इन्फोसिस की छंटनी से सदमे में सैकड़ों फ्रेशर्स – दो साल इंतजार के बाद मिली नौकरी, छह महीने में ही बाहर!
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नई दिल्ली। देश की आईटी इंडस्ट्री से एक बड़ी और झकझोर देने वाली खबर सामने आई है। आईटी दिग्गज इन्फोसिस (Infosys) ने अपने मैसूर कैंपस में 700 से अधिक फ्रेशर्स को नौकरी से निकाल दिया, जिससे युवा कर्मचारियों के भविष्य पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। यह वही युवा हैं, जिन्होंने दो साल तक इंतजार किया, अपने करियर के सपनों को साकार करने के लिए कई अवसर ठुकराए और जब आखिरकार उन्हें सितंबर 2024 में ज्वाइनिंग मिली, तो सिर्फ छह महीने में उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
छंटनी से सदमे में युवा, सोशल मीडिया पर गुस्सा
छंटनी का शिकार हुए फ्रेशर्स ने जब अपने परिवारों को यह खबर दी, तो घरों में निराशा और चिंता की लहर दौड़ गई।
सोशल मीडिया पर भी इन्फोसिस के इस फैसले की कड़ी आलोचना हो रही है। एक यूजर ने लिखा,
"यह दिल तोड़ने वाला है! इन फ्रेशर्स ने इन्फोसिस के ऑफर लेटर के चलते 2 साल तक इंतजार किया, कई मौके छोड़े और अब 6 महीने में ही उन्हें बेरोजगार बना दिया गया।"
NITES का आरोप – कर्मचारियों को डराने के लिए बुलाए गए बाउंसर!
आईटी कर्मचारियों की यूनियन ‘नैसेंट इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी इम्प्लॉइज सीनेट (NITES)’ के चेयरमैन हरप्रीत सिंह सलूजा ने इस छंटनी को 'अनैतिक' करार दिया है। उन्होंने दावा किया कि इन्फोसिस ने कर्मचारियों को बाहर निकालने के दौरान बाउंसर और सिक्योरिटी गार्ड्स तैनात किए, जिससे युवा प्रोफेशनल्स मानसिक रूप से और भी अधिक दबाव में आ गए।
इन्फोसिस का बचाव – ‘टेस्ट पास नहीं कर सके, इसलिए हटाया’
इन्फोसिस ने छंटनी पर सफाई देते हुए कहा कि फ्रेशर्स को शुरुआती ट्रेनिंग के बाद इंटरनल टेस्ट पास करना होता है, जिसके तीन मौके दिए जाते हैं। फेल होने वालों को कंपनी में बनाए रखना संभव नहीं था। हालांकि, प्रभावित कर्मचारियों का कहना है कि जानबूझकर कठिन टेस्ट बनाए गए ताकि उन्हें बाहर किया जा सके।
क्या इन्फोसिस की '70 घंटे वर्क कल्चर' नीति का यह असर?
इन्फोसिस के फाउंडर एन. नारायण मूर्ति पहले ही ‘70 घंटे वर्क कल्चर’ की वकालत कर चुके हैं, जिससे कंपनी की नीतियों पर बहस छिड़ी हुई है। अब जब बड़े पैमाने पर फ्रेशर्स को निकाला गया, तो सवाल उठने लगे हैं – क्या आईटी कंपनियां अपने कर्मचारियों पर जरूरत से ज्यादा दबाव बना रही हैं?
युवाओं का भविष्य अंधकार में, आईटी सेक्टर में छंटनी का खतरा बढ़ा?
इन्फोसिस का यह कदम सिर्फ एक कंपनी तक सीमित नहीं रह सकता। आईटी इंडस्ट्री पहले से ही बिजनेस अनिश्चितताओं और ऑटोमेशन के चलते जॉब कट्स देख रही है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या आने वाले समय में और भी फ्रेशर्स इसी स्थिति का शिकार होंगे? फिलहाल, छंटनी के इस बड़े फैसले ने आईटी सेक्टर में नौकरी की स्थिरता को लेकर चिंता बढ़ा दी है। क्या इन्फोसिस अपने इस फैसले पर पुनर्विचार करेगी या युवा प्रोफेशनल्स को अपने करियर के लिए नए रास्ते तलाशने होंगे? यह देखने वाली बात होगी।