फर्जी डॉक्टर की डिग्री का अवैध इस्तेमाल कर अवैध क्लिनिक और डायग्नोस्टिक सेंटर चलाने वाले तीन अभियुक्त गिरफ्तार

उत्तर प्रदेश क्राइम & सुरक्षा गोरखपुर

गोरखपुर, उत्तर प्रदेश – वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के निर्देशानुसार धोखाधड़ी के अपराधों पर शिकंजा कसते हुए गोरखपुर पुलिस ने एक बड़े फर्जीवाड़े का पर्दाफाश किया है। फर्जी डॉक्टर की डिग्री का अवैध और कूटरचित प्रयोग कर अवैध क्लिनिक और डायग्नोस्टिक सेंटर संचालित करने वाले तीन अभियुक्तों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। इस गिरोह का खुलासा होते ही चिकित्सा जगत में सनसनी फैल गई है।

इस जालसाजी का खुलासा तब हुआ जब एक डॉक्टर ने थाना गुलरिहा में तहरीर दी कि उनके नाम की डिग्री का अवैध उपयोग कर किसी ने अवैध डायग्नोस्टिक सेंटर और अल्ट्रासाउंड सेंटर खोल रखा है। इस सूचना के आधार पर थाना स्थानीय पर मुकदमा पंजीकृत किया गया और पुलिस ने मामले की गहन जांच शुरू कर दी। जांच के दौरान यह सामने आया कि वादी की डिग्री का उपयोग कर गाजीपुर के जखनियां में अवैध डायग्नोस्टिक सेंटर संचालित हो रहा है। इस सेंटर का संचालक बृजेश लाल नामक व्यक्ति है, जिसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में बृजेश ने बताया कि उसे यह फर्जी डिग्री ओमप्रकाश गौतम ने 50,000 रुपये में बेची थी। इस पैसे का लेन-देन ओमप्रकाश गौतम के मकान मालिक के लड़के के खाते में किया गया था।

बृजेश ने आगे खुलासा किया कि जब उसे पता चला कि डॉक्टर ने उसकी फर्जी डिग्री के इस्तेमाल को लेकर मुकदमा दर्ज कराया है, तब ओमप्रकाश गौतम ने उसे एक और डॉक्टर की फर्जी डिग्री 50,000 रुपये में बेच दी। इस बार भुगतान एक महिला कर्मचारी के खाते में किया गया, जो ओमप्रकाश के क्लिनिक में काम करती थी।

पूछताछ में यह भी पता चला कि ओमप्रकाश गौतम ने पटना से अवैध डेंटिस्ट का डिप्लोमा बनवाकर वाराणसी के जाल्हूपुर में आदर्श डेंटल एंड आई क्लिनिक खोला हुआ था। यह फर्जी डिग्री उसे वाराणसी के चौबेपुर में स्थित सहारा अस्पताल के संचालक दीपक विश्वकर्मा ने 35,000 रुपये में दी थी।  दीपक विश्वकर्मा से पूछताछ के दौरान पुलिस को यह महत्वपूर्ण जानकारी मिली कि यह गिरोह क्लिनिक खोलने के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में डॉक्टरों की फर्जी डिग्री का इस्तेमाल करता था। दीपक ने यह भी खुलासा किया कि उसे ये फर्जी डिग्रियां उसके अस्पताल में काम करने वाले सुहैल नामक व्यक्ति से मिलती थीं, जिसकी तलाश जारी है। इसके अलावा, जांच के दौरान यह तथ्य भी सामने आया कि अभियुक्तों के मोबाइल फोन में अन्य डॉक्टरों की फर्जी डिग्रियां, बातचीत की रिकॉर्डिंग और लेन-देन के प्रमाण भी मिले हैं। वर्तमान में वाराणसी में संचालित “जीवन ज्योति क्लिनिक” का रजिस्ट्रेशन भी इसी तरह से किया गया था, जिसके संबंध में आगे की कानूनी कार्यवाही की जा रही है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर चलाए गए इस विशेष अभियान के तहत पुलिस अधीक्षक नगर के मार्गदर्शन और क्षेत्राधिकारी गोरखनाथ के पर्यवेक्षण में प्रभारी निरीक्षक गुलरिहा और उनकी टीम ने आरोपियों को गिरफ्तार करने में सफलता पाई। इस मामले में मु0अ0सं0 414/2024 धारा 420, 419, 467, 468, 471, 120बी भादवि के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।

पुलिस ने तीन मुख्य अभियुक्तों – बृजेश लाल, ओमप्रकाश गौतम और दीपक विश्वकर्मा को गिरफ्तार कर लिया है और उनके खिलाफ अग्रिम विधिक कार्यवाही की जा रही है। वहीं, इस फर्जीवाड़े से जुड़े अन्य लोगों की भी तलाश जारी है।

इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कैसे धोखेबाजों ने चिकित्सा जैसे पवित्र पेशे को भी अपने स्वार्थों के लिए दूषित कर दिया है। यह समाज के लिए एक चेतावनी है कि वे अवैध चिकित्सा प्रतिष्ठानों और फर्जी डॉक्टरों से सावधान रहें। पुलिस की इस त्वरित और प्रभावी कार्रवाई ने अपराधियों के मंसूबों पर पानी फेर दिया है, लेकिन समाज को भी सतर्क रहना होगा और ऐसी अवैध गतिविधियों की सूचना तुरंत पुलिस को देनी होगी। पुलिस ने आश्वासन दिया है कि इस मामले की गहराई से जांच की जा रही है और दोषियों को जल्द ही उनके किए की सजा दिलाई जाएगी।