1 जुलाई से नए नियम लागू, अब  ड्राइविंग लाइसेंस के लिए नहीं देना पड़ेगा टेस्ट

काम-धंधा

नई दिल्ली:  अब आपको ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए RTO जाकर टेस्ट देने की जरूरत नहीं पड़ेगी. सरकार ने ड्राइविंग लाइसेंस पाने के नियमों में बदलाव किया है, जिससे करोड़ों लोग जो ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने की कोशिश में लगे हैं, लेकिन RTO में वेटिंग लंबी होने की वजह से काफी समय लग रहा है, उन्हें अब ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा और न ही RTO के बार-बार चक्कर लगाने पड़ेंगे.

RTO जाकर टेस्ट देने की जरूरत नहीं

सड़क और परिवहन मंत्रालय की ओर से जारी नए नियमों के मुताबिक कोई भी व्यक्ति जिसने किसी भी सरकारी मान्यता प्राप्त ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर से टेस्ट पास किया है तो उसे लाइसेंस के लिए अप्लाई करते वक्त RTO में होने वाले ड्राइविंग टेस्ट से मुक्त रखा जाएगा, यानी उसे RTO में ड्राइविंग टेस्ट नहीं देना होगा. उसका ड्राइविंग लाइसेंस प्राइवेट ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर के सर्टिफिकेट पर ही बना दिया जाएगा.

1 जुलाई से ड्राइविंग लाइसेंस के नए नियम

ड्राइविंग लाइसेंस के नए नियम 1 जुलाई से लागू हो जाएंगे, जो उन निजी ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर्स को ही काम करने की इजाजत देंगे, जिन्हें राज्य ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी की ओर से या फिर केंद्र सरकार की तरफ से मान्यता दी गई हो. इन ट्रेनिंग सेंटर्स की मान्यता 5 साल के लिए होगी, इसके बाद उन्हें सरकार से रीन्यूअल करवाना होगा. सरकार के इस कदम से निजी प्राइवेट ट्रेनिंग स्कूल की अलग से इंडस्ट्री खड़ी हो सकती है.

क्या कहते हैं नये नियम

ट्रेनिंग सेंटर्स को लेकर सड़क और परिवहन मंत्रालय की ओर से कुछ गाइडलाइंस और शर्तें भी हैं. जिसमें ट्रेनिंग सेंटर्स के क्षेत्रफल से लेकर ट्रेनर की शिक्षा तक शामिल है. चलिए इसको समझते हैं.

1. अधिकृत एजेंसी ये सुनिश्चित करेगी की दोपहिया, तिपहिया और हल्के मोटर वाहनों के ट्रेनिंग सेंटर्स के पास कम से कम एक एकड़ जमीन हो, मध्यम और भारी यात्री माल वाहनों या ट्रेलरों के लिए सेंटर्स के लिए दो एकड़ जमीन की जरूरत होगी.
2. ट्रेनर कम से कम 12वीं कक्षा पास हो और कम से कम पांच साल का ड्राइविंग अनुभव होना चाहिए, उसे यातायात नियमों का अच्छी तरह से पता होना चाहिए.
3. मंत्रालय ने एक शिक्षण पाठ्यक्रम भी निर्धारित किया है. हल्के मोटर वाहन चलाने के लिए, पाठ्यक्रम की अवधि अधिकतम 4 हफ्ते होगी जो 29 घंटों तक चलेगी. इन ड्राइविंग सेंटर्स के पाठ्यक्रम को 2 हिस्सों में बांटा जाएगा. थ्योरी और प्रैक्टिकल.
4. लोगों को बुनियादी सड़कों, ग्रामीण सड़कों, राजमार्गों, शहर की सड़कों, रिवर्सिंग और पार्किंग, चढ़ाई और डाउनहिल ड्राइविंग वगैरह पर गाड़ी चलाने के लिए सीखने में 21 घंटे खर्च करने होंगे. थ्योरी हिस्सा पूरे पाठ्यक्रम के 8 घंटे शामिल होगा, इसमें रोड शिष्टाचार को समझना, रोड रेज, ट्रैफिक शिक्षा, दुर्घटनाओं के कारणों को समझना, प्राथमिक चिकित्सा और ड्राइविंग ईंधन दक्षता को समझना शामिल होगा.

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *