गोरखपुर: चिमचा गांव में खूनी संघर्ष, महिला समेत पांच गंभीर रूप से घायल — पुरानी रंजिश ने लिया उग्र रूप

रिपोर्ट: क्राइम रिपोर्टर, गगहा क्षेत्र, गोरखपुर (उत्तर प्रदेश)
गोरखपुर जिले के गगहा थाना अंतर्गत ग्राम सभा चिमचा में बुधवार की शाम एक पुरानी रंजिश ने भयावह रूप धारण कर लिया। दो पक्षों के बीच हुई भीषण मारपीट और हथियारों से हमले में एक महिला सहित कुल पांच लोग गंभीर रूप से घायल हो गए, वहीं दूसरे पक्ष के एक व्यक्ति को भी चोटें आई हैं।
क्या है मामला?
घटना का कारण बना साइकिल बनवाने के दौरान हुई कहासुनी और पुराने मछली के पट्टा को लेकर विवाद। एक पक्ष की महिला द्वारा दी गई तहरीर के अनुसार, गांव के कुछ लोग शुक्रवार की शाम लगभग 6 से 7 बजे धारदार हथियारों से लैस होकर घर में घुस आए और उन्होंने जानलेवा हमला कर दिया।
इस हिंसक हमले में महिला को सिर में गंभीर चोटें आई हैं और हाथ फैक्चर हो गया है। महिला का इलाज गोरखपुर जिला अस्पताल में चल रहा है। घायल महिला के पति, बेटा और अन्य परिजन भी हमले में जख्मी हुए हैं।
इलाज और अस्पताल में भर्ती
घायलों को तत्काल जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां महिला की हालत गंभीर बताई जा रही है।
देर रात की तोड़फोड़, घर में मचाई तबाही
पीड़ित पक्ष ने बताया कि रात करीब 11 बजे हमलावरों ने दोबारा उनके घर पर हमला किया और भारी तोड़फोड़ कर सामानों को क्षति पहुंचाई, जिससे आर्थिक नुकसान भी हुआ है।
पुलिस की कार्रवाई
गगहा थाने की पुलिस ने दोनों पक्षों की तहरीर के आधार पर दोनों ओर से मुकदमा दर्ज कर लिया है।
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प्रथम पक्ष की ओर से एक नामजद सहित कई अज्ञात लोगों पर मारपीट, तोड़फोड़ और जानलेवा हमले की धाराओं में केस दर्ज हुआ है।
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दूसरे पक्ष ने चार लोगों पर छेड़छाड़ समेत अन्य धाराओं में तहरीर दी है, जिस पर भी मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।
गगहा पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच शुरू कर दी है। थानाध्यक्ष के अनुसार:
"जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कठोरतम कार्रवाई की जाएगी। कानून अपने हिसाब से फैसला करेगा।"
गांव के छोटे-छोटे विवाद जब जातिगत तनाव और पुरानी दुश्मनी का रूप ले लेते हैं, तब ऐसे घटनाक्रम सामने आते हैं जो सामाजिक सौहार्द्र को तोड़ने का काम करते हैं।
अब देखना होगा कि पुलिस की निष्पक्ष जांच और त्वरित कार्रवाई इस मामले में क्या निष्कर्ष लाती है और गांव में शांति और न्याय कैसे बहाल होता है।
यह घटना न केवल गोरखपुर प्रशासन के लिए चेतावनी है, बल्कि समाज के लिए भी एक सबक – कि संवाद और समाधान, हिंसा से कहीं अधिक शक्तिशाली होते हैं।