केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज यहां कहा कि आने वाले वर्षों में महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्टअप भारत को वैश्विक पटल पर स्थापित करेंगे।
मंत्री महोदय आज विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की पहल (डीएसटी-निधि) के 8 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आईआईटी दिल्ली में एक नई डीएसटी-निधि वेबसाइट के साथ-साथ भारत भर में 8 नए निधि आई-टीबीआई का वर्चुअल माध्यम से उद्घाटन करने के बाद बोल रहे थे।
देश भर में विभिन्न स्थानों पर 8 नए निधि समावेशी टीबीआई (आई-टीबीआई) स्थापित किए गए हैं अर्थात 1. राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय अजमेर, 2. गुरु अंगद देव पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय लुधियाना, पंजाब 3. बीएलडीई बीजापुर, कर्नाटक 4. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय 5. प्रणवीर सिंह प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर, उत्तर प्रदेश 6. गुरु घासीदास विश्वविद्यालय (केंद्रीय विश्वविद्यालय) बिलासपुर, 7. जीएसएसएस महिला इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी संस्थान मैसूर, कर्नाटक 8. पेट्रोलियम और ऊर्जा अध्ययन विश्वविद्यालय (यूपीईएस) देहरादून,)
आई-टीबीआई (समावेशी टीबीआई) तीन वर्ष की अवधि की पहल है, जो डीएसटी द्वारा उन शैक्षणिक संस्थानों के लिए समर्थित है, जो छात्रों, संकायों, उद्यमियों और आसपास के समुदायों के बीच नवाचार और उद्यमशीलता संस्कृति को बढ़ावा देने की संभावना रखते हैं।
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने डीप टेक स्टार्टअप के लिए डीएसटी-जीडीसी आईआईटी मद्रास इनक्यूबेट कार्यक्रम का शुभारंभ किया। जीडीसी को आईआईटी मद्रास के तीन प्रतिष्ठित पूर्व छात्रों डॉ. गुरुराज देशपांडे, श्रीमती जयश्री देशपांडे और श्री ‘क्रिस’ गोपालकृष्णन के अनुदान से वित्त पोषित किया गया है। ये पहल मुख्य रूप से टियर II और टियर III शहरों के इनोवेटर्स को हमारा सहयोग बढ़ाने और विकास के महत्वपूर्ण चरणों में स्टार्ट-अप को लक्षित सहायता प्रदान करने के लिए डिज़ाइन की गई हैं।
उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने मोदी के स्टार्टअप इंडिया स्टैंड अप इंडिया पहल के लिए प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन को याद किया, जिसके तहत 2016 में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने निधि की शुरुआत की थी। इसकी अनिवार्यता पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, “निधि पहल भारत के नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र के भीतर पहचानी गई एक महत्वपूर्ण आवश्यकता के उत्तर में शुरू हुई थी, ताकि हमारे शैक्षणिक संस्थानों और उद्योग के बीच की खाई को पाटा जा सके। चूंकि संस्थान विश्व स्तरीय शोध कर रहे थे, इसलिए इन विचारों को बाजार के लिए तैयार उत्पादों में बदलने की आवश्यकता थी। उन्होंने सफलता के लिए स्टार्टअप्स के शुरुआती उद्योग जुड़ाव पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि एआई, क्वांटम कंप्यूटिंग और नई ऊर्जा के साथ तकनीकी प्रगति में आज के भारत को भविष्य के भारत में बदलने की नवोनमेषी क्षमता है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ने 2016 में इसकी स्थापना के बाद से इसकी यात्रा का विवरण दिया और कहा कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग का निधि कार्यक्रम स्टार्टअप इकोसिस्टम को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और बड़ी संख्या में प्रौद्योगिकी स्टार्टअप को पोषित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिनमें से एक बड़ा हिस्सा महिला उद्यमियों द्वारा संचालित है।
डॉ. सिंह ने विवरण देते हुए कहा कि निधि एंटरप्रेन्योर-इन-रेजिडेंस (ईआईआर) और निधि प्रयास कार्यक्रमों जैसी पहलों के माध्यम यह कार्यक्रम एक व्यापक चरण-वार सहायता संरचना प्रदान करता है जो शैक्षणिक वातावरण की अनूठी गतिशीलता के अनुरूप है।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने बताया कि इन उपक्रमों से अनेक नौकरियां सृजित हुई हैं और नवाचार की समृद्ध संस्कृति को बढ़ावा मिला है, जिसके परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में बौद्धिक सम्पदा का सृजन हुआ है।
भारत के विकास और आत्मनिर्भरता पर कार्यक्रम के प्रभाव को दर्शाते हुए प्राप्त की गई पर्याप्त आर्थिक सफलता पर प्रकाश डालते हुए डॉ. सिंह ने कहा, “निधि के 8 वर्ष पूरे होने का जश्न महिला उद्यमियों को सशक्त बनाने और वित्तीय समावेशन का विस्तार करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।”
वर्ष 2047 तक विकसित भारत बनने के लिए भारत के रोडमैप पर जोर देते हुए डॉ. सिंह ने कहा कि इस यात्रा में स्टार्टअप्स की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय स्टार्टअप्स के लिए वैश्विक नवाचार की दौड़ में अग्रणी रहने का विजन रखा है, जिसमें महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्टअप्स सभी क्षेत्रों में सबसे आगे होंगे। उन्होंने प्रधानमंत्री के इस कथन को भी दोहराया कि जो स्टार्टअप भारत में सफल होंगे, वे अन्यत्र भी सफल होंगे।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि निधि यह सुनिश्चित करती है कि बौद्धिक गतिविधियां प्रयोगशालाओं तक ही सीमित न रहें, बल्कि बाजार तक पहुंचें और प्रभावशाली बदलाव लाएं।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने सभी नवप्रवर्तकों को एक साथ मिलकर काम करने और 2047 तक विकसित भारत के विजन को साकार करने के लिए ठोस योगदान देने का निर्देश दिया।