स्वच्छता अभियान को ठेंगा दिखाते हुए कूड़े और जाम नालियां, प्रधान की भी नहीं सुनते हैं सफाईकर्मी

गोरखपुर

स्वच्छता अभियान को ठेंगा दिखाते हुए कूड़े और जाम नालियां, प्रधान की भी नहीं सुनते हैं सफाईकर्मी

ब्यूरो प्रमुख – एन अंसारी गोरखपुर

 

बांसगांव – गोरखपुर । विकास खण्ड बांसगांव क्षेत्र के ग्राम पंचायत गोड्सरी में स्थानीय लोगों ने नाराजगी जताते हुए कहा कि गाँव मे सफाई कर्मियों की तैनाती होने बावजूद भी नहीं होती है साफ सफाई जिससे गम्भीर बीमारी फैलने का डर लगा रहता है ।

बताते चले कि विकास खण्ड बांसगांव क्षेत्र के ग्राम पंचायत गोड्सरी में प्रधानमंत्री के द्वारा स्वच्छ भारत अभियान चलाया गया कि हर गांव में सरकार ने सफाईकर्मी तैनात कर दी है। लेकिन सभी योजनाएं और सोंच धरा का धरा ही रह गया। जैसे ठेंगा दिखाता हुआ ग्राम सभा गोड्सरी में बंद व भ्रष्ट पड़ी नालियां, नालियों की स्थिति देखने से ऐसा प्रतीत होता है , की काफी दिनों से इस ग्राम सभा की नालियों की सफाई नहीं हुई है, गन्दगी के कारण भयंकर बीमारी फैलने का डर है। जाम नालियों के कारण गाँव के अंदर गन्दगी का अंबार लगा हुआ है। तथा अब गर्मी का सृजन आ रहा है । मच्छरों का प्रकोप भी बढ़ते जा रहा है। जिससे आम जनमानस को काफी दिक्कतें हो रही हैं । स्थानीय ग्रामीणों के द्वारा बताया गया की गाँव के अंदर सफाईकर्मी आते ही नहीं है। एक सफाईकर्मी तो गाँव की ही निवासिनी है जो आज तक पंचायत भवन तक नहीं देखी है । अगर गाँव के लोग कभी कुछ कहते हैं तो महिला सफाईकर्मी के परिवार वाले मनबढ़ किस्म के हैं जो विवाद करने पर उतर जाते हैं । दूसरा सफाईकर्मी अजय पासवान है। वह भी किसी की नहीं सुनता है । यहां तक कि प्रधान की बात भी नहीं सुनता है । केंद्र सरकार का भ्रष्टाचार खत्म का नारा मुख्यमंत्री के गृह जनपद में दे रहा है चुनौती ।

ग्राम प्रधान गोड्सरी राजेश कसौधन से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि मेरे ग्राम सभा मे दो सफाईकर्मियों की ड्यूटी लगी है, एक महिला व एक पुरुष बन्दना शर्मा पत्नी दिनेश शर्मा जो इसी ग्राम सभा की हैं । आज तक कभी गाँव मे ड्यूटी नहीं कि है। दूसरा अजय पासवान है। अजय पासवान कभी कभी आते हैं घूम फिरकर चले जाते हैं । भ्रष्ट पड़ी नालियों की सफाई करने के लिए कहा जाता है तो वह सुनते ही नहीं है। अपनी मनमानी करते है । इस बात की शिकायत सम्बंधित अधिकारी से की गई लेकिन सफाईकर्मियों को कोई फर्क नहीं पड़ा। यहां तक कि ग्राम प्रधान की बातों को मानने से इंकार कर देते हैं ।

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