला में नए शोध परिणामों पर रिपोर्ट की गई तथा डीईएसवाई एवं जर्मनी के साथ भविष्य के वैज्ञानिक अवसरों पर चर्चा की। यह सहयोग दोनों देशों की रणनीतिक साझीदारी के अनुरुप है, जो इस वर्ष भारत-जर्मनी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सहयोग की 50वीं वर्षगांठ मना रहे हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने ‘विज्ञान का दशक’ संकलन जारी किया

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज प्रधानमन्त्री  नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ‘विज्ञान का दशक’ संकलन जारी किया केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि , “वैज्ञानिक समुदाय के आत्मसम्मान और सशक्तिकरण के 3 स्तंभों पर आधारित विज्ञान के एक दशक, प्रौद्योगिकी के जीवन का एक तरीका बनने और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की […]

आत्मनिर्भर भारत: विज्ञान-प्रौद्योगिकी का दशक

‘‘ आत्मनिर्भर भारत के लिए विज्ञान – प्रौद्योगिकी पैनोरमा का एक दशक ‘‘ – पिछले दशक में प्रमुख प्रौद्योगिकीय उन्नतियों को दर्शाते हुए एक रिपोर्ट जारी की गई केंद्रीय विज्ञान  एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री ( स्वतंत्र प्रभार ), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन, परमाणु ऊर्जा एवं अंतरिक्ष विभाग राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने 14मार्च, 2024 को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित एक समारोह के दौरान ‘‘ आत्मनिर्भर भारत के लिए विज्ञान – प्रौद्योगिकी पैनोरमा का एक दशक ‘‘ रिपोर्ट का विमोचन किया। प्रौद्योगिकी पैनोरमा रिपोर्ट में भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों द्वारा की गई प्रमुख प्रौद्योगिकीय उन्नतियों की झलक को दर्शाया गया है। यह रिपोर्ट भारत सरकार के 22 मंत्रालयों, विभागों तथा एजेन्सियों के योगदान के साथ फाउंडेशन ऑफ एडवांसिंग साईंस एंड टेक्नोलॉजी ( फास्ट ) इंडिया के सहयोग से प्रो. अजय कुमार सूद ( पीएसए ) के नेतृत्व में भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय ( ओपीएसए ) द्वारा तैयार की गई है। ‘‘ विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में पिछले 10 वर्षोंमें की गई प्रगति सभी के समक्ष है। पिछले दशक के दौरान किया गया कार्य अगले 10 वर्षों को भारत के टेकेड  ( प्रौद्योगिकी का दशक ) बनने के विजन को साकार करने में सहायता कर रहा है ‘‘ प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी लांच समारोह में सचिव ( पृथ्वी विज्ञान ) डॉ. एम रविचंद्रन, सचिव ( जैव प्रौद्योगिकी ) डॉ. राजेश गोखले, विभिन्न मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों, पत्र सूचना कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों, मीडिया के प्रतिनिधियों, शिक्षा क्षेत्र तथा उद्योग जगत के आमंत्रित अतिथियों और पीएसए तथा फास्ट के कार्यालय के सहयोगियों ने भाग लिया। पत्र सूचना कार्यालय ( पीआईअी ) के एडीजी श्री धीरज सिंह ने सभी गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया और ‘‘ प्रौद्योगिकी पैनोरमा ‘‘  रिपोर्ट  के कुछ संदर्भों को उद्धृत करने के माध्यम से पिछले दशक में की गई भारत की प्रौद्योगिकीय उन्नति यात्रा पर कुछ अंतर्दृष्टि साझा की। पीएसए प्रो. सूद ने अपने उद्घाटन भाषण में जोर देते हुए कहा कि, ‘‘ विज्ञान, प्रौद्योगिकी तथा नवोन्मेषण में उन्नतियां प्रगति के लिए शक्तिशाली प्रेरक हैं और ये अर्थव्यवस्थाओं को आकार देती हैं, जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाती हैं तथा राष्ट्रों को एक उज्ज्वल भविष्य की ओर प्रेरित करती हैं। ‘‘ उन्होंने रिपोर्ट की मुख्य बातें भी प्रस्तुत कीं और उल्लेख किया कि इस रिपोर्ट में  ( ए ) प्रणालीगत क्षमता निर्माण, ( बी ) भविष्य की तैयारियों के लिए अनुसंधान की सीमाओं को आगे बढ़ाने ( सी ) राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के क्षेत्रों में अनुसंधान एवं विकास को सक्षम बनाने तथा ( डी ) वैज्ञानिक सुधार के माध्यम से नागरिक प्रभाव सुनिश्चित करने की दृष्टि के जरिये भारत सरकार के प्रमुख मिशनों तथा पहलों को भी दर्शाया गया है। अपनी प्रस्तुति में, प्रो. सूद ने ऊर्जा, अन्वेषण, सार्वजनिक सेवा, कृषि, पशुधन तथा जैव प्रौद्येगिकी और स्वास्थ्य सहित विभिन्न सेक्टरों में प्रौद्योगिकीय उन्नतियों के संबंध में प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डाला। फास्ट के सह-संस्थापक श्री वरुण अग्रवाल ने कहा कि जहां समान प्रकृति की रिपोर्ट आम तौर पर कागजात, पैटेंट आदि के