खजनी, गोरखपुर: जमीनी विवाद में दो पक्षों के बीच मारपीट, भाजपा नेता पर आरोप
खजनी, गोरखपुर– खजनी थाना क्षेत्र के मऊ धर मंगल सिंगार चौबे गांव में जमीनी विवाद के चलते दो पक्षों के बीच जमकर मारपीट हुई। इस घटना ने गांव में तनाव का माहौल पैदा कर दिया है। भाजपा नेता विनोद पांडे सरया तिवारी के गांव के एक व्यक्ति द्वारा जमीन बैनामा करवाने और कब्जा करने के प्रयास को लेकर यह विवाद उत्पन्न हुआ।
मामले की जड़ में एक जमीनी विवाद है, जिसमें दूसरे पक्ष ने आपत्ति दर्ज कराई थी कि जमीन का बंटवारा अभी तक नहीं हुआ है। इस आपत्ति के बाद दोनों पक्षों के बीच लाठी-डंडों से मारपीट शुरू हो गई। सूचना मिलते ही 112 नंबर पुलिस तत्काल घटनास्थल पर पहुंची और दोनों पक्षों को थाने ले आई। चोटिल व्यक्तियों को प्राथमिक उपचार के लिए मेडिकल परीक्षण हेतु भेजा गया।
दोनों पक्षों द्वारा थाने में तहरीर दी जा रही है। एक पक्ष ने भाजपा नेता विनोद पांडे पर जबरन जमीन कब्जा करने का गंभीर आरोप लगाया है। उनका कहना है कि मना करने पर विनोद पांडे के समर्थकों ने लाठी-डंडों से हमला किया, जिसमें दूसरे पक्ष का एक व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गया और उसका सिर फट गया।खजनी थाना प्रभारी ने बताया कि दोनों पक्षों की तहरीर के आधार पर मामला दर्ज किया जा रहा है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और दोनों पक्षों के बयान लिए जा रहे हैं। प्राथमिक उपचार के बाद घायलों की स्थिति स्थिर बताई जा रही है।
इस घटना के बाद गांव में तनाव का माहौल बना हुआ है। स्थानीय लोगों में भय और आक्रोश व्याप्त है। पुलिस की त्वरित कार्रवाई ने स्थिति को काबू में किया, लेकिन इस विवाद ने गांव की शांति को भंग कर दिया है। विनोद पांडे के ऊपर लगे गंभीर आरोपों ने राजनीतिक माहौल को भी गरमा दिया है। गांव के कुछ लोगों का कहना है कि जमीन विवाद को लेकर विनोद पांडे ने अपनी ताकत का दुरुपयोग किया है, जबकि पांडे के समर्थकों का कहना है कि यह आरोप निराधार हैं और सच्चाई जांच के बाद ही सामने आएगी।
गोरखपुर के खजनी क्षेत्र में जमीनी विवाद को लेकर हुई इस मारपीट की घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। पुलिस की त्वरित कार्रवाई ने फिलहाल स्थिति को नियंत्रण में रखा है, लेकिन इस विवाद ने गांव की शांति को बुरी तरह प्रभावित किया है। मामले की निष्पक्ष जांच से ही सच्चाई सामने आ सकेगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस घटना ने एक बार फिर से यह स्पष्ट कर दिया है कि जमीनी विवाद न केवल व्यक्तिगत बल्कि सामुदायिक तनाव को भी जन्म देते हैं, जिन्हें समय पर सुलझाना अत्यंत आवश्यक है।