संवाददाता- चंद्रप्रकाश मौर्य, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश
करवल उर्फ मझगावां, गोरखपुर: गणपति बप्पा मोरया, यह नारा जैसे ही गूंजता है, हर भक्त के हृदय में भगवान गणेश के प्रति श्रद्धा और प्रेम उमड़ आता है। इसी भावपूर्ण वातावरण में करवल उर्फ मझगावां के प्रतिष्ठित प्रधान संदीप मोदनवाल द्वारा इस वर्ष गणेश भगवान का विसर्जन कार्यक्रम बड़े धूमधाम और विधिपूर्वक संपन्न किया गया। गणेशोत्सव के इस अंतिम चरण में गांववासियों ने भावभीनी विदाई देते हुए रकहट नदी के पवित्र जल में गणपति बप्पा का विसर्जन किया।
धार्मिक श्रद्धा और परंपरा का संगम
गणेश विसर्जन का यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक था, बल्कि पूरे गांव के लिए एक उत्सव का माहौल भी बना रहा। प्रधान संदीप मोदनवाल की अगुवाई में गांववासियों ने भगवान गणेश की प्रतिमा को रकहट नदी तक ले जाने के लिए एक भव्य शोभायात्रा निकाली। यह यात्रा गांव के मुख्य मार्गों से होकर गुजरी, जहां हर गली, हर चौक पर लोगों ने श्रद्धा और भक्ति के साथ गणपति बप्पा को विदाई दी। शोभायात्रा में ढोल-नगाड़ों की गूंज, रंग-बिरंगी अबीर-गुलाल की छटा और भक्तों के उत्साह ने इस अवसर को और भी खास बना दिया।
गणपति विसर्जन: परंपरा और पर्यावरण संरक्षण का मेल
प्रधान संदीप मोदनवाल ने इस कार्यक्रम के दौरान पर्यावरण संरक्षण का भी खास ध्यान रखा। रकहट नदी में गणपति विसर्जन के दौरान यह सुनिश्चित किया गया कि कोई भी हानिकारक सामग्री पानी में ना जाए, जिससे नदी का प्राकृतिक सौंदर्य और स्वच्छता बनी रहे। विसर्जन के बाद नदी की साफ-सफाई का विशेष प्रबंध भी किया गया, जो पर्यावरण के प्रति गांववासियों की जागरूकता को दर्शाता है। यह कदम न केवल धार्मिक परंपरा का पालन था, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अनुकरणीय उदाहरण भी पेश किया गया।
सामुदायिक एकता और भाईचारे का प्रतीक
इस गणेश विसर्जन के कार्यक्रम ने करवल उर्फ मझगावां गांव में एकता और सामूहिकता का अद्भुत संदेश दिया। गांव के हर उम्र के लोग, चाहे बच्चे हों या बुजुर्ग, महिलाएं हों या पुरुष, सभी ने बढ़-चढ़कर इस आयोजन में हिस्सा लिया। इस तरह के आयोजन न केवल धार्मिक उत्सव होते हैं, बल्कि सामाजिक समरसता और भाईचारे को भी प्रोत्साहित करते हैं।
आस्था और उल्लास के बीच बप्पा को दी विदाई
गणेश विसर्जन के समय गांववासियों की आंखों में जहां बप्पा के प्रति श्रद्धा और प्रेम का भाव था, वहीं अगले वर्ष फिर से आने की कामना भी थी। “गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ” के जयकारे के साथ भक्तों ने भावपूर्ण विदाई दी। प्रधान संदीप मोदनवाल ने इस अवसर पर कहा, “गणेश उत्सव हमारे लिए सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि हमारे गांव की सामाजिक और सांस्कृतिक धरोहर है। हम हर वर्ष इसे और भी बड़े उत्साह और श्रद्धा से मनाने की कोशिश करेंगे।”
समारोह की सफलता: गांववासियों का सहयोग और समर्पण
इस कार्यक्रम की सफलता के पीछे प्रधान संदीप मोदनवाल और उनकी टीम के अथक प्रयासों के साथ-साथ पूरे गांववासियों का सहयोग और समर्पण भी शामिल था। गांव की महिलाओं ने इस अवसर पर विशेष पकवान बनाकर प्रसाद वितरण किया, जबकि युवाओं ने शोभायात्रा और विसर्जन की पूरी प्रक्रिया को सहज और व्यवस्थित बनाने में अहम भूमिका निभाई।
आस्था और परंपरा का संदेश
करवल उर्फ मझगावां के इस गणेश विसर्जन कार्यक्रम ने यह संदेश दिया कि आस्था और परंपरा का पालन करते हुए हम अपने समाज और पर्यावरण के प्रति भी जिम्मेदार रह सकते हैं। इस आयोजन के माध्यम से प्रधान संदीप मोदनवाल ने न केवल धार्मिक परंपराओं को निभाया, बल्कि गांववासियों को एकजुट होकर सामाजिक कार्यों में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए भी प्रेरित किया। इस तरह, गणेश विसर्जन का यह भव्य आयोजन करवल उर्फ मझगावां के लोगों के दिलों में एक अनमोल याद के रूप में दर्ज हो गया। गांववासी अब अगले वर्ष फिर से भगवान गणेश के आगमन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, जब वे पुनः एक बार बप्पा का स्वागत धूमधाम से करेंगे।