'वोकल फॉर लोकल' की गूंज के साथ दिव्य कला मेला: जम्मू में 14 से 24 फरवरी तक सजेगा हुनर और संस्कृति का भव्य मंच

'वोकल फॉर लोकल' की गूंज के साथ दिव्य कला मेला: जम्मू में 14 से 24 फरवरी तक सजेगा हुनर और संस्कृति का भव्य मंच
  • दिव्यांग शिल्पकारों, कलाकारों और उद्यमियों की अद्भुत कारीगरी का उत्सव, 20 राज्यों के 100 हुनरमंदों की भागीदारी

जम्मू | 14-24 फरवरी 2025

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाते हुए, 24वां दिव्य कला मेला 14 से 24 फरवरी, 2025 तक गुलशन ग्राउंड, जम्मू में आयोजित होने जा रहा है। यह आयोजन न केवल देशभर के दिव्यांग शिल्पकारों और उद्यमियों की कारीगरी का भव्य मंच बनेगा, बल्कि उनके आर्थिक सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम भी साबित होगा।

केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के अंतर्गत दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग (DEPwD) और राष्ट्रीय दिव्यांगजन वित्त और विकास निगम (NDFDC) के सहयोग से आयोजित यह मेला दिव्यांगजनों की प्रतिभा, मेहनत और कौशल को राष्ट्रीय पहचान दिलाने का बेहतरीन अवसर प्रदान करेगा। केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार इस भव्य मेले का उद्घाटन करेंगे, जिसमें कई गणमान्य व्यक्ति, सरकारी अधिकारी और कला प्रेमी भाग लेंगे।

हुनर और संस्कृति का अनोखा संगम

दिव्य कला मेले में 20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से आए लगभग 100 दिव्यांग शिल्पकार, कलाकार और उद्यमी अपने शानदार हस्तनिर्मित उत्पादों, पारंपरिक कला और नवीन डिजाइनों की झलक पेश करेंगे। इस मेले में शामिल वस्तुएं न केवल उनके हुनर को दर्शाएंगी बल्कि भारतीय कला और संस्कृति की विविधता को भी उजागर करेंगी।

इस भव्य आयोजन में निम्नलिखित श्रेणियों के उत्पाद देखने और खरीदने को मिलेंगे:

  • गृह साज-सज्जा और जीवनशैली – पारंपरिक और आधुनिक कलाकृतियां
  • वस्त्र एवं परिधान – कढ़ाईदार वस्त्र, हथकरघा परिधान
  • लेखन सामग्री एवं पर्यावरण अनुकूल उत्पाद – हस्तनिर्मित स्टेशनरी और इको-फ्रेंडली प्रोडक्ट्स
  • पैकेटबंद और ऑर्गेनिक खाद्य पदार्थ – क्षेत्रीय स्वादों की अनूठी पेशकश
  • खिलौने और उपहार – हस्तनिर्मित और परंपरागत खिलौने
  • निजी उपयोग वस्तुएं, आभूषण, पर्स और बैग – अनोखे और स्टाइलिश कलेक्शन

सांस्कृतिक रंगों से सजेगा मेला

दिव्य कला मेले की भव्यता सिर्फ हस्तशिल्प और उत्पादों तक सीमित नहीं होगी, बल्कि यह एक संपूर्ण सांस्कृतिक महोत्सव के रूप में उभरेगा। 11 दिनों तक चलने वाले इस आयोजन में दिव्यांग कलाकारों और प्रसिद्ध पेशेवरों द्वारा संगीतमय और नृत्य प्रदर्शन होंगे, जिससे मेला और भी आकर्षक और मनोरंजक बन जाएगा।

24 फरवरी, 2025 को एक विशेष सांस्कृतिक प्रस्तुति ‘दिव्य कला शक्ति’ का आयोजन होगा, जिसमें दिव्यांग कलाकार अपनी अद्भुत प्रतिभा से दर्शकों का मन मोह लेंगे। इसके अलावा, विभिन्न राज्यों के पारंपरिक व्यंजनों के स्टॉल भी लगाए जाएंगे, जिससे लोग भारतीय स्वादों का आनंद ले सकेंगे।

समावेशी अनुभव और नवाचार का मंच

इस मेले की खास बात यह है कि यह सिर्फ एक व्यापारिक आयोजन नहीं, बल्कि दिव्यांगजनों की क्षमता, आत्मनिर्भरता और समावेशन का जश्न होगा। इसके अंतर्गत:

  • संवादमूलक अनुभव क्षेत्र – जहां विभिन्न प्रकार की दिव्यांगता के बारे में जानकारी मिलेगी
  • दिव्यांगजन खेल गतिविधियां – विशेष रूप से डिजाइन किए गए इनोवेटिव स्पोर्ट्स
  • नवीन सहायक उपकरणों की प्रदर्शनी – दिव्यांगजनों के लिए अत्याधुनिक उपकरणों का प्रदर्शन

‘वोकल फॉर लोकल’ की नई उड़ान

भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान को आगे बढ़ाते हुए, यह मेला दिव्यांग कारीगरों और उद्यमियों को नई पहचान और नए अवसर प्रदान करेगा। इससे न केवल स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि दिव्यांगजनों की आत्मनिर्भरता का सपना भी साकार होगा।

पिछले वर्षों में यह मेला दिल्ली, मुंबई, भोपाल, गुवाहाटी, जयपुर, बेंगलुरु, चेन्नई, पटना, नागपुर, पुणे सहित कई शहरों में आयोजित हो चुका है और हर बार इसे जबरदस्त सफलता मिली है। जम्मू में हो रहे इस आयोजन से भी बड़ी संख्या में दर्शकों के उमड़ने की उम्मीद है।

एक अवसर, जो बदल सकता है भविष्य

24वां दिव्य कला मेला केवल एक व्यापारिक और सांस्कृतिक आयोजन नहीं, बल्कि दिव्यांगजनों के लिए सशक्तिकरण और सामाजिक समावेशन का एक महापर्व होगा। इस मेले के माध्यम से दिव्यांगजन अपनी रचनात्मकता और क्षमता को दुनिया के सामने ला सकेंगे, जिससे वे आर्थिक रूप से मजबूत बनेंगे और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में योगदान देंगे।

अगर आप भारतीय कला, संस्कृति और हुनर के सच्चे प्रेमी हैं, तो 14 से 24 फरवरी, 2025 तक गुलशन ग्राउंड, जम्मू जरूर आएं और इस ऐतिहासिक मेले का हिस्सा बनें।

समय: सुबह 11:00 बजे से रात 9:00 बजे तक
स्थान: गुलशन ग्राउंड, जम्मू

आइए, दिव्यांगजनों के हुनर को सराहें और ‘वोकल फॉर लोकल’ की आवाज़ को और बुलंद करें!