रुद्रपुर, देवरिया- बरहज मार्ग पर रुद्रपुर पूर्वी बाईपास से पूरब महज 500 मीटर दूरी पर करमेल गांव में माता करमेल देवी का मंदिर स्थित है। यहां पर आवागमन के पर्याप्त साधन नही हैं फिर भी दर्शन करने के लिए लोगों का तांता लगा रहता है । मंदिर सदियों से आस्था केंद्र बना हुआ है। यहां दिल से मांगी गई हर मुराद पूरी होती हैं। नवरात्र में यहां नौ दिन पूजन-अर्चन का विशेष महत्व है। यह नवरात्र में सप्तमी अष्टमी व नवमी के दिन भव्य और दिव्या मेला लगता है,दिन-रात देवी का पूजन अर्चन होता है। जिसमें प्रत्येक वर्ष दूर-दूर से आए कलाकार और गायक देवी का भजन-कीर्तन व जागरण करते हैं ।
यहां आने के बाद लोग मन्नत मांगते हैं और पूरा होने के बाद यहां नारियल फोड़ने के साथ ही मां करमेल भगवती को चुनरी चढ़ाते हैं, अखंड कीर्तन- हवन आदि धार्मिक अनुष्ठान करते हैं, नवरात्र में यहां मेले जैसा माहौल बना रहता है, मंदिर का इतिहास सदियों पुराना है पहले उक्त स्थल पर केवल करमेल देवी का एक छोटा स्थान व बरगद के एक विशाल का है वृक्ष के पेड़ की पूजन अर्चन लोगों ने शुरू किया धीरे-धीरे लोगों में जब आस्था का संचार हुआ और सभी की मन्नत पूरी होने लगी तो यहां के पूर्व महंत स्वर्गीय नरसिंहदास के नेतृत्व में यहां लोगों ने भव्य मंदिर का निर्माण करवाया यहां पर रोजाना बड़ी संख्या में लोग दर्शन करने आते हैं ऐसी मान्यता है कि बरगद के वृक्ष का दर्शन करने व उसमे कलावा बांधने से सारे दुख कलेश और पीड़ा से मुक्ति मिल जाती है, मां के दरबार की भभूत मात्र से असाध्य रोग भी दूर हो जाते हैं यहां दर्शन के बाद आए श्रद्धालु प्रसाद के रूप में भभूत अपने घरों को लेकर जाते हैं
नवरात्र में दर्शन का विशेष महत्व
लोगों का मानना है कि बीमार और अस्वस्थ बच्चे बूढ़े जवान या पशु किसी को भी भभूत लगाने से निसंदेह आराम मिलता है, मंदिर की पुजारी ने बताया कि मां के दर्शन करने से भक्तों की मुराद पूरी होती है सरोज, तारा देवी, विमल आदि कई श्रद्धालुओं ने बताया कि माता के दरबार में मत्था टेकने से मेरी मनोकामना पूरी होती है प्रतिवर्ष नवरात्र में मां का आशीर्वाद लेने व दर्शन करने सपरिवार जरूर आते हैं उनकी कृपा से हमारा कुनबा फल- फूल रहा है एक दशक पूर्व आधुनिक तरीके से मंदिर को भव्य रूप से बनवाया गया और प्रत्येक नवरात्रि के समय में मंदिर को विशेष रूप से सजाया जाता है पूरी होती है मन की मुराद।