एसएंडटी मेट्रिक्स पर गौर करती हैं, इस रिपोर्ट का अनूठापन भारत के सामाजिक एवं आर्थिक लक्ष्यों को आगे बढ़ाने पर विज्ञान के प्रभाव को देखने में निहित है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि इस रिपोर्ट में जो कुछ भी दर्ज किया गया है, वह पिछले दशक में भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी इको सिस्टम द्वारा अर्जित किए गए प्रभाव की वास्तविक मात्रा और गहराई के संबंध में बहुत ही नगण्य हिस्सा है। उन्होंने यह आकांक्षा भी व्यक्त की कि इन उपलब्धियों का आने वाले वर्षों में बहु गुणक प्रभाव पडेगा और भारत का वैश्विक स्तर पर एक शीर्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी देश बनना तय है। मुख्य अतिथि मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने अपना विशिष्ट संबोधन करते हुए रेखांकित किया कि भारतीय विज्ञान एवं वैज्ञानिकों में सम्मान की भावना बढ़ रही है और भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी इको सिस्टम देश को दुनिया में एक अग्रिम पंक्ति का देश बनाने के लिए पूरी तरह तैयार है। डॉ. सिंह ने भारत के लिए विकास पथ की नींव रखने में डॉ. विक्रम साराभाई, प्रो. सीवी रमन, डॉ. होमी भाभा और डॉ. एस.एस. भटनागर जैसे अग्रणी भारतीय विज्ञान नेताओं द्वारा किए गए अपार योगदान को भी याद किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हमारी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी प्रगति न केवल हमारी राष्ट्रीय क्षमताओं को बढ़ाती है बल्कि वैश्विक मानक भी स्थापित करती है। डॉ. सिंह ने मिशन कोविड सुरक्षा और एरोमा मिशन जैसे कुछ प्रमुख राष्ट्रीय मिशनों की सफलता और प्रभाव के बारे में विस्तार से बात की और ऐसे कई मिशनों की सफलता के लिए उद्योग और निजी भागीदारी के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने सरकार-उद्योग साझेदारी के सफल उदाहरण के रूप में कोविड महामारी के दौरान डीबीटी और भारत बायोटेक साझेदारी का किस्सा भी पेश किया।   डॉ. जितेंद्र सिंह लॉन्च कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में अपना संबोधन करते हुए डॉ. सिंह ने अपने विचार साझा किए कि कैसे भारत सरकार के विभिन्न प्रौद्योगिकी मिशन और पहल किसानों, ग्रामीण और वंचित समुदायों के जीवन और आजीविका को बढ़ाने की प्रतिबद्धता के साथ तैयार की गई हैं। 2015 के लाल किले भाषण में प्रधानमंत्री के प्रसिद्ध ‘ स्टार्टअप इंडिया स्टैंडअप इंडिया ‘ के स्पष्ट आह्वान को याद करते हुए, डॉ. सिंह ने विभिन्न क्षेत्र में कई यूनिकॉर्न के उद्भव के साथ 350 स्टार्टअप से एक लाख से अधिक तक – भारत के स्टार्टअप इको सिस्टम की उल्लेखनीय वृद्धि को रेखांकित किया।  डॉ. सिंह ने डीप ओशन मिशन, ग्रीन हाइड्रोजन मिशन, क्वांटम मिशन, सेमीकंडक्टर मिशन और बायोमैन्युफैक्चरिंग, ड्रोन डीरेग्यूलेशन आदि की नीतियों जैसे विभिन्न मिशनों की मुख्य विशेषताओं के बारे में भी बात की। उन्होंने विभिन्न वैश्विक प्रयासों में भारत द्वारा निभाई जा रही नेतृत्वकारी भूमिका के बारे में बताया, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन और वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन शामिल हैं। डॉ. जितेंद्र सिंह ने अपने समापन वक्तव्य में कहा, “विज्ञान और प्रौद्योगिकी एक महान लोकतंत्र तुल्यकारक हैं।” रिपोर्ट को क्यूआर या ऊपर दिए गए लिंक का उपयोग करके देखा जा सकता है वैज्ञानिक सचिव डॉ. परविंदर मैनी ने अपनी टिप्पणी में कहा कि यह रिपोर्ट न केवल हमारे देश की उपलब्धियों पर प्रकाश डालती है, बल्कि 2047 तक विकसित-भारत के विकास पथ को आकार देने में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी जोर देती है। उन्होंने प्रधानमंत्री को उनके दूरदर्शी नेतृत्व, अमूल्य मार्गदर्शन और रिपोर्ट के लिए एक प्रेरक संदेश लिखने के लिए धन्यवाद प्रस्ताव के साथ कार्यक्रम का समापन किया।  उन्होंने कार्यक्रम में शामिल होने और रिपोर्ट का अनावरण करने के लिए डॉ. जितेंद्र सिंह, नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी.के. सारस्वत को रिपोर्ट की शुरुआत से लेकर पूरा होने तक उनके निरंतर समर्थन और मार्गदर्शन के लिए, पीएसए प्रो. अजय सूद को उनके नेतृत्व, मार्गदर्शन और निरंतर प्रोत्साहन के लिए,  भारत सरकार के 22 मंत्रालयों, विभागों और एजेंसियों के सचिवों और अधिकारियों को, जिन्होंने उनकी रिपोर्ट में योगदान दिया है, ज्ञान-समृद्ध ” प्रौद्योगिकी पैनोरमा ” को संकलित और एकत्रित करने के लिए फास्ट इंडिया टीम और रिपोर्ट के समन्वयन के साथ-साथ लॉन्च समारोह के सफल संचालन के लिए ओपीएसए की टीम […]

नई खोजों का व्यावसायीकरण बढ़ाने के उद्देश्य से प्रौद्योगिकी हस्तांतरण केन्द्रों पर किया गया अध्ययन जारी

‘‘भारत में नवाचारों का व्यवसायीकरण बढ़ाने के लिये प्रौद्योगिकी हस्तांतरण केन्द्र’’ शीर्षक से एक अध्ययन 11 मार्च 2024 को जारी किया गया। यह अध्ययन पंजाब यूनिवर्सिटी के डीएसटी – नीति अनुसंधान केन्द्र द्वारा किया गया। विज्ञान और प्रौद्योगिकी (डीएसटी) विभाग में वरिष्ठ सलाहकार डा. अखिलेश गुप्ता ने यह रिपोर्ट जारी की जिसका उद्देश्य उनकी संरचना […]

डॉ. जितेंद्र सिंह ने ‘कॉमन फ़ेलोशिप पोर्टल’ लॉन्च किया

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने ‘कॉमन फ़ेलोशिप पोर्टल’ लॉन्च किया – यह जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा आवेदकों और विभिन्न फेलोशिप योजनाओं के बीच एक एकल इंटरफेस है डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा “प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने विकसित भारत के जागृत वैज्ञानिक के लिए “विज्ञान कार्य करने में सुगमता (ईज ऑफ डूइंग साइंस)” की […]