डॉ. चंद्रशेखर पेम्मासानी: “आधुनिक तकनीक से शहरी भूमि प्रबंधन में नई क्रांति की ओर”

दिल्ली

नई दिल्ली में आयोजित एक अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला के समापन पर केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. चंद्रशेखर पेम्मासानी ने शहरी भूमि अभिलेखों के प्रबंधन के लिए नवीनतम सर्वेक्षण-पुनःसर्वेक्षण तकनीकों और आधुनिक प्रौद्योगिकियों की भूमिका को नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि सटीक भूमि रिकॉर्ड न केवल प्रशासनिक उपकरण हैं, बल्कि सामाजिक-आर्थिक विकास, सार्वजनिक सेवाओं की बेहतर पहुंच, और विवादों के समाधान की रीढ़ हैं।

कार्यशाला में विशेषज्ञों ने ड्रोन, विमान सर्वेक्षण, और जीआईएस एकीकृत समाधान जैसी प्रौद्योगिकियों पर चर्चा की, जो भविष्य के शहरी प्रबंधन में क्रांति लाने की क्षमता रखती हैं। डॉ. पेम्मासानी ने कहा, “प्रौद्योगिकी अब सिर्फ एक उपकरण नहीं है, बल्कि यह एक अभूतपूर्व अवसर है। इन नवाचारों से हम शहरीकरण की बढ़ती मांगों को आसानी से पूरा कर सकते हैं और जमीन के विवादों, गलत मूल्यांकन और सीमा विवादों को सुलझा सकते हैं।”

 उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (DILRMP) की महत्वपूर्ण प्रगति को भी रेखांकित किया, जिसके तहत देशभर के 6.25 लाख गांवों में अधिकार अभिलेखों का डिजिटलीकरण किया जा चुका है। डॉ. पेम्मासानी ने इस कार्यक्रम को शहरी भूमि प्रशासन में पारदर्शिता, कुशलता और समान विकास की दिशा में एक बड़ा कदम बताया। यह कार्यशाला 130 भारतीय शहरों में आधुनिक भूमि रिकॉर्ड तैयार करने की पायलट योजना का हिस्सा रही, जो अगले पांच वर्षों में 4,900 शहरी निकायों में लागू होगी। कार्यशाला ने विशेषज्ञों और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधियों के सहयोग से शहरी भूमि प्रबंधन के क्षेत्र में नए युग की शुरुआत की है।

“हम शहरी भूमि प्रबंधन में एक नई, पारदर्शी और कुशल प्रणाली की ओर बढ़ रहे हैं, जो न केवल तकनीकी सुधार लाएगी, बल्कि आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए एक मजबूत नींव भी तैयार करेगी,” डॉ. पेम्मासानी ने समापन करते हुए कहा।