भारतीय सेना ने नौवां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस उत्साह के साथ मनाया। सेना ने देश के सभी सीमावर्ती क्षेत्रों में योग का आयोजन करके एक ‘भारतमाला’ बनाई गई। यह भारतमाला डोंग के पूर्वी छोर से लेकर, जहां सूर्य की पहली किरणें भारत में पड़ती हैं, राजस्थान के लोंगेवाला के रेत के टीलों, जहां 1971 का भीषण युद्ध हुआ था, तक बनाई गई थी। उसी प्रकार, यह सियाचिन की हिमाच्छादित ऊंचाइयों से कन्याकुमारी के दक्षिणी सिरे और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह तक थी। इस कार्यक्रम में सैनिकों, परिवारों सहित बच्चों और रक्षा नागरिकों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। सभी स्थानों पर स्थानीय लोगों की भी योग गतिविधियों में सक्रिय रूप से भागीदारी देखने को मिली।
थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे करियप्पा परेड ग्राउंड, दिल्ली कैंट, नई दिल्ली में आयोजित सामूहिक योग कार्यक्रम में मुख्य अतिथि थे। सेना प्रमुख की भागीदारी ने सभी को योग को दैनिक आदत बनाने के लिए प्रोत्साहित किया। प्रगाढ़ होती भारत-अफ्रीका साझेदारी को कायम रखते हुए, संयुक्त राष्ट्र (यूएन) मिशन क्षेत्रों और विदेशों में अन्य प्रशिक्षण टीमों में तैनात भारतीय सेना की टुकड़ियों के माध्यम से अफ्रीकी देशों में भी आउटरीच कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
युगों से भारतीय संस्कृति और लोकाचार में गहराई से समाए हुए, योग को अपने विविध अवतारों में विश्वव्यापी स्वीकृति मिली है। योग के मुक्तिदायी और उपचारात्मक प्रभावों को वैज्ञानिक समुदाय ने भी स्वीकार किया है। सैनिकों की तैनाती के स्थान की परवाह किए बिना, भारतीय सेना योग प्रोटोकॉल को अपनी दैनिक गतिविधियों का हिस्सा बनाने में हमेशा सबसे आगे रही है। राष्ट्रीय प्रयास के एक भाग के रूप में, भारतीय सेना की नियमित रूप से स्थानीय आबादी, विशेष रूप से दूरदराज के सीमावर्ती क्षेत्रों में जागरूकता फैलाने और योग के प्रसार के लिए कार्यशालाओं का आयोजन करने में सहभागिता रही है।
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