विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारत-जर्मन सहयोग को आगे बढ़ाने हेतु एक महत्वपूर्ण कदम में, केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह और जर्मन संघीय मंत्री सुश्री बेटिना स्टार्क-वात्ज़िंगर ने पारस्परिक लाभांश हेतु प्रतिबद्धता दर्शाते हुए उन्नत सामग्रियों पर अनुसंधान तथा विकास में सहयोग के इरादे से एक संयुक्त घोषणा का आदान-प्रदान किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में आयोजित आदान-प्रदान, अत्याधुनिक अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए दोनों देशों की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है जो नवाचार को बढ़ावा देगा और वैश्विक चुनौतियों का समाधान करेगा। डॉ. जितेंद्र सिंह और सुश्री स्टार्क-वात्ज़िंगर के बीच द्विपक्षीय वार्ता, जो दोनो राष्ट्राध्यक्षों के मध्य पूर्ण बैठक से पहले हुई, भारत-जर्मन विज्ञान और प्रौद्योगिकी सहयोग के स्वर्ण जयंती समारोह का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थी।
बैठक के दौरान, डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत-जर्मन साझेदारी को मजबूत करने में लगातार समर्थन के लिए सुश्री स्टार्क-वात्ज़िंगर का आभार व्यक्त किया। उन्होंने हाल की सहयोगात्मक सफलताओं पर प्रकाश डालते हुए, “अपशिष्ट से धन” और सतत पैकेजिंग जैसे क्षेत्रों में 2+2 संयुक्त परियोजनाओं के शुभारंभ के साथ-साथ स्थिरता हेतु एआई में प्रस्तावों के लिए एक नया आह्वान भी किया।मंत्री ने कहा, इरादों के इन संयुक्त घोषणा के साथ पहलों को भारत के प्रधान मंत्री तथा जर्मन चाँसलर के नेतृत्व में आगामी भारत-जर्मन अंतर-सरकारी परामर्श में प्रमुख परिणामों के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने संयुक्त अनुसंधान को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने, 50 से अधिक परियोजनाओं का समर्थन करने और दोनों देशों के युवा शोधकर्ताओं को जोड़ने के लिए इंडो-जर्मन विज्ञान और प्रौद्योगिकी केंद्र (आईजीएसटीसी) की भी सराहना की। चर्चाओं में आईआईएसईआर त्रिवेन्द्रम और वुर्जबर्ग विश्वविद्यालय के बीच अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान प्रशिक्षण समूह (आईआरटीजी) की हालिया स्थापना शामिल थी, जो सुपरमॉलेक्यूलर मैट्रिसेस में फोटोल्यूमिनेसेंस पर ध्यान केंद्रित करता है, जो दोनों देशों के बीच उन्नत, सहयोगात्मक अनुसंधान को बढ़ावा देने का एक प्रमाण है।इसके अतिरिक्त, डॉ. जितेंद्र सिंह ने डार्मस्टेड में एंटीप्रोटॉन और आयन रिसर्च (एफएआईआर) की सुविधा जैसी दीर्घकालिक अंतरराष्ट्रीय परियोजनाओं के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की, जहाँ भारतीय वैज्ञानिक उन्नत सामग्री और कण भौतिकी अनुसंधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। द्विपक्षीय चर्चाओं में भारतीय अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (एएनआरएफ) और राष्ट्रीय क्वाँटम मिशन जैसी राष्ट्रीय पहलों पर भी प्रकाश डाला गया, दोनों का उद्देश्य विद्युत गतिशीलता, सतत कृषि और उन्नत सामग्रियों सहित प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देना है।दोनों मंत्रियों ने हाईड्रोजन ऊर्जा में संभावित सहयोग पर भी चर्चा की, जिसमें डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत का राष्ट्रीय हाईड्रोजन मिशन अनुसंधान एवं विकास, उत्पादन तथा सतत ऊर्जा भंडारण में आशाजनक संयुक्त अवसर प्रदान कर सकता है।
जैसे ही बैठक समाप्त हुई, डॉ. जितेंद्र सिंह और सुश्री स्टार्क-वात्ज़िंगर ने जैव प्रौद्योगिकी, पर्यावरण प्रौद्योगिकी और स्वास्थ्य सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में नवाचार और अनुसंधान प्रयासों को संरेखित करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की। दोनों नेताओं ने शैक्षणिक आदान-प्रदान और प्रतिभा विकास को बढ़ावा देने के महत्व पर जोर दिया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारत-जर्मन साझेदारी एक सतत और लचीले वैश्विक भविष्य के लिए अभिनव समाधान जारी रखे।