आजमगढ़ विश्वविद्यालय का ऐतिहासिक प्रथम दीक्षांत समारोह भव्यता के साथ संपन्न: महामहिम राज्यपाल ने बेटियों के उज्जवल भविष्य का किया आह्वान

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संवाददाता- मनोज कुमार सिंह, आजमगढ़,  उत्तर प्रदेश

आजमगढ़, 23 सितंबर— महाराजा सुहेलदेव राज्य विश्वविद्यालय, आजमगढ़ का प्रथम दीक्षांत समारोह 2024 अत्यंत गौरवमयी और भव्यता के साथ संपन्न हुआ। महामहिम राज्यपाल एवं कुलाधिपति श्रीमती आनंदी बेन पटेल ने दीक्षांत समारोह का विधिवत शुभारंभ किया, जहाँ उपस्थित छात्र-छात्राओं और विशिष्ट अतिथियों ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।

समारोह की शुरुआत राष्ट्रगीत और पर्यावरण संरक्षण पर आधारित गीत से हुई, जिसके बाद कुलगीत की विशेष प्रस्तुति ने सभी का मन मोह लिया। अपने प्रेरणादायी संबोधन में महामहिम राज्यपाल ने आजमगढ़ की पवित्र भूमि का गौरव गान करते हुए, महाराजा सुहेलदेव और प्राचीन ऋषियों को नमन किया। उन्होंने बताया कि गोल्ड मेडल प्राप्त करने वाले 83 छात्रों में से 75% बेटियां हैं, जो समाज में महिलाओं की बढ़ती प्रगति का प्रतीक है।

राज्यपाल ने बेटियों की शिक्षा पर दिया विशेष जोर: उन्होंने बेटियों के अधिकारों और शिक्षा की अनिवार्यता पर बल देते हुए कहा कि परिवारों को बेटियों और बेटों के बीच भेदभाव नहीं करना चाहिए। साथ ही, प्रधानमंत्री की बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना का उल्लेख करते हुए, उन्होंने बेटियों के महत्व और समानता की दिशा में काम करने की अपील की।

समारोह में गोल्ड मेडल्स और प्रशस्ति पत्र वितरित: कला, विज्ञान, वाणिज्य, कानून, शिक्षा और कृषि के कुल 83 मेधावी छात्रों को गोल्ड मेडल प्रदान किए गए, जिनमें 65 छात्राओं की भागीदारी रही। इसके अतिरिक्त, आंगनबाड़ी के 24 बच्चों, 5 प्रधानाध्यापकों, 8 शिक्षकों को भी प्रशस्ति पत्र और किट देकर सम्मानित किया गया।

अति विशिष्ट और विशिष्ट अतिथियों का गरिमामयी संबोधन: पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राघवेंद्र तिवारी ने छात्रों को कर्मयोग का आह्वान करते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति के महत्व पर जोर दिया। उच्च शिक्षा मंत्री श्री योगेंद्र उपाध्याय और राज्य मंत्री श्रीमती रजनी तिवारी ने विश्वविद्यालय की प्रगति पर संतोष व्यक्त किया और बेटियों की सफलता पर विशेष बधाई दी।

महामहिम राज्यपाल का संदेश: राज्यपाल ने छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा कि वे हमेशा अपने मेडल की गरिमा बनाए रखें और समाज के लिए प्रेरणास्रोत बनें। उन्होंने मुद्रा लोन योजना का भी उल्लेख किया और युवाओं से नौकरियों पर आश्रित न रहकर स्वरोजगार की दिशा में कदम बढ़ाने का आह्वान किया।

इस ऐतिहासिक कार्यक्रम ने न केवल विश्वविद्यालय के छात्रों को सम्मानित किया, बल्कि समाज को एक सकारात्मक संदेश दिया कि शिक्षा और समानता के साथ देश का भविष्य उज्जवल हो सकता है।