सेमरी की चौपाल में समस्याओं का अंबार उप जिलाधिकारी की उपस्थिति में लगी चौपाल

आजमगढ़

 

संवाददाता विनोद यादव

महाराजगंज विकासखंड के घाघरा से उत्तर गोरखपुर जनपद के बॉर्डर पर स्थित सेमरी गांव में सोमवार सुबह 10:00 बजे उपजिलाधिकारी सगड़ी गौरव कुमार की अध्यक्षता में एक चौपाल का आयोजन किया गया जिसमें ग्रामीणों ने राजस्व शिक्षा बाल पुष्टाहार मुख्यमंत्री आवास वृद्धा पेंशन एवं राशन वितरण से संबंधित तमाम समस्याएं उठाई गई चौपाल के दौरान उपस्थित संबंधित विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों कर्मचारियों द्वारा 8 लोगों के राशन कार्ड का ऑनलाइन आवेदन तथा वृद्धा पेसन 6 एक विकलांग व एक विधवा पेंशन से संबंधित आवेदन ऑनलाइन किया गया ।वहीं राजस्व से जुड़े तीन मामलों का निस्तारण हेतु निर्देशित किया गया ।इस दौरान श्रम विभाग से अमरजीत पूर्ति विभाग से सुनील पांडे महिला एवं बाल पुष्टाहार विभाग परियोजना अधिकारी रीता सिंह मुख्य सेविका सरस्वती देवी सहायक विकास अधिकारी कृष्ण विजय श्रीवास्तव सहायक विकास अधिकारी सहकारिता संतोष कुमार खरवार बी ई ओ विजय प्रकाश पशु चिकित्सा अधिकारी बृजभूषण और क्षेत्रीय वन अधिकारी प्रमोद कुमार सहायक विकास अधिकारी पंचायत मनोज कुमार श्रीवास्तव आदि लोग उपस्थित रहे। उप जिलाधिकारी सगड़ी गौरव कुमार ने कहा कि इस चौपाल का उद्देश्य है शासन द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के संबंध में लोगों को जागरूक करना वह उसका लाभ दिलाना है। क्योंकि यह क्षेत्र जनपद का सबसे दूर क्षेत्र है जहां से जिला मुख्यालय की दूरी लगभग 85 किलोमीटर तथा विकासखंड व थाने की दूरी कमहरिया घाट से लगभग 30 किलोमीटर पड़ती है। योजनाओं का लाभ लेने के लिए लोगों को काफी मशक्कत उठानी पड़ती है ।इसलिए संबंधित विभागों के अधिकारियों के साथ मौके पर पहुंचकर लोगों की समस्याओं का निराकरण कराने व लाभ पहुंचाने का प्रयास किया गया है। कंबल पाकर कंबल वितरण के दौरान कुछ के चेहरे पर खुशी तो कुछ हुए दुखी सेमरी गांव में आयोजित चौपाल के दौरान जरूरतमंद बुजुर्गों को कंबल डेयरी हेतु उप जिलाधिकारी द्वारा बुलाया गया तो काफी संख्या में बुजुर्ग महिला पुरुष जरूरतमंद एकत्रित हो गए जिसमें से मात्र लगभग दो दर्जन लोगों को ही कंबल वितरित किया जा सका।और कंबल समाप्त हो गया बाकी लोग कंबल की आस में लगे रहे और उप जिलाधिकारी के चेहरे की तरफ आशा भरी नजरों से देखते रहे। लेकिन उन्होंने कंबल ना पाने वाले बुजुर्गों को आश्वासन देना भी मुनासिब नहीं समझा और गाड़ी में सवार होकर चल दिए। जिससे कंबल ना पाने वाले जरूरतमंदों को मायूस वापस लौटना पड़ा।

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