घोसी का 14सी रेलवे फाटक बंद होने से 15000 आबादी और 50 गांव प्रभावित

उत्तर प्रदेश मऊ समाचार

संवाददाता- बिजेन्द्र सिंह, मऊ


मऊ जिले के घोसी नगर पंचायत में स्थित एक रेलवे फाटक के 14 सी बंद हो जाने से लगभग 15,000 लोगों और 50 गांवों को प्रभावित हो रहा है। इसके साथ ही, इसका बड़ा प्रभाव उस बाजार पर दिख रहा है, जो अंग्रेजों के समय से चल रहा है। हालांकि, इस मामले में एक आरसीसी बनाने की कोशिश की गई है, लेकिन समस्या हल नहीं हुई है।

      मिली जानकारी के अनुसार, घोसी में रेलवे लाइन की शुरुआत 1901 में हुई थी और 1907 में ट्रेन सेवा शुरू हुई। पहली रेल गाड़ी दोहरीघाट इंदारा बलिया से छपरा जाती थी। इसी रूट पर त्रिवेणी चलती थी, जो इलाहाबाद से इंदारा पैसेंजर मेल थी। समय के साथ, इन रेलगाड़ियों की सेवा बंद हो गई और घोसी में एक मुख्य रेल लाइन बिछी गई। वर्तमान में 13सी फाटक को बरकरार रखते हुए 14सी को बंद कर दिया गया है। दोनों रेलवे फाटक पहले से ही मौजूद थे। हालांकि, इस मुद्दे के पीछे एक विवाद है, जो अंडरपास के संबंध में है। शहर के लोगों के मुताबिक, रेलवे ने 14सी को अंडरपास नहीं बनाया है, बल्कि यहां 550 मीटर उत्तरी और 185 फीट जगह में अंडरपास बनाया गया है, जहां पहले एक डगरा था। इस अंडरपास में सिर्फ एक गांव, यानी डड़वापार, ही आता है। रेलवे ने इसके पीछे जगह की कमी को बताया है। हालांकि, 14सी में रेलवे के पास 250 फीट की जगह है, जिसमें 224 फीट निजी रेलवे की ज़मीन है और 26 फुट पीडब्ल्यूडी है। 14सी रेलवे फाटक एनएच-29 के पूर्व में स्थित है। इसमें अन्याय का सबसे बड़ा असर गांव की जनता के साथ हुआ है। शहर के लोगों का मानना है कि इस मामले में एक प्रभावशाली व्यक्ति, जो पहले रेलवे बोर्ड का सदस्य भी था और मऊ जिले के एक उद्योगपति है, का हाथ है। उन्होंने इसके बचाव में इन सभी कदमों को उठाया है। पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है और सरकार को इसे गंभीरता से देखना चाहिए।

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