गोरखपुर| सरसों का तेल, रिफाइंड के बाद पाम आयल की कीमतों में बड़ी गिरावट आई है। सरसाें का तेल 185 से घटकर 165, रिफाइंड 175 से घटकर 155 और पाम आयल 145 रुपये लीटर से घटकर 118 रुपये पर आ गया है। यह गिरावट 15 दिनों के भीतर हुई है। पाम आयल का सबसे ज्यादा इस्तेमाल मध्यम वर्गीय परिवार, बेकरी, नमकीन बनाने की फैक्ट्री, होटल एवं रेस्टाेरेंट में होता है।
इसलिए कम हुआ भाव
तेल का भाव बढ़ने से नमकीन व समोसे के दाम भी बढ़ गए थे। खाद्य तेलों के थोक कारोबारियों के मुताबिक पाम आयल के आयात शुल्क में कटाैती और सरसों के तेल में पाम आयल के मिश्रित पर रोक की वजह से दाम में गिरावट आई है। आने वाले दिनों में कीमत 10 फीसद तक और नीचे जा सकती है।
20 दिनों में 27 रुपये प्रतिलीटर सस्ता हुआ तेल
पिछले वर्ष मई से खाद्य तेलों की कीमतों में बढ़ोतरी शुरू हुई थी। पिछले साल सरसों का तेल 100, रिफाइंड 90 तथा पाम आयल 78 रुपये लीटर बिक रहा था, लेकिन इस वर्ष मई में खाद्य तेल उच्चतम कीमत पर पहुंच गया था। मार्च से खाद्य तेलों के कीमतों में तेजी का रुख शुरू हुआ तो इसमें लगातार वृद्धि होती गई।
जून के पहले से सप्ताह से तेल के दामों में गिरावट आनी शुरू हुई। सरसों के तेल एवं रिफाइंड में जहां 20 रुपये तो वहीं पाम आयल में 27 रुपये प्रति लीटर गिरावट दर्ज की गई। गोरखपुर में प्रतिदिन औसतन दो लाख लीटर की खपत है।
भाव कम होते ही बढ़ गई बिक्री
सूरजकुंड के किराना कारोबारी मोहम्मद जावेद ने बताया कि सस्ता होे की वजह से प्रतिदिन पांच गत्ता पाम आयल बिकता था, लेकिन दाम बढ़ने से बिक्री घटकर तीन गत्ते पर आ गई थी। दाम कम होते ही बिक्री में इजाफा हुआ है। थोक कारोबारी संजय सिंहानिया ने बताया कि मांग में कमी और आयात शुल्क में कटौती के वजह से पाम आयल की कीमतों में इतनी बड़ी गिरावट आई है।
अगले दस दिनों में प्रति लीटर पांच से सात रुपये और कम हो सकते हैं। साहबगंज के थोक कारोबारी गोविंद अग्रवाल ने बताया कि खाद्य तेलों में सबसे ज्यादा पाम आयल बिकता है। घरों के अलावा होटल एवं रेस्टोरेंट में भी इसका खूब इस्तेमाल होता है।