देश के कुल कोयला खपत में कोयला आयात की हिस्सेदारी में कमी दर्ज की गयी है। अप्रैल 2023 से जनवरी 2024 के दौरान कोयला आयात की हिस्सेदारी घटकर 21% रह गई है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के लिए 22.48% थी।
पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में, अप्रैल 2023 से जनवरी 2024 के दौरान 19.36 मिलियन टन (एमटी) के साथ ताप विद्युत संयंत्रों द्वारा मिश्रण के लिए आयात किये जाने वाले कोयले की मात्रा में 36.69% की कमी आयी है। मिश्रण के लिए आयातित कोयले में यह कमी, घरेलू कोयले के उपयोग का संकेत देती है, जिससे आयात पर निर्भरता कम हुई है।
इसके विपरीत, अप्रैल 2023 से जनवरी 2024 के दौरान आयातित कोयला आधारित बिजली संयंत्रों द्वारा कोयले के आयात में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 94.21% की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। चूंकि ये बिजली संयंत्र केवल आयातित कोयले के आधार पर डिजाइन किए गए हैं, इसलिए उपरोक्त अवधि के दौरान कोयले के आयात में वृद्धि के लिए कीमतों में भारी गिरावट को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। भारत मुख्य रूप से दक्षिण अफ्रीका और इंडोनेशिया से ताप विद्युत कोयला आयात करता है और पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में अप्रैल 2023 से जनवरी 2024 के दौरान इन देशों की औसत कीमत में क्रमशः लगभग 54% और 38% की कमी आयी है।
इसके अलावा, कोयले की अधिसूचित कीमत पर सीआईएल द्वारा प्राप्त नीलामी प्रीमियम में भी काफी कमी आई है। अप्रैल 2022 से जनवरी 2023 की अवधि में यह 278% से घटकर वित्त वर्ष 2023-24 की इसी अवधि के दौरान 82% रह गई है। नीलामी प्रीमियम में कमी बाजार में कोयले की प्रचुर उपलब्धता (वर्तमान में कोयला कंपनियों के पास 96 मीट्रिक टन कोयला स्टॉक) का प्रमाण है।