जल शक्ति मंत्रालय ने आईसीईडी की स्थापना के लिए समझौता किया

समाचार सरकारी क्षेत्र
  • आईसीईडी वैज्ञानिक अनुसंधान के माध्यम से बांध सुरक्षा में उभरती चुनौतियों का समाधान प्रदान करेगा
  • आईसीईडी जल शक्ति मंत्रालय के तकनीकी अंग के रूप में कार्य करेगा और यह भारतीय और विदेशी बांध मालिकों को विशिष्ट तकनीकी सहायता प्रदान करेगा

वैश्विक संस्थानों के बराबर क्षमता और विशेषज्ञता विकसित करने और बांध सुरक्षा में ‘मेक इन इंडिया’ को सशक्त बनाने के लिए प्रतिष्ठित राष्ट्रीय संस्थानों को तैयार करने के केंद्र सरकार के समग्र प्रयास के हिस्से के रूप में, केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी), जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग, जल शक्ति मंत्रालय ने बाह्य समर्थित बांध पुनरुद्धार और सुधार परियोजना (डीआरआईपी) के चरण-II और चरण-III के तहत बांधों के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र (आईसीईडी) की स्थापना के लिए भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) बैंगलोर के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओए) पर हस्ताक्षर किए हैं। यह समझौता ज्ञापन इस एमओए पर हस्ताक्षर करने की तारीख से दस साल तक या डीआरआईपी चरण-II और चरण-III योजना की अवधि तक, जो भी पहले हो, वैध रहेगा। जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग की सचिव सुश्री देबाश्री मुखर्जी ने कहा, “आईसीईडी एक ‘आत्मनिर्भर भारत’ के निर्माण की दिशा में सही प्रोत्साहन देगा और भविष्य में कई अविकसित और विकासशील राष्ट्रों को बांध सुरक्षा क्षेत्र में ज्ञान और विशेषज्ञता के प्रसार के लिए अवसर भी प्रदान करेगा।”

आईसीईडी भारतीय और विदेशी बांध मालिकों के लिए जांच, मॉडलिंग, अनुसंधान और नवाचारों और तकनीकी सहायता सेवाओं में विशेष तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिए जल शक्ति मंत्रालय (एमओजेएस) की तकनीकी शाखा के रूप में कार्य करेगा। केंद्र इस मंत्रालय का समर्थन करने के लिए बांध सुरक्षा पर काम करेगा और वैज्ञानिक अनुसंधान के माध्यम से बांध सुरक्षा में आने वाली विभिन्न उभरती चुनौतियों का समाधान प्रदान करेगा। यह क्षेत्र विशिष्ट शैक्षणिक पाठ्यक्रम (प्रशिक्षण कार्यक्रम और कार्यशालाओं सहित) भी प्रदान करेगा और स्थानीय, क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बांध सुरक्षा प्रबंधन में अनुप्रयुक्त अनुसंधान और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण करेगा।

आईसीईडी दो मुख्य क्षेत्रों में अनुसंधान करेगा (i) बांधों के लिए उन्नत निर्माण और पुनर्वास सामग्री और सामग्री परीक्षण और (ii) बांधों का व्यापक (कई खतरे) जोखिम आकलन। यदि केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी), जल शक्ति मंत्रालय बांध सुरक्षा में किसी नए उभरते क्षेत्र को शामिल करना चाहता है, तो उसे आपसी चर्चा और समझौते के बाद जोड़ा जाएगा। जल शक्ति मंत्रालय निम्नलिखित चीजों के लिए 118.05 करोड़ रुपये का अनुदान आईआईएससी के संकाय को मुहैया कराएगाः सामानों की खरीद के लिए, नई प्रयोगशालाओं की स्थापना के लिए मशीनरी की खरीद के साथ-साथ मौजूदा प्रयोगशालाओं को मजबूत करने के लिए, अनुसंधान गतिविधियों को शुरू करने के लिए, आईसीईडी की स्थापना और कामकाज के लिए बुनियादी ढांचे के निर्माण/आधुनिकीकरण के लिए, जमीनी स्तर पर बांध सुरक्षा संबंधी चिंताओं से अवगत होने और सर्वोत्तम वैश्विक संस्थानों का दौरा करने के लिए।

आईआईएससी बैंगलोर उन्नत अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास के माध्यम से पुराने और नए बांधों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नए समाधान प्रदान करने के लिए विशिष्ट उद्देश्यों को लेकर काम करेगा; एम. टेक, कार्यशाला और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से बांध अभियंताओं को ‘अत्याधुनिक’ सैद्धांतिक और व्यावहारिक ज्ञान के साथ प्रशिक्षित किया जाएगा; और सहमति वाले मुख्य क्षेत्रों के लिए बांध सुरक्षा से संबंधित विभिन्न चुनौतियों का त्वरित और कुशल समाधान प्रदान करेंगे। आईसीईडी संकाय प्रभावी सिफारिशें पेश करने और तदनुसार अपनी अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों को व्यवस्थित करने के लिए बांध स्वामित्व एजेंसियों द्वारा सामना किए जा रहे केंद्रित क्षेत्रों से संबंधित समस्याओं की गहन समझ की दिशा में काम करेगा।

आईआईएससी बैंगलोर सामान्य रूप से बांध अभियांत्रिकी पर विकसित ज्ञान और क्षमताओं और विशेष रूप से उन्नत निर्माण और पुनर्वास सामग्री के मुख्य क्षेत्रों और व्यापक जोखिम आकलन के माध्यम से इनकम स्ट्रीम का सृजन करके 10 वर्षों के भीतर आत्मनिर्भरता के स्तर तक पहुंचने का प्रयास करेगा। इसके अलावा, आईसीईडी के पास एक केंद्र विकास निधि होगी। परामर्श शुल्क, अल्पकालिक प्रशिक्षण कार्यक्रम और कोई अन्य राजस्व अर्जित करने वाली गतिविधि से इस निधि में योगदान दिया जाएगा।

आने वाले समय में हमारे प्रतिष्ठित राष्ट्रीय संस्थानों को वैश्विक संस्थानों के बराबर क्षमता और विशेषज्ञता विकसित करने के लिए तैयार करना भारत सरकार का एक समग्र प्रयास है। इस केंद्र की स्थापना उन्नत अनुसंधान और प्रौद्योगिकियों और अनुप्रयोग उत्पादों को विकसित करके बांध सुरक्षा में ‘मेक इन इंडिया’ को सशक्त बनाएगी; सहमत कार्य क्षेत्रों के लिए बांध सुरक्षा में विभिन्न चुनौतियों का सबसे उपयुक्त समाधान प्रदान करने के लिए फास्ट-ट्रैक नवाचार उपलब्ध कराएगा; और बांध स्वामित्व एजेंसियों और उद्योग के लिए अत्याधुनिक सैद्धांतिक और व्यावहारिक जानकारी से सुसज्जित सक्षम जनशक्ति का एक पूल बनाएगा। आईसीईडी, आईआईएससी बैंगलोर बांध सुरक्षा के क्षेत्र में दूसरा अंतर्राष्ट्रीय केंद्र है। फरवरी 2023 में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर होने के बाद, पहले आईसीईडी ने आईआईटी रूड़की में संस्थागत रूप लिया था।