अमेठी जिले में सरकारी शिक्षक सुनील कुमार, उनकी पत्नी पूनम भारती, और मासूम बेटियों दृष्टि (5) और मिकी (2) की गोली मारकर नृशंस हत्या ने उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह घटना न केवल दुखद और हृदयविदारक है, बल्कि यह इस बात की भी गवाही देती है कि प्रदेश में दलितों की सुरक्षा की स्थिति बेहद दयनीय है। इस निर्मम हत्याकांड के पीछे पुलिस-प्रशासन की असंवेदनशीलता भी उभरकर सामने आई है। डेढ़ महीने पहले पूनम भारती ने छेड़खानी और जान से मारने की धमकी की शिकायत की थी, लेकिन यदि समय पर कार्यवाही की गई होती, तो शायद यह त्रासदी टाली जा सकती थी। इस दिल दहला देने वाली घटना ने यह साबित कर दिया है कि कानून व्यवस्था का ढांचा केवल प्रचारित है, जबकि सच्चाई कहीं और है। आज दलित परिवारों की सुरक्षा और उनके अधिकारों की कोई गारंटी नहीं है, और कल किसका नंबर आएगा, यह कोई नहीं जानता। यह अमेठी का जंगलराज नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश के दलित समाज की त्रासदी है।