ब्यूरो रिपोर्ट – प्रेम कुमार शुक्ल, अमेठी
अमेठी। भाजपा सरकार में अगडाई लेतीं उफनाती हुईं शोसल मीडिया का दंभ अब दम तोड़ रही हैं। पहले आओ पहले पाओ की स्कीम सरकार से कई गुना बिजली आपूर्ति धडाम हो चुकी है। दिन दहाड़े किसान बिजली की कटौती से आजिज है। तो रात्रि में बिजली की आनापूरति से घरों में कैद नर नारी बच्चों की नींद उड़ा दी है। मच्छरों के हमले के बीच लोग करवट बेड, तख्त, चरमाराई पर बदल रहे हैं। अतिवृष्टि होने से सफाई व्यवस्था चरमाराई हुईं हैं और सीलन से मच्छरों की संख्या बढ़ वढती जा रहीं हैं। इसके रोक थाम का पैसा सार्वजनिक शौचालय के नाम पर डकार चुके हैं। महिलाओं को प्रति माह दो हजार रुपये मानदेय के नाम उनका ध्यान भटकाया जा रहा है। सफाई कर्मचारी को धन उगाही का प्रशासन साधन बना चुका है। नवरात्रि पर्व पर बिजली की कटौती लोगों को अन्धेरे में हिन्दुत्व और राष्ट्रबाद को याद करने का मौका भाजपा केन्द्र – प्रदेश सरकार दे रहीं हैं। योगी मोदी तो बिजली की चौबीस घंटे के पहरेदारी में दिन रात गुजार रहे हैं और गुजरात माडल की बात बिकास और निर्माण में कर रहे हैं। लेकिन मोबाइल फोन नम्बर के नेटवर्क घरों के अन्दर से गायब है। लेकिन कौन कहे की दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रजातंत्र में जनादेश की साझेदारी अब भारत के उत्तर प्रदेश में बिलुप्त होती जा रही है। बिधायक सांसद को ऐसी समस्याओं को दूर करने और सुनने के लिए मौका नहीं है। ऐसे में जुझारू, संघर्षशील, कर्मठ नेताओं में युवा तुर्क नेता एवं पूर्व मंत्री आशीष शुक्ल, ब्लाक प्रमुख भेटुआ आकर्ष शुक्ल, पूर्व विधायक बैजनाथ सिंह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की याद आती है। सोहावल फैजाबाद से बिजली अमेठी लाने वाले तत्कालीन बिधायक बैजनाथ सिंह 1967 में रहे। संघर्ष की कहानी रह गई हैं। जो जनता की सुनें उसकी सरकार सांसद बिधायक भी सुनने को राजी नहीं हैं। लेकिन जनता ने सबको सबक सिखा दिया। भाजपा समर्थित प्रमुख प्रत्याशी भेटुआ संदीप कुमार सिंह उर्फ राजू सिंह जहां अपना भी वोट नहीं पाए और सिफर पर सिमट गए। और जिसकी मदद हुईं उनकी भी करारी शिकस्त मिलीं। सांसद बिधायक और सत्तारूढ़ पार्टी की करारी हार हुई। ऐसे जन प्रिय संघर्ष शील जुझारू नेताओं को प्रजातंत्र जिन्दा रखने के लिए समय को जरूरत है। सामाजिक दूरी भी कम होगी। समस्याओं से निजात पाने के लिए जनता वदलाव की राह पकडने के लिए अब मजबूर हैं।।