राष्ट्रीय ध्वज में लिपटे रतन टाटा: एक युग का अंत, इतिहास के सुनहरे पन्नों का समापन
मुंबई:भारत ने आज अपने महान उद्योगपति और समाजसेवी रतन टाटा को अंतिम विदाई दी। राष्ट्रीय ध्वज में लिपटा रतन टाटा का पार्थिव शरीर, जो जीवनभर भारतीय उद्योग और समाजसेवा के प्रतीक रहे, NCPA लॉन में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया, जहां हजारों लोगों ने उनके अंतिम दर्शन कर अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
रतन टाटा: सिद्धांतों और सेवा का प्रतीक
रतन टाटा का जाना न केवल भारतीय व्यापार जगत के लिए एक बड़ी क्षति है, बल्कि यह एक ऐसे युग का अंत है, जिसने उसूलों के साथ कारोबार करने की मिसाल कायम की। उन्होंने अपने लाभ को कल्याण और समाजसेवा के लिए लगाया, और अपनी सादगी, उदारता और नेतृत्व से करोड़ों लोगों के दिलों में जगह बनाई। उनके सिद्धांत, जिसने यह सिखाया कि व्यवसाय सिर्फ मुनाफा कमाने का नहीं, बल्कि समाज की सेवा का साधन है, उन्हें हमेशा एक प्रेरणास्त्रोत बनाए रखेगा।
इतिहास के सुनहरे पन्नों का समापन
टाटा समूह के प्रमुख रतन टाटा के निधन को समाज के हर तबके में गहरे शोक और सम्मान के साथ देखा गया। जिन व्यक्तित्व ने भारतीय उद्योग को वैश्विक स्तर पर नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया, उनका जाना इतिहास के सुनहरे पन्नों का समापन है। रतन टाटा की सरलता, सादगी और राष्ट्र निर्माण के प्रति उनका समर्पण हमेशा हमें प्रेरित करता रहेगा।
जनता का अंतिम दर्शन
NCPA लॉन में उनका पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए रखा गया, जहां आम जनता से लेकर प्रमुख उद्योगपति, नेता और समाजसेवी उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे। लोगों के चेहरे पर भावुकता और कृतज्ञता साफ दिखाई दे रही थी, क्योंकि वे उस व्यक्तित्व को अलविदा कह रहे थे, जिन्होंने समाज और देश के उत्थान के लिए अपनी पूरी जिंदगी समर्पित कर दी।
महान रतन टाटा को अंतिम विदाई
रतन टाटा के निधन के बाद उनके जाने का शोक पूरे देश में फैल गया है। उनके जीवन से जुड़े अनगिनत किस्से और उनकी महानता की कहानियाँ लोगों की जुबान पर हैं। वे अपने पीछे एक ऐसा विरासत छोड़ गए हैं, जिसे आने वाली पीढ़ियाँ हमेशा याद रखेंगी। रतन टाटा को हमारी ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि। उनका जाना केवल एक उद्योगपति का जाना नहीं है, बल्कि एक युग का अंत है, जिसने भारतीय समाज और उद्योग जगत में अमिट छाप छोड़ी है।