आलू की खेती से पाये अधिक आय – डॉ एस पी सिंह

अमेठी

ब्यूरो प्रमुख – एन. अंसारी, गोरखपुर

गोलाबाजार गोरखपुर ।आलू एक प्रमुख नगदी फसल है आलू का उपयोग लगभग सभी परिवारों में किसी ने किसी रूप में किया जाता है। इसमें  स्टार्च प्रोटीन विटामिन- सी और खनिज लवण प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। उक्त बातें आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र बेलीपार गोरखपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ एस पी सिंह गोला तहसील क्षेत्र के जानीपुर में प्रगतिशील किसान इंद्र प्रकाश सिंह के फार्म हाउस पर उपस्थित किसान भाइयों को जानकारी देते हुए कहीं।आगे कहा कि आलू की खेती के लिए दोमट एवं बलुई दोमट भूमि जिसने जीवांश की प्रचुर मात्रा हो उपयुक्त होती है। मध्य समय की किस्में- कुफरी पुखराज कुफरी अरुण कुफरी लालिमा कुफरी बहार आदि को नवंबर के प्रथम सप्ताह में बुवाई कर दें एवं देर से बोने के लिए कुफरी बादशाह कुफरी सिंदूरी कुफरी देवा आदि की बुवाई नवंबर के अंतिम सप्ताह तक अवश्य कर दें। खेत की तैयारी के लिए 3 से 4 गहरी जुताई करके मिट्टी अच्छी प्रकार से भुरभुरी बना लें एवं बुवाई से पूर्व प्रति एकड़ 55 किलोग्राम यूरिया 87 किलोग्राम डीएपी या 250 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट एवं 80 किलोग्राम एम ओ पी को मिट्टी में मिला दें एवं शेष 45 किलोग्राम यूरिया बुवाई के 30 दिन बाद प्रयोग करें । खेत की तैयारी के समय 100 किलोग्राम जिप्सम प्रति एकड़ प्रयोग करने से अच्छे परिणाम मिलते हैं। बुवाई से पूर्व कंद को 3 प्रतिशत बोरिक एसिड या पेंसीकुरान (मानसेरिन) 250मिली/8कुन्तल कंद या पेनफ्लूफेन (इमेस्टो) 100मिली /10कुन्तल कंद की दर से बीज उपचार करके ही बुवाई करें। बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी रखें एवं उचित दूरी पर लाइन से लाइन 50 से 60 सेंटीमीटर एवं कंद से कंद 15 सेंटीमीटर की दूरी पर बुवाई करें ।बुवाई के 7 से 10 दिन के बाद हल्की सिंचाई कर दें । खरपतवार नियंत्रण हेतु खरपतवार में दो से चार पत्ती आने पर मेट्रिब्यूज़ीन 7 प्रतिशत डब्ल्यूपी 100 ग्राम मात्रा 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें। इस अवसर पर  रामअधार यादव  अभिषेक राय रामानंद यादव सहित किसान भाई मौजूद रहे।

 

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