“तेरह रजब है आज, विलादत अली की है। काबे में पैदा होना फ़ज़ीलत अली की है”

उत्तर प्रदेश गोरखपुर

“तेरह रजब है आज, विलादत अली की है। काबे में पैदा होना फ़ज़ीलत अली की है”

हज़रत अली के जन्मदिन पर महफ़िल ए मिलाद का हुआ आयोजन

गोरखपुर । हज़रत अली के जन्म पर रविवार को इमामबाड़ा रानी अशरफुननिशा खानम में महफ़िल का आयोजन किया गया। इसी क्रम में अकील अब्बास के सौजन्य से पारम्परिक रूप से आयोजित होने वाली महफ़िल ए मिलाद का आयोजन इस्लाम चक, जाफरा बाज़ार में किया गया। इस मौके पर तिलावत ए क़ुरान से मिलाद का आगाज़ मौलाना शमशाद अब्बास कुम्मी ने किया और हज़रत अली के जन्म पर सबको बधाई देते हुए उनकी जीवनशैली के बारे में उपस्थित लोगो को बताया और उनकी दी हुई शिक्षाओं को ग्रहण करने की सलाह दी ।
मौलाना शमशाद ने इस अवसर पर बताया कि हजरत अली इस्लाम के पैगंबर हज़रत मोहम्मद (स0अ0) के दामाद और कर्बला के अमर शहीद इमाम हुसैन के पिता थे । इस्लाम की शिक्षाओं के प्रचार प्रसार में हज़रत अली का बहुत बड़ा योगदान था। अन्य वक्ताओं ने भी हज़रत अली के जीवन और उनके विचारों को आज के युग की ज़रूरत बताते हुए कहा कि जब पैग़म्बर मुहम्मद (स.) ने इस्लाम का सन्देश दिया तो इस्लाम कुबूल करने वाले हज़रत अली पहले व्यक्ति थे।
हज़रत अली इब्ने अबी तालिब (अ.स.) पैगम्बर मुहम्मद (स.अ.) के चचाजाद भाई और दामाद थे। दुनिया उन्हें महान योद्धा और मुसलमानों के ख़लीफ़ा के रूप में जानती है। इस्लाम के कुछ फिरके उन्हें अपना इमाम तो कुछ उन्हें वली के रूप में मानते हैं। हज़रत अली ने वैज्ञानिक जानकारियों को बहुत ही रोचक ढंग से आम आदमी तक पहुँचाया।
उन्होंने अंडे देने वाले और बच्चे देने वाले जानवरों में फर्क को इस तरह बताया कि जिनके कान बाहर की तरफ होते हैं वे बच्चे देते हैं और जिनके कान अन्दर की तरफ होते हैं वे अंडे देते हैं।
हज़रत अली ने इस्लामिक थियोलोजी (अध्यात्म) को तार्किक आधार दिया। कुरान को सबसे पहले कलमबद्ध करने वाले भी हज़रत अली ही हैं।
इस अवसर पर आयोजित महफ़िल ए मिलाद में उपस्थित शायरों ने हज़रत अली की शान में अपना कलाम पेश किया। क़मर अब्बास ने कहा कि “हक़ का इरफ़ान जो पाया तो अली याद आया” । ई0 कैंसर रिज़वी ने कहा कि “तेरह रजब है आज, विलादत अली की है। काबे में पैदा होना फ़ज़ीलत अली की है”। आगा मोहम्मद मेहदी एडवोकेट ने कहा कि “हो फ़साहत या बलाग़त या हो कोई मार्का, कौन ठहरा है अली ए मुर्तज़ा के सामने । हम जलाये थे अक़ीदत से, रखा उसने भरम, वो दिया रौशन है उल्फत का, हवा के सामने ।”
कार्यक्रम का संचालन मौलाना शमशाद अब्बास कुम्मी ने किया। इस अवसर पर अकील अब्बास, शबाहत हुसैन रिज़वी एडवोकेट, सुलतान अहमद रिज़वी, कमाल असगर रिज़वी ने मेहमानों का स्वागत किया। मिलाद में मुख्य रूप से अब्दुल्ला कुरैशी, इमरान सिद्दीकी, चुन्ने कुरैशी, सलीम अंसारी के अलावा बड़ी संख्या में अक़ीदतमंदों की उपस्थित रही।

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