रेलवे स्टेशनों पर कमजोर बच्चों की सुरक्षा के लिए बड़ा कदम: भारतीय रेल और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने संशोधित एसओपी की शुरुआत की

दिल्ली

नई दिल्ली, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और भारतीय रेल ने एक ऐतिहासिक पहल के तहत कमजोर बच्चों की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए एक संशोधित मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) लॉन्च की है। इस नई एसओपी के माध्यम से देशभर के रेलवे स्टेशनों पर बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा को नई ऊंचाईयों पर पहुंचाने का संकल्प दोहराया गया है। भारतीय रेल ने मानव तस्करी और बाल शोषण की रोकथाम के लिए ‘ऑपरेशन एएएचटी’ और ‘ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते’ जैसे विशेष अभियानों को भी सफलतापूर्वक लागू किया है।

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सचिव, श्री अनिल मलिक ने कहा, “हमारी सरकार का उद्देश्य है कि महिलाओं और बच्चों के लिए रेल यात्रा सुरक्षित और सहज हो। इस दिशा में भारतीय रेल की सभी आवश्यक पहलों को हमारा पूर्ण समर्थन और वित्तीय सहायता प्राप्त होगी।” मंत्रालय ने प्रमुख रेल स्टेशनों पर चेहरा पहचान तकनीक और सीसीटीवी कैमरों की स्थापना जैसे उपायों की सराहना की, जो महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को और मजबूत बनाने में सहायक साबित होंगे।

आरपीएफ के डीजी, श्री मनोज यादव ने बताया कि आरपीएफ ने बीते वर्षों में 57,000 से अधिक बच्चों को मानव तस्करी से बचाया है और ‘ऑपरेशन एएएचटी’ के अंतर्गत 2,300 से अधिक बच्चों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया गया है। आरपीएफ ने ‘ऑपरेशन मेरी सहेली’ जैसी पहल भी की है, जो विशेष रूप से अकेली महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करती है।

भारतीय रेल और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने मुख्य रेलवे स्टेशनों पर बाल सहायता डेस्क (सीएचडी) के विस्तार की घोषणा की है। इसके साथ ही, देश के विभिन्न रेल स्टेशनों पर मानव तस्करी विरोधी इकाइयों (एएचटीयू) की स्थापना को भी प्राथमिकता दी जा रही है। यह पहल विशेष रूप से गुजरात, पंजाब, असम, हरियाणा, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में प्रभावी होगी, जहां बच्चों के तस्करी के मामले अधिक देखने को मिलते हैं।

महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए ‘निर्भया फंड’ के तहत रेलवे स्टेशनों पर सीसीटीवी कैमरे और फेस रिकग्निशन सिस्टम जैसी सुविधाएं स्थापित की जाएंगी। एमओडब्ल्यूसीडी सचिव ने कहा कि निर्भया फंड का उपयोग उन योजनाओं के लिए भी किया जाएगा जो बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने में कारगर सिद्ध होती हैं।संशोधित एसओपी मिशन वात्सल्य के दिशा-निर्देशों का अनुसरण करते हुए तैयार की गई है। यह सुनिश्चित करेगी कि रेलवे कर्मचारियों को बच्चों की पहचान, सहायता, और बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) से संपर्क में रहते हुए उनकी देखभाल और दस्तावेजीकरण का प्रशिक्षण मिले।

इस नई पहल के माध्यम से सरकार का उद्देश्य है कि रेलवे परिसरों को बच्चों और महिलाओं के लिए एक सुरक्षित स्थान बनाया जाए। भारतीय रेल और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय का यह समर्पण देश के सबसे बड़े यातायात माध्यम को एक ऐसे प्लेटफार्म में बदलने की दिशा में महत्वपूर्ण है, जो न केवल सुरक्षा बल्कि सामाजिक भलाई का भी प्रतीक हो। इस तरह की व्यापक सुरक्षा व्यवस्थाएं समाज में एक विश्वास जगाने का प्रयास हैं, जिससे कि महिलाएं और बच्चे अपने हर सफर में सुरक्षित महसूस करें।