गोरखपुर के माउंटेनियर ने बनाया अनोखा रिकॉर्ड, एवरेस्ट बेस कैम्प पर साइकिल से चढ़ाई कर फहराया तिरंगा

अंतरराष्ट्रीय समाचार उत्तर प्रदेश गोरखपुर

यूपी के गोरखपुर के माउंटेनियर और साइकिलिस्ट उमा सिंह ने अनोखा रिकार्ड बनाया है. उन्होंने भारत के अमृत महोत्सपव के तहत आजादी की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर कीर्तिमान स्थांपित किया है. माउंट एवरेस्ट बेस कैम्प पर साइकिल से चढ़ाई कर उन्हों ने तिरंगा फहराया है. इसके साथ ही उन्होंवने 12 से 15 अगस्तv के बीच चार दिन में दुनिया की चार गगनचुंबी चोटियों पर साइकिल से पहुंचने वाले पहले भारतीय बनने का गौरव हासिल किया हैं. माउंट एवरेस्टv बेस कैंप पर साइकिल से पहुंचने वाले वे दूसरे और माउंट काला पत्थनर, माउंट गोक्यो1-री और माउंट रेंजो-ला पर साइकिल से पहुंचने वाले पहले भारतीय बन गए हैं.

बनाया ये रिकॉर्ड

गोरखपुर के माउंटेनियर और साइकिल‍िस्टट उमा सिंह ने साइकिल से ये यात्रा 2 अगस्तक को शुरू की. 12 अगस्त  को वे माउंट एवरेस्टे बेस कैंप 17,560 फीट की ऊंचाई पर साइकिल से पहुंचे. इसके बाद उन्होंोने वहां पर तिरंगा फहराया. इसके बाद वे 13 अगस्त  को माउंट काला पत्थेर (18,519 फीट) की ऊंचाई पर साइकिल से चढ़ाई कर पहुंचे और तिरंगा झंडा फहराया. वे माउंट काला पत्थसर पर साइकिल से पहुंचने वाले पहले भारतीय हैं. 15 अगस्तं सुबह 7 बजे वे माउंट गोक्योय-री (17,575 फीट) साइकिल से पहुंचे. इस पर्वत पर भी साइकिल से पहुंचने वाले वे पहले भारतीय हैं. 15 अगस्तक की दोपहर दो बजे वे माउंट रेंजो-ला (17,560 फीट) के टॉप पर साइकिल से पहुंच गए. इस पर्वत पर भी साइकिल से पहुंचने वाले वे पहले भारतीय हैं.

अगला लक्ष्य क्या है

गोरखपुर के खजनी क्षेत्र और बांसगांव ब्लॉ क के गोरसैरा गांव के रहने वाले किसान बैजनाथ सिंह और कालिंदी सिंह के मंझले बेटे उमा सिंह के सपने काफी बड़े हैं. इन्हीं सपनों के बूते वे माउंट एवरेस्ट  बेस कैंप तक साइकिल से चढ़ाई कर पहुंच गए हैं. उनका अगला लक्ष्य. दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट् (29,031.7 फीट) फतह करना है. इसके लिए उन्हेंा नेपाल सरकार से परमीशन लेनी होगी. इसके साथ ही उन्हेंब भारत सरकार, यूपी सरकार और अन्यर लोगों से आर्थिक मदद की दरकार भी है. गोरखपुर के कोलकाता साइकिल स्टोार ने साइकिल भेंट कर उनकी मदद की. इंडियन डेवलपमेंट फाउंडेशन बाल गुरुकुल शिक्षा अभियान और उत्तसर प्रदेश ब्रिज कॉरपोरेशन की ओर से आर्थिक मदद मिली है.

ये रिकॉर्ड भी बना चुके हैं

माउंटेनियर उमा सिंह के नाम कई उपलब्धियां हैं. पिछले माह जुलाई में गोरखपुर के माउंटेनियर और साइकिलिस्टप उमा सिंह ने कश्मींर से कन्यािकुमारी तक का सफर बुलेट से 63 घंटे 35 मिनट 20 सेकेंड में पूरा कर नया रिकार्ड बनाया है. उन्होंने नॉनस्टॉप बुलेट चलाकर 3,629.1 किलोमीटर का सफर तय किया. वे तीन दिन और दो रात तक लगातार बाइक चलाकर कन्याहकुमारी पहुंचे. 15 जुलाई की सुबह उन्होंने अपना सफर शुरू किया, जो 17 जुलाई की रात पूरा हुआ. इसी के साथ उन्होंने महाराष्ट्र  के नवी मुंबई के रहने वाले श्रीधर चिदुमल्लाि के 75 घंटे के रिकॉर्ड को तोड़ दिया. उनका नाम इस नए रिकॉर्ड के साथ इंडिया और लिम्का  बुक में भी दर्ज होगा.

सभी राज्यों की राजधानी साइकिल से नाप चुके हैं

उमा सिंह ने, 30 नवंबर 2020 से 10 फरवरी 2021 में 73 दिनों में 12,271 किलोमीटर साइकिल चलाकर भारत भ्रमण पूरा कर रिकार्ड बनाया. वे भारत के सभी राज्योंम और उनकी राजधानी को साइकिल से नापने वाले पहले भारतीय हैं. इसके साथ ही वे स्वाभमी विवेकानंद पर्वतारोहण संस्थान माउंट आबू राजस्थान में रॉक क्लाइंबिंग के इंस्ट्रहक्टरर भी हैं.

माउंट किलिमंजारो पर फहरा चुके हैं तिरंगा

उमा सिंह ने 15 अगस्त  2021 को अफ्रीका महाद्वीप के सबसे ऊंचे पर्वत माउंट किलिमंजारो (19,340 फीट) पर 10 दिन में साइकिल से चढ़ाई को पूरा कर तिरंगा फहराया. इसके साथ ही वे ऐसा करने वाले दुनिया के पहले युवा भारतीय बन गए. इस चोटी पर पूरी दुनिया से 12 साइकिलिस्ट  ही चढ़ाई कर पाए हैं. उनकी इस उपलब्धि पर फिल्मय अभिनेता सोनू सूद ने भी उनका प्रोत्साहन किया और मुंबई बुलाकर उनकी हौसला अफजाई की. जून 2022 में उन्हों ने हिमालय के माउंट युनम और काला पत्थ र पर्वत पर सफलतापूर्वक चढ़ाई की है.

लोगों को हैरत में डाल रहे

दीनदयाल उपाध्याेय गोरखपुर विश्वंविद्यालय गोरखपुर से एमकॉम और महाराणा प्रताप इंटर कालेज जंगल धूसड़ से बीकाम करने वाले उमा सिंह लगातार अपने रिकार्ड और उपलब्धियों से लोगों को हैरत में डाल रहे हैं. उनको विश्वा स है कि एक दिन जरूर वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्योमंत्री योगी आदित्यतनाथ के हाथों

सम्मा न पाएंगे और भारत देश का नाम देश-दुनिया में और अधिक ऊंचाई पर ले जाएंगे. किसान पुत्र उमा सिंह को सरकार से आर्थिक मदद की दरकार भी है. वे बताते हैं कि इस तरह के कीर्तिमान को पूरा करने के लिए काफी रुपए खर्च होते हैं. कई बार रुपए नहीं होने पर लोगों से मदद की गुहार करनी पड़त‍ी है. जो एक विश्वप रिकार्डधारी पर भारी पड़ता है.

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