800 साल पुरानी मूर्तियों की खोज में मिले नौकायुद्ध के संकेत
उरण, रायगड। पुरातात्विक खोज में 800 साल पुरानी मूर्तियां मिली, जो नौकायुद्ध के नाम से मशहूर नौसैनिक युद्ध को दर्शाती हैं। इस खोज ने किया क्षेत्र का ऐतिहासिक महत्व प्रकट, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में इसकी भागीदारी का प्रकाश। उरण तालुका के पुनाडे गांव में हाल ही में हुए रहस्योद्घाटन ने इस खोज को मजबूती दी। खोज की टीम में कोंकण इतिहास परिषद के सदस्य भी शामिल हैं।
पुनाडे गांव में बहिरिदेव मंदिर के पास मिली तीन मूर्तियां ‘वीरगल्स’ के नाम से जानी जाती हैं। ये मूर्तियां नौकायुद्ध में शहीद हुए वीर योद्धाओं की स्मृति शिला के रूप में हैं।
इन मूर्तियों में वीरगलों की कथा छिपी हुई है: निचले हिस्से में एक वीर व्यक्ति के अंतिम संस्कार की चित्रण, जबकि मध्य चरण में नौसैनिक युद्ध का ज्वलंत चित्रण है। वीर योद्धाओं के शिरोमणि को एक शिवलिंग की श्रद्धांजलि देते हुए दिखाया गया है।
विशेषज्ञों के अनुसार, इन मूर्तियों की शैली और कला कौशल के आधार पर यह संभावित है कि ये 12वीं शताब्दी की हो सकती हैं। इसके साथ ही, पास मिले मिट्टी के बर्तनों की कलाकृतियां दिखाती है कि इस क्षेत्र में 10वीं शताब्दी से ही चीन और ईरान के साथ व्यापार होता आया था।
यह खोज उरण तालुका में पाए गए ऐतिहासिक साक्ष्यों की संख्या बढ़ा देती है, जिसमें गांवों में पाए गए शिलालेख और मूर्तियां भी शामिल हैं। ये कलाकृतियां क्षेत्र के प्राचीन इतिहास को रौंगते देती हैं, जिसमें शेलार राजवंश और शिलाहारों का महत्वपूर्ण योगदान है।