कोलकाता में मेसी का GOAT टूर बना अव्यवस्था का प्रतीक, 50 हजार फैन्स मायूस लौटे
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- 22 मिनट में टूट गया फुटबॉल प्रेमियों का सपना!
जिस दिन को भारतीय फुटबॉल इतिहास में स्वर्णिम अध्याय बनना था, वही दिन अव्यवस्था, वीआईपी संस्कृति और बदइंतजामी की भेंट चढ़ गया। दिग्गज फुटबॉलर और फीफा वर्ल्ड कप विजेता लियोनेल मेसी का कोलकाता दौरा, जिसका इंतज़ार फैन्स वर्षों से कर रहे थे, महज़ 22 मिनट में सिमटकर रह गया। हजारों रुपये के टिकट खरीदकर आए करीब 50,000 दर्शक उस पल को तरसते रह गए, जिसके लिए वे साल्ट लेक स्टेडियम पहुंचे थे।
उम्मीदों का शहर, सपनों का खिलाड़ी
कोलकाता — जिसे भारत की फुटबॉल राजधानी कहा जाता है — शनिवार को एक ऐतिहासिक क्षण का गवाह बनने जा रहा था। GOAT टूर के तहत शहर की दूसरी यात्रा पर आए लियोनेल मेसी से उम्मीद की जा रही थी कि यह दिन भारतीय फुटबॉल को नई पहचान देगा। फैन्स को लगा था कि वे अपने आदर्श को नज़दीक से देख पाएंगे, उनकी झलक, उनका मुस्कुराता चेहरा और शायद एक यादगार लम्हा हमेशा के लिए दिल में कैद कर सकेंगे।
सुबह से ही उमड़ा जनसैलाब
शनिवार तड़के से ही साल्ट लेक स्टेडियम के बाहर उत्साह चरम पर था।
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सुबह 8 बजे गेट खोल दिए गए
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11:30 बजे मेसी अपने इंटर मियामी के साथी लुईस सुआरेज़ और रोड्रिगो डी पॉल के साथ मैदान में उतरे
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हजारों फैन्स ने गगनभेदी तालियों से उनका स्वागत किया
कुछ पलों के लिए लगा कि वाकई इतिहास बन रहा है।
लेकिन फिर… सब कुछ बिखर गया
मेसी के मैदान में कदम रखते ही जो हुआ, उसने पूरे आयोजन की पोल खोल दी। राजनेता, वीवीआईपी, पुलिस अधिकारी, सुरक्षाकर्मी और सेल्फी लेने को आतुर लोगों ने मेसी को चारों ओर से घेर लिया। देखते ही देखते एक मानवीय घेरा बन गया, जिसके कारण स्टैंड में बैठे आम दर्शकों को अपने हीरो की झलक तक नसीब नहीं हुई। चार हजार रुपये से ज्यादा के टिकट खरीदने वाले फैन्स बेबस होकर यह नज़ारा देखते रह गए। जिस खिलाड़ी को देखने वे आए थे, वही खिलाड़ी उनसे कोसों दूर, वीआईपी भीड़ में फंसा हुआ था।
मुस्कान में छिपी असहजता
हैरानी और हल्की मुस्कान के साथ मेसी ने मैदान का एक धीमा चक्कर लगाने की कोशिश की। उन्होंने कुछ पूर्व खिलाड़ियों को ऑटोग्राफ भी दिए, लेकिन हालात काबू से बाहर होते चले गए।
अव्यवस्था बढ़ती गई, सुरक्षा घेरा सख्त होता गया और आम दर्शक खुद को ठगा हुआ महसूस करने लगे।
22 मिनट और खत्म हो गया सपना
जो आयोजन घंटों चलने वाला था, वह महज़ 22 मिनट में समाप्त हो गया। मेसी मैदान से बाहर चले गए और स्टेडियम में रह गई—
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निराशा
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गुस्सा
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और सवालों की गूंज
❓ सवालों के घेरे में आयोजन
यह घटना केवल एक असफल आयोजन नहीं, बल्कि भारतीय खेल प्रबंधन पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न है।
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क्या वीआईपी संस्कृति खेल प्रेमियों से बड़ी हो गई?
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क्या आम दर्शक की भावनाओं की कोई कीमत नहीं?
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क्या ऐसे आयोजनों में भविष्य में भी फैन्स सिर्फ भीड़ बनकर रह जाएंगे?
फुटबॉल प्रेमियों के दिल पर चोट
कोलकाता के फुटबॉल प्रेमियों के लिए यह दिन जश्न का नहीं, निराशा का दिन बन गया। जिस मेसी को वे वर्षों से टीवी स्क्रीन पर देखते आए थे, उसे अपनी आंखों से देखने का सपना अधूरा रह गया।
लियोनेल मेसी का कोलकाता दौरा एक सुनहरा अवसर था—भारतीय फुटबॉल को वैश्विक मंच पर चमकाने का। लेकिन बदइंतजामी, वीआईपी दबाव और अव्यवस्था ने इस मौके को एक चेतावनी में बदल दिया। अगर भविष्य में भारत को खेलों का सच्चा उत्सव मनाना है, तो सबसे पहले खिलाड़ियों से ज्यादा सम्मान दर्शकों को देना होगा।
क्योंकि खेल सितारों से नहीं,
उनसे प्यार करने वाले फैन्स से ज़िंदा रहते हैं…






