देश के दूर-दराज गांवों में सीएससी के जरिए आपार का शुभारंभ किया गया. आपार यानी परमानेंट एकेडमिक अकाउंट रजिस्ट्री

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उच्च शिक्षा संस्थान में दाखिले को आसान बनाएगी सीएससी

राजेश गुप्ता की रिपोर्ट

आज देश के दूर-दराज गांवों में सीएससी के जरिए आपार का शुभारंभ किया गया. आपार यानी परमानेंट एकेडमिक अकाउंट रजिस्ट्री
का उद्देश्य है- ‘वन नेशन वन एजुकेशन की संकल्पना नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (एन ई पी , 2020) के तहत की गई है जिसमें कॉलेज/यूनिवर्सिटी जाने वाले सभी छात्रों को एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स पर पंजीकरण करना जरूरी है. नए नियम के मुताबिक किसी भी कॉलेज या यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेने के लिए एबीसी आईडी होना जरूरी है.
आज शिक्षा मंत्रालय और सीएससी- एसपीवी के द्वारा आज देश में “वन नेशन वन स्टूडेंट कार्यक्रम को सुचारू करने के क्रम में एक वेबीनार का आयोजन किया गया। जिसमे देश के सभी राज्यों उच्च शिक्षा विभागों के प्रमुख सचिव समेत उत्तर प्रदेश से प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा श्री एम पी अग्रवाल तथा सीएससी स्टेट हेड श्री राजेश मिश्रा समेत राज्य के समस्त विश्वविद्यालयों तथा महाविद्यालयों के प्रतिनिधियों ने प्रतिभाग किया।
ए बी सी यानी एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स एक डिजिटल रिपॉजिटरी यानी डिजिटल स्टोरेज है. शहरों के साथ-साथ गांव के छात्र भी इसका लाभ आसानी से उठा सकते हैं. इस सेवा के लिए छात्र को कहीं और जाने की जरूरत नहीं है बल्कि यह नजदीकी सीएससी केंद्र पर उपलब्ध है. इस डिजिटल क्रेडिट बैंक में स्टूडेंट्स के स्कोर किए सभी क्रेडिट्स यानी मार्क्स और उनकी सभी व्यक्तिगत जानकारियां मौजूद होंगी. इस आईडी की मदद से सभी छात्रों को ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए एक संस्थान से दूसरे संस्थान में एडमिशन लेने में आसानी होगी. विश्वविद्यालय की मदद से छात्रों के सभी आंकड़े एक क्लिक से एक्सेस कर सकेंगी. एजुकेशन में एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट लाने का सुझाव नेशनल एजुकेशन पॉलिसी यानी एनीईपी 2020 में दिया गया था.

सीएससी के माध्यम से इस योजना की शुरूआत करते हुए, श्री संजय कुमार, सचिव- डिपार्टमेंट ऑफ स्कूल एजुकेशन ऐंड लिटरेसी ने कहा, “देश में डिजिटल सेवाओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. सीएससी के माध्यम से स्कूली शिक्षा में डिजिटल सेवाओं का अधिकतम लाभ उठा सकते हैं.” “हम चाहते हैं कि स्कूल में पढ़ने वाले सभी बच्चों को तत्काल प्रोविजिनल आपार प्रदान किया जाए. और इसको आधार से ऑथंटिकेट करके डिजी लॉकर से जोड़ा जाए. सीएससी की मदद से हमें इस काम में बड़ी मदद मिल सकती है. जल्दी ही सीएससी वीएलई इस सेवा की शुरूआत कर सकेंगे. यह प्रणाली स्कूली बच्चों की शिक्षा और भविष्य में उनकी उच्च शिक्षा को अधिक पारदर्शी और आसान बनाएगा.”
इस मौके पर सचिव- डिपार्टमेंट ऑफ हायर एजुकेशन, श्री के. संजय मूर्ति ने सरकार द्वारा शुरू किए गए नए प्रौद्योगिकी प्लेटफार्मों समर्थ और स्वयं के महत्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि छात्रों के लाभ के लिए समर्थ, स्वयं और दीक्षा (स्कूल स्तर पर) के लाभ उठाने पर जोर दिया जा रहा है. कई संस्थानों में ‘समर्थ’ लॉन्च किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि आपार आईडी और समर्थ के जरिए छात्रों तक पहुंचने में सीएससी की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होगी.
इस मौके पर अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के अध्यक्ष श्री अनिल सहस्रबुद्धे ने कहा – “यह आईडी बच्चों के साथ जीवनभर रहेगी. छात्र भविष्य में विभिन्न परीक्षा पास करके उनको क्रेडिटाइज भी कर सकेंगे. छात्रों को कहीं भी सर्टिफिकेट देने की जरूरत नहीं होगी. सिर्फ आपार आईडी देना ही पर्याप्त होगा.”

