गाजियाबाद।
गाजीपुर बॉर्डर पर फिर से महिला किसानों की संख्या बढ़ने लगी है। पिछले लंबे समय से यहां पर पुरुष किसानों द्वारा खाना बनाया जा रहा था।मगर फिर से महिलाएं वापस आ गई है, और चूल्हा जलाना शुरू कर दिया है। आज गाजीपुर बॉर्डर पर पहुंची महिलाओं ने मक्के की रोटी और सरसों का साग बनाया है। महिलाओं का कहना है कि घर के साथ-साथ आंदोलन की जिम्मेदारी भी निभा रही हैं। महिलाओं ने चेतावनी दी है कि साल-2 साल आंदोलन और भी चलाना पड़ा तो कोई दिक्कत नहीं है। हम घर जाने वाले नहीं हैं।
सरकार हमारी बात मान ले, हम उनकी मान लेंगे- महिला किसान
बुलंदशहर से आई महिला किसान रजनी ठाकुर का कहना है, कि जब घर का कामकाज था,तो घर पर चले गए थे।लेकिन अब सर्दी आते ही वापस आ गए हैं। इससे पहले पुरुष यहां पर खाना बना रहे थे।अब हम वापस आ गए हैं और खाना अब महिलाएं बनाएंगी।उन्होंने कहा कि मेरे हस्बैंड यहां पर पिछले काफी समय से थे,अब वह घर जाकर घर की जिम्मेदारी देखेंगे,और उनकी जगह मैं यहां पर मोर्चा संभाल लूंगी। सरकार हमारी बात मान ले हम सरकार की बात मान लेंगे।
जब तक जरूरत पड़ी तब तक बैठेंगे- किसान
महिला किसान नरगिस ने कहा की अगर सरकार अपनी जिद पर अड़ी है, तो किसान भी अपनी जिद पर अड़ा हुआ है। हमें परेशानी बहुत है। घर भी चलाना पड़ता है। लेकिन आंदोलन भी देख रहे हैं। 1 साल से किसान रोड पर पड़ा हुआ है। मगर सरकार बात नहीं मान रही है। अब सर्दी आने से परेशानी और ज्यादा बढ़ेगी।हम आतंकवादी या उग्रवादी नहीं है। हम सिर्फ किसान हैं। महिला किसान नरगिस ने बताया कि सरसों का साग और मक्के की रोटी बनाई गई है। किसान का खाना यही है। हम इससे यह भी दर्शना चाहते हैं, कि सर्दी की तैयारी भी किसान पूरी तरह से करने में जुट गया है। महिला नरगिस ने बताया कि हमारे परिवार में 5 बच्चे हैं, और पति पत्नी हैं। घर बच्चों के साथ साथ में आंदोलन भी संभाल रही हूं। लेकिन मुझे इसमें कोई परेशानी नहीं है। अगर सरकार नहीं मानती है, तो भी हमारा जाने का कोई प्लान नहीं है।