ब्यूरो रिपोर्ट- प्रेम कुमार शुक्ल,अमेठी
- करीब एक माह पूर्व चार आरोपी युवकों ने मिलकर किशोरी को मार्केट के कमरे में बंद कर सामूहिक दुष्कर्म की वारदात को दिया था अंजाम,बड़े बाप की बिगड़ी औलादों पर है गैंगरेप का आरोप
- जज पवन कुमार शर्मा ने ऐसे गम्भीर अपराध में जमानत देने से समाज मे गलत संदेश जाने एवं पॉक्सो एक्ट का उद्देश्य विफल होने व उपलब्ध साक्ष्यों के दृष्टिगत आरोपी शिवम अग्रहरि की जमानत की खारिज
सुलतानपुर। चौदह वर्षीय किशोरी से गैंगरेप के मामले में आरोपी की तरफ से स्पेशल जज पॉक्सो एक्ट की अदालत में जमानत अर्जी प्रस्तुत की गई। जिस पर सुनवाई के पश्चात स्पेशल जज पवन कुमार शर्मा ने आरोपी के जरिए किए गए अपराध को अत्यंत गंभीर मानते हुए उसकी जमानत अर्जी खारिज कर दी है। अदालत के इस आदेश से आरोपी को बड़ा झटका लगा है।
मामला कादीपुर कोतवाली क्षेत्र से जुड़ा है। जहां के सूरापुर तवक्कलपुर गांव निवासी अभिषेक पर बीते 22 सितम्बर की शाम को अभियोगी की चौदह वर्षीय पुत्री को बहलाकर अपनी दुकान पर करीब एक घण्टे तक बैठाये रहने व उसके बाद उसे लालच देकर अपने सुपरमार्केट में ले जाकर एक कमरे में बंद कर साथी शुभम अग्रहरी, दीपक अग्रहरि व शिवम उर्फ गोलू अग्रहरि के साथ सामूहिक दुष्कर्म करने का आरोप है। आरोप के मुताबिक गैंगरेप की शिकार पीड़िता आरोपियों के जरिए की गई इस हैवानियत से बेहोश हो गई, जिसे पानी के छींटे मारकर होश में लाना पड़ा। ढूंढते-ढूंढते पीड़िता की मां जब घटना स्थल पर पहुंची तो वह पुत्री की यह हालत देख दंग रह गई। बताया जा रहा है कि आरोपीगण काफी प्रभावशाली व पैसे वाले व्यक्ति हैं, जिन्होंने पीड़ित पक्ष की आर्थिक कमजोरी व असहाय होने का नाजायज फायदा उठाकर उसके परिवार पर दबाव बनाकर उसकी आबरू की कीमत लगाकर सुलह समझौते का भी भरसक प्रयास किया। मामले में आरोपी शिवम अग्रहरि का नाम तफ्तीश के दौरान प्रकाश में आया। पुलिस ने मामले के आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजने की कार्रवाई की। इसी मामले में आरोपी शिवम अग्रहरी उर्फ गोलू की तरफ से स्पेशल जज पॉक्सो एक्ट की अदालत में जमानत अर्जी प्रस्तुत की गई। जिस पर सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष ने घटना की एफआईआर, पीड़िता के 161 व 164 दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत हुए बयान में काफी मतभेद बताते हुए आरोपों को फर्जी एवं मनगढ़ंत बताया। वहीं अभियोजन पक्ष ने घटना को अत्यंत गंभीर बताते हुए आरोपियों की जमानत पर कड़ा विरोध जाहिर किया। उभय पक्षों को सुनने के पश्चात अदालत ने अपने आदेश में कहा कि आरोपी पक्ष अभियोजन पक्ष के जरिए फर्जी ढंग से फंसाने की बात अपने बचाव में कह रहा है,लेकिन उसकी वजह को बताने एवं जमानत क्यों दे दी जाय यह बता पाने में असफल रहा है। वहीं अदालत ने लगे आरोपो को अत्यंत गंभीर मानते हुए और ऐसे अपराधियों को इस स्तर पर जमानत पर रिहा किए जाने से समाज में गलत संदेश जाने एवं पॉक्सो एक्ट का उद्देश्य विफल होने की संभावना मानते हुए आरोपी की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया। ऐसे में गरीबों की इज्जत से खिलवाड़ करने वाले एक धनाड्य परिवार के आरोपी युवक को साथियों संग मिलकर गैंगरेप जैसी घिनौनी करतूत को अंजाम देने के आरोप से जुड़े मामले में बड़ा झटका लगा है।