संस्कार, सेवा और समर्पण की मिसाल बना सामूहिक विवाह समारोह

संस्कार, सेवा और समर्पण की मिसाल बना सामूहिक विवाह समारोह

37 जोड़ों ने लिए वैदिक मंत्रों के साथ सात फेरे, संस्था ने दिया गृहस्थ जीवन के लिए पूर्ण सहयोग

क्राइम रिपोर्टर गोरखपुर | नरसिंह यादव | कैमरा मैन - कौस्तुभ तिवारी

बड़हलगंज के खड़े सरी ग्राम सभा में आयोजित मानव शिक्षा सेवा संस्थान द्वारा आयोजित दहेज रहित सामूहिक विवाह समारोह न केवल समाज के लिए प्रेरणा बना, बल्कि गरीब बेटियों के जीवन में खुशियों का नया सूरज भी लेकर आया।

संस्था के प्रबंधक आलोक कुमार गुप्ता के नेतृत्व में आयोजित इस आयोजन में कुल 37 जोड़ों ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ विवाह बंधन में बंधकर जीवन की नई शुरुआत की। प्रारंभिक योजना के अनुसार 44 जोड़ियों का विवाह होना था, पर कुछ कारणों से 7 जोड़े अनुपस्थित रहे।

हर माह होगी बेटियों की शादी

संस्था द्वारा यह सत्रहवाँ सामूहिक विवाह कार्यक्रम था। संस्था ने संकल्प लिया है कि हर महीने जरूरतमंद बेटियों की शादी कराई जाएगी, जिससे समाज में बेटियों के सम्मान को नई पहचान मिले। यह कार्यक्रम क्षेत्रीय जनमानस के बीच चर्चा और सराहना का विषय बन गया है।

हर जोड़े को मिला गृहस्थी का संपूर्ण सामान

विवाहित जोड़ियों को बेड सेट, अलमारी, बर्तन सेट सहित गृहस्थ जीवन के लिए सभी जरूरी सामान संस्था द्वारा उपहारस्वरूप प्रदान किया गया। यह मदद सिर्फ सामान की नहीं, आत्मसम्मान की भी थी।

मुख्य व विशिष्ट अतिथि ने दिया आशीर्वाद

कार्यक्रम में विश्व हिंदू रक्षा परिषद के प्रदेश अध्यक्ष श्री शिखर गुप्ता मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए और सभी नवविवाहितों को आशीर्वाद प्रदान किया।
विशिष्ट अतिथि श्रीमती पूनम गुप्ता एवं ज्योतिषाचार्य दुर्गेश पांडेय द्वारा वैदिक विधि से विवाह कार्यक्रम सम्पन्न कराया गया।

सादगी, संस्कार और सेवा का संगम

इस कार्यक्रम में जो भी उपस्थित हुआ, वह संस्कार, सादगी और समाजसेवा की त्रिवेणी में डूब गया। संस्था की अध्यक्षा प्रिया गुप्ता, जन सेवा अस्पताल के डॉ. रमेश चंद्र व डॉ. सुनीता चंद्र, जिलाध्यक्ष भूपेंद्र दीक्षितअभिषेक राय समेत सैकड़ों गणमान्यजन व ग्रामीण उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का संचालन भी अभिषेक राय ने कुशलता से किया।

विधायक की प्रेरणा से शुरू हुई पहल

संस्थान के प्रबंधक आलोक गुप्ता ने बताया कि यह प्रेरणा उन्हें चिल्लूपार विधायक श्री राजेश त्रिपाठी से मिली थी। शुरुआत में केवल 4 जोड़ों के विवाह का संकल्प था, लेकिन जनसहयोग और संगठन की भावना से आज यह संख्या सैकड़ों की ओर बढ़ रही है।

कुछ विवाहित जोड़ियों के नाम

शिवरत्न - सीमा, रणधीर - रोली, नरसिंह - अनुराधा, दीपक - निशा, रामकेश - शिवानी, पन्नेलाल - निधि, संजय - बबली आदि शामिल रहे।


सामूहिक विवाह जैसे आयोजन न सिर्फ सामाजिक बुराइयों के खिलाफ एक सकारात्मक पहल हैं, बल्कि एक ऐसा सशक्त संदेश हैं कि समाज जब साथ आता है, तो बदलाव अवश्य संभव होता है।