फर्जी पिता का नाम चढ़ाकर संपत्ति हड़पने की साजिश! दुलारी नगर में ‘राजेंद्र’ बना कुसमा के गले की फांस — पत्नी पुनीता ने लिखित शिकायत से और बढ़ाई उलझन
- आर.वी.9 न्यूज़ | प्रेम कुमार शुक्ल, अमेठी, उत्तर प्रदेश
भरोसे से जन्मी सबसे बड़ी बेईमानी का खेल!
अमेठी जनपद के मुसाफिरखाना तहसील अंतर्गत दुलारी नगर इन दिनों एक बेहद चौंकाने वाले मामले को लेकर सुर्खियों में है। एक परिवार, जिसने दया और ममता की मिसाल बनते हुए एक बच्चे का पालन-पोषण पढ़ाई-लिखाई और शादी-ब्याह तक का हर दायित्व निभाया, आज उसी बच्चे की धोखाधड़ी का शिकार बन गया है। कुसमा और उनके पति फूलचंद ने जिस राजेंद्र को बेटे की तरह अपनाया, आज वही राजेंद्र फर्जी पिता का नाम लगवाकर उनकी चल-अचल संपत्ति पर कब्जा करने की चाल चल रहा है। मामला इतना उलझा हुआ है कि इसमें राजेंद्र की पत्नी पुनीता द्वारा महिला थाना में दी गई शिकायत ने आग में घी डालने का काम कर दिया है।
मौसी ने बनाया बेटा, बेटा बना गले की फांस — फर्जी नाम का खेल शुरू!
कहानी शुरू होती है उस वक्त से, जब राजेंद्र के माता-पिता का देहांत हो गया था। छोटे से बच्चे को सहारा दिया उसकी मौसी कुसमा ने। उन्होंने न सिर्फ उसकी परवरिश की, बल्कि—
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पढ़ाई-लिखाई करवाई,
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शादी-ब्याह तक का हर खर्च उठाया,
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और लगभग 20 लाख रुपये उसकी जिंदगी संवारने में लगा दिए।
कुसमा और फूलचंद ने उसे बेटा मानकर हर वह सुविधा दी जो असल माता-पिता देते हैं। परंतु विदेश जाने के बाद राजेंद्र और उसकी पत्नी पुनीता का व्यवहार कुसमा से बदलने लगा।
पत्नी पुनीता की शिकायत बनी ‘चिंगारी’
राजेंद्र के विदेश जाने पर उसकी पत्नी पुनीता ने महिला थाना में लिखित शिकायत देकर यह आरोप लगाया कि— “मेरे शादी का सामान लौटा दो!” कुसमा इस शिकायत को सुनकर हैरान रह गईं। उन्हें तब पता चला कि जिस परिवार को उन्होंने अपना सब कुछ दिया, वही परिवार अब उन्हें उलझाने की तैयारी कर रहा है।
फर्जी दस्तावेज़ में पिता के नाम की अदला-बदली!
कुसमा ने जब डॉक्यूमेंट की जांच करवाई तो एक हैरान करने वाला सच सामने आया —राजेंद्र ने अपने सभी आधिकारिक दस्तावेज, जैसे—
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आधार कार्ड
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राशन कार्ड
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अन्य पहचान पत्र
में अपने असली पिता ‘बहादुर’ का नाम हटवाकर, फूलचंद (कुसमा के पति) का नाम दर्ज करवा लिया!
यानी, बिना किसी कानूनी गोद लेने की प्रक्रिया के, सीधे फर्जी रूप से पिता का नाम बदल दिया गया।
संपत्ति पर कब्जे की साजिश?
कुसमा का आरोप है कि— “अगर समय रहते मुझे न्याय नहीं दिया गया तो राजेंद्र और उसकी पत्नी मेरी चल-अचल संपत्ति पर कब्जा कर सकते हैं। मुझे धमकाया भी जा रहा है।” उन्होंने जिलाधिकारी को प्रार्थना पत्र देकर फर्जी दस्तावेज रद्द करने, और फूलचंद-कुसमा के नाम वापस बहाल करने की मांग की है।
कुसमा न्याय की राह देख रही — विभाग की कार्रवाई बनेगी ‘इंसाफ’ या ‘अनदेखी’?
दुलारी नगर का यह मामला लोगों के बीच चर्चा का विषय बन चुका है। एक परिवार जिसने अपनी ममता, मेहनत और जीवनभर की कमाई एक अनाथ समझकर किसी पर लुटा दी, आज वही परिवार धोखे का शिकार हो गया है। राजेंद्र की पत्नी पुनीता द्वारा शिकायत देकर मामला और उलझ गया है, जिससे यह साफ है कि इस पूरे प्रकरण में गहरी साजिश की बू आ रही है। अब सबकी निगाहें जिलाधिकारी और संबंधित विभागों पर टिकी हैं—क्या कुसमा को न्याय मