गोला, गोरखपुर: तीरागांव में बाढ़ का पानी पसरा, संकट गहराया

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संवाददाता- कौस्तुभ तिवारी, गोला, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश
गोरखपुर
 जिले के गोला विकास खण्ड का तीरागांव इन दिनों एक गंभीर प्राकृतिक आपदा के चपेट में है। सरयू नदी के उफान से गांव के भीतर बाढ़ का पानी तेजी से घुस रहा है, जिससे गांववासी भयभीत और असमंजस में हैं। इस संकट ने लोगों के जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। गांव की गलियों में जहां पहले बच्चे खेलते थे, अब वहां पानी का सैलाब उमड़ रहा है। यह दृश्य न केवल गांववालों के लिए बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए चिंता का विषय बना हुआ है।

तीरागांव के निवासियों ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि इस वर्ष बाढ़ का पानी उनके घरों तक पहुंच जाएगा। सालों से शांत बहती सरयू ने इस बार ऐसा विकराल रूप धारण किया है कि गांव के लोग परेशान हो उठे हैं। घरों के आंगनों से लेकर खेत-खलिहानों तक हर जगह पानी का कहर नजर आ रहा है। गांव की कच्ची सड़कें पानी में डूब चुकी हैं, जिससे न केवल आवागमन बाधित हो गया है, बल्कि ग्रामीणों को अपने पशुओं और जरूरी सामान को भी सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाना पड़ रहा है।

 हालांकि प्रशासन ने पहले ही बाढ़ के खतरे को देखते हुए सतर्कता बरतने की सलाह दी थी, लेकिन अचानक पानी का इतना तेज बहाव होने के कारण राहत कार्यों में चुनौतियां सामने आ रही हैं। राहत और बचाव दल लगातार प्रयासरत हैं, लेकिन गांव के हर हिस्से तक पहुंचना मुश्किल साबित हो रहा है। कई ग्रामीण सुरक्षित स्थानों पर जाने को मजबूर हैं, वहीं कुछ लोग अपने घरों को छोड़ने से हिचकिचा रहे हैं।

 सरकार और स्थानीय प्रशासन ने ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए विशेष टीमें गठित की हैं, जो प्रभावित क्षेत्रों में लगातार मदद पहुंचा रही हैं। बाढ़ पीड़ितों के लिए अस्थायी शेल्टर बनाए गए हैं, जहां खाने-पीने की व्यवस्थाएं की जा रही हैं। ग्रामीणों को आपदा से निपटने के लिए जरूरी निर्देश दिए जा रहे हैं, ताकि उनके जीवन को किसी भी तरह के खतरे से बचाया जा सके।

बाढ़ के कहर के बावजूद, तीरागांव के लोग हार मानने को तैयार नहीं हैं। वे अपनी परंपरागत ताकत और एकता के सहारे इस संकट का सामना कर रहे हैं। गांव के बुजुर्ग और युवा मिलकर इस विपदा से लड़ रहे हैं, वहीं महिलाएं और बच्चे एक-दूसरे का सहारा बनकर मुश्किल वक्त को पार करने का प्रयास कर रहे हैं।

नदी के किनारे बसे गांवों के लिए चेतावनी

गोरखपुर और आसपास के क्षेत्रों में इस साल बाढ़ का खतरा और भी बढ़ सकता है। सरयू और अन्य नदियों के किनारे बसे गांवों को विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत है। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे नदी के पास जाने से बचें और जलस्तर की जानकारी के आधार पर जरूरी कदम उठाएं।इस बाढ़ ने न केवल तीरागांव बल्कि पूरे क्षेत्र को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय असंतुलन का प्रभाव अब सीधा हमारे जीवन पर पड़ रहा है। हमें मिलकर इन आपदाओं का सामना करने के साथ-साथ भविष्य में ऐसी आपदाओं से बचने के उपायों पर भी विचार करना होगा।