दक्षिण कर्णपुरा कोलफील्ड में हाइड्रोकार्बन उत्पादन की प्रबल संभावना: झारखंड के रामगढ़ क्षेत्र में नई खोज, राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण संकेत

दिल्ली समाचार सरकारी क्षेत्र

झारखंड के रामगढ़ जिले के दक्षिण कर्णपुरा कोलफील्ड के पूर्वी क्षेत्र में हाइड्रोकार्बन उत्पादन की अपार संभावनाएं सामने आई हैं। बीरबल साहनी पुराविज्ञान संस्थान (बीएसआईपी)-लखनऊ के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध में सूक्ष्म पैलिनोमॉर्फ अवशेषों और भू-रासायनिक आकलन के आधार पर इस क्षेत्र में कोल बेड मीथेन और शेल गैस जैसे अपरंपरागत संसाधनों के उत्पादन की संभावना को उजागर किया गया है।  पराग और सूक्ष्म अवशेषों के विश्लेषण से पता चलता है कि पूर्वी सिरका कोयला क्षेत्र ने उत्तर में स्थित गिद्दी कोयला क्षेत्र की तुलना में हाइड्रोकार्बन उत्पादन की उच्च क्षमता प्रदर्शित की है। 28 प्रमुख कोयला ब्लॉकों से भरपूर इस क्षेत्र में ऊर्जा की बढ़ती मांग के चलते कोल बेड मीथेन और शेल गैस के अन्वेषण पर अधिक ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। इस हरित ऊर्जा की खोज को देश की ऊर्जा रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जा रहा है।वैज्ञानिकों द्वारा पराग, बीजाणुओं और कार्बनिक अवशेषों का विश्लेषण करते हुए, रॉक-इवल पायरोलिसिस जैसी प्रयोगशाला प्रक्रियाओं का उपयोग किया गया। सिरका और गिद्दी-सी क्षेत्रों के नमूनों का अध्ययन इस बात की पुष्टि करता है कि इन क्षेत्रों की तलछट उच्च हाइड्रोकार्बन उत्पादन की क्षमता को इंगित करती है।

जर्नल ऑफ एशियन अर्थ साइंसेज-एक्स में प्रकाशित यह शोध राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा और संसाधन विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस क्षेत्र में और गहन अध्ययन से आर्थिक अन्वेषण के लिए मार्ग प्रशस्त होगा, जिससे भविष्य में भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में यह क्षेत्र बड़ी भूमिका निभा सकता है।