कार्यक्रम में सभी अतिथियों का अभिनंदन करते हुए, सीएससी एसपीवी के एमडी-सीईओ, संजय राकेश ने बताया, “आपार आईडी को लोकप्रिय बनाना इस समय बड़ी जरूरत है. हमारे वीएलई स्कूलों में जाएं और जरूरत पड़ने पर वहीं पर छात्रों का नामांकन करके आपार आईडी प्रदान करें.” “यह एक क्रांतिकारी पहल है जिसमें हम छात्रों के सभी रिकॉर्ड को एक जगह जोड़ सकते हैं. इससे अवैधानिक गतिविधियों पर भी लगाम लगेगी. बहुत से ऐसे स्कूल हैं जिनके पास ऑनलाइन सेवाओं के लिए बुनियादी ढांचा नहीं है. इस संबंध में सीएससी वीएलई इनकी बड़ी मदद सकते हैं.”
इस सेवा का सबसे बड़ा फायदा यह है कि स्टूडेंट को कॉलेजों में मल्टीपल एंट्री और एग्जिट का ऑप्शन भी मिलता है, यानी छात्र अगर पढ़ने के लिए कहीं बाहर जाता है तो वहां भी यह क्रेडिट मददगार होगी. इससे कैंडिडेट अपना एकाउंट खोल सकते हैं और किसी भी कॉलेज में मल्टीपल एंट्री या एग्जिट कर सकते हैं. उसके लिए उन्हें अलग से दस्तावेज नहीं दिखाने पड़ते बल्कि इन क्रेडिट की मदद से ही वे प्रक्रिया को आगे बढ़ा सकते हैं. एबीसी के माध्यम से क्रेडिट आराम से और हर जगह ट्रांसफर किए जा सकते हैं.

सीएससी के बारे में
सामान्य सेवा केंद्र (सीएससी) डिजिटल इंडिया मिशन का एक अभिन्न अंग हैं. वे देश भर के ग्रामीण और दूरदराज इलाकों में डिजिटल इंडिया सेवाओं की डिलीवरी करते हैं. ये सीएससी केंद्र डिजिटल इंडिया के विज़न को हासिल करने और डिजिटल और वित्तीय रूप से समावेशी समाज के लिए सरकार के लक्ष्य को पूरा करने में योगदान देते हैं.
सीएससी गवर्नेंस को बेहतर करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए भारत में ई-सेवाएं मुहैया कराते हैं. जरूरी सरकारी और सार्वजनिक उपयोगिता सेवाएं प्रदान करने के अलावा, सीएससी कई सामाजिक कल्याण योजनाएं, वित्तीय सेवाएं, शैक्षिक पाठ्यक्रम, कौशल विकास पाठ्यक्रम, स्वास्थ्य देखभाल, कृषि सेवाएं और डिजिटल साक्षरता भी प्रदान करते हैं.

क्या है अपार आई डी

आपार ऑटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक अकाउंट रजिस्ट्री का संक्षिप्त रूप, भारत में कम उम्र से ही सभी छात्रों के लिए डिज़ाइन की गई एक विशेष पहचान प्रणाली है। इस कार्यक्रम के तहत, प्रत्येक छात्र को आजीवन एपीएआर आईडी प्राप्त होगी, जो छात्रों, स्कूलों और सरकारी अधिकारियों के लिए पूर्व-प्राथमिक शिक्षा से उच्च शिक्षा तक शैक्षणिक प्रगति पर नज़र रखने की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करेगी। यह पहल ‘वन नेशन, वन स्टूडेंट आईडी’ कार्यक्रम का हिस्सा है, जो 2020 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति से लिया गया है