जलवायु परिवर्तन पर पूर्वोत्तर सम्मेलन में नवीन टिकाऊ समाधानों पर चर्चा की गई

दिल्ली राष्ट्रीय समाचार समाचार

कृषि में अनुकूल रणनीतियों की आवश्यकताप्राकृतिक आवासवनस्पति और महत्वपूर्ण जैव संसाधनों पर जलवायु परिवर्तन के हानिकारक प्रभावों को कम करने के लिए संरक्षण प्रयासों को जलवायु परिवर्तन पर पूर्वोत्तर सम्मेलन  ): अनुकूलन और लचीलापन पूर्वोत्तर सम्मेलन  (नॉर्थईस्ट कॉन्क्लेवएडेप्टेशन एंड रेसिलिएंस–   एनसीसीसीएआर2024) में उजागर किया गयाजो सभी पूर्वोत्तर राज्यों के विविध हितधारकों के समूहों  को एक साथ  ले लाया।

जलवायु परिवर्तन के प्रश्नों  से निपटने के लिए विशेष रूप से पूर्वोत्तर भारत की अनूठी क्षेत्रीय जलवायु के अनुरूप नवीन समाधानों के विकास को बढ़ावा देने के लिए तेजपुर विश्वविद्यालय में पर्यावरण विज्ञान विभाग में विज्ञानं और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी के उत्कृष्टता केंद्र द्वारा इस  दो दिवसीय सम्मेलन की मेजबानी की गई थी।

जलवायु परिवर्तन के संबंध में बढ़ती वैश्विक चिंता को रेखांकित करते हुएविज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटीमें जलवायुऊर्जा और सतत प्रौद्योगिकी (क्लाइमेटइनर्जी एंड सस्टेनेबल टेक्नोलॉजी– सीईएसटीप्रभाग की प्रमुख डॉअनीता गुप्ता ने 5 ई” – पारिस्थितिकीपर्यावरणअर्थव्यवस्था पारिस्थितिकी तंत्र  और ऊर्जा – और उनके बीच की जटिल गतिशीलता के महत्व पर प्रकाश डाला । उन्होंने बताया कि पूर्वोत्तर भारत के अत्यधिक विविध पारिस्थितिकी तंत्र के जलवायुपरिवर्तन संबंधी मुद्दों का गहन अध्ययन करने की आवश्यकता है।

डॉगुप्ता ने जलवायुसंबंधित अध्ययनों के लिए समर्पित एक पर्याप्त अनुसंधान समुदाय बनाने और हितधारकों  के सम्मेलन (सीओपीमें विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी)  की भागीदारी और  उसके  लक्ष्य पर भी बल दिया।

भारतीय विज्ञान संस्थान  (आईआईएससी),  बैंगलूरू  के जलवायु परिवर्तन और टिकाऊ प्रौद्योगिकियों के विशेषज्ञ प्रोफेसर एन एच रवींद्रनाथ ने इस अवसर पर कहा कि  डीएसटी समर्थित एक  शोध के अनुसारपूर्वोत्तर राज्य जलवायु जोखिमों के प्रति सबसे अधिक दुर्बल  और संवेदनशील हैं। अतः अनुकूलन नीतियों और कार्यक्रमों को विकसित करने में सरकारी विभागोंगैर सरकारी संगठनों और विकास चिकित्सकों की सहायता के लिए मॉडलडेटा और मानचित्रों को सहयोग और साझा करने के लिए क्षेत्र में अनुसंधान संस्थानों की तत्काल आवश्यकता है। साथ ही पूर्वोत्तर राज्यों में जलवायु परिवर्तन अनुसंधान के विकास और क्षमता निर्माण में डीएसटी के योगदान का लाभ उठाया जाना चाहिए ” 

तेजपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोशंभू नाथ सिंह ने पर्यावरण विज्ञान से संबंधित विभिन्न अनुसंधान क्षेत्रों में तेजपुर विश्वविद्यालय में पर्यावरण विज्ञान विभाग के योगदान पर चर्चा कीजबकि डीएसटी के  सीईएसटी प्रभाग के अंतर्गत जलवायुऊर्जा और सतत प्रौद्योगिकी में वरिष्ठ निदेशक वैज्ञानिक एफ डॉसुशीला नेगी ने मिशन जलवायु परिवर्तन के लिए राष्ट्रीय मिशन रणनीतिक ज्ञान (नेशनल मिशन ऑन स्ट्रैटेजिक नॉलेज फॉर क्लाइमेट चेंज एनएमएसकेसीसीऔर हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय मिशन (नेशनल मिशन फॉर सस्टेनिंग हिमालयन इकोसिस्टम एनएमएसएचईके अंतर्गत विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग की पहल पर प्रकाश डाला।

ये दोनों मिशन जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने और अनुकूलन रणनीतियों को तैयार करने के लिए समर्पित हैं। डॉनेगी ने इन राज्यों में अनुकूलन को प्राथमिकता देनेहस्तक्षेप करने और अनुकूलन क्षमता बढ़ाने की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित किया।

यह  आयोजन वैज्ञानिकोंशिक्षाविदोंशोधकर्ताओंयोजनाकारोंनीति निर्माताओं और क्षेत्र के विशेषज्ञों सहित हितधारकों को एक साथ लेकर आया  और इसने पूर्वोत्तर क्षेत्र में महत्वपूर्ण जलवायु परिवर्तन से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिए ज्ञान और विचारों के आदानप्रदान के लिए एक साझा मंच प्रदान किया।

उनकी चर्चा जलवायु परिवर्तनप्रेरित प्रभावों जैसे निवास स्थान की हानिकार्बन भंडारण में कमीफसल की पैदावार में गिरावटवन्य  वनस्पतियों  की प्रजातियों के वितरण में परिवर्तन और कैसे परिवर्तित जल चक्र संभावित रूप से स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएं प्रदान करने के लिए पारिस्थितिक तंत्र की क्षमता को कम कर सकने के साथ ही इनके मानव कल्याण पर पड़ने वाले संभावित दुष्प्रभावों   पर केंद्रित थी।

उद्घाटन समारोह में जलवायु परिवर्तन पर सारांशपूर्वोत्तर भारत में अनुकूलन और लचीलापन (कम्पेनडियम ऑन क्लाइमेट चेंज :एडेप्टेशनएंड रेसिलिएंस  नॉर्थईस्टर्न इंडिया‘ विषय पर एक पुस्तक का विमोचन किया गया और विभिन्न विश्वविद्यालयोंसंस्थानों और संगठनों के प्रतिनिधियों ने विभिन्न तकनीकी सत्रों में भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन पर अपनी अंतर्दृष्टि और दृष्टिकोण साझा किए। .पर्यावरण विज्ञान विभाग के प्रमुख प्रोकेमारीमुथुऔर प्रोफेसर आशालता देवीडीएसटी के सीओई पीआई और कार्यक्रम के संयोजकडॉबी.केतिवारी एवं सेवानिवृत्तइस अवसर पर पूर्वोत्तर पर्वतीय विश्विद्यालय (नार्थ– ईस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी एनईएचयू) , शिलांग के पर्यावरण विज्ञान विभाग के सेवा निवृत्त प्रोफेसर्स  भी इस अवसर पर  उपस्थित थे।

यह सम्मेलन पूर्वी हिमालयी क्षेत्र के दुर्बल  पारिस्थितिकी तंत्र (वल्नरेबल इकोसिस्टममें जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न गंभीर चुनौतियों से निपटने के लिए बातचीत और सहयोग को और बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था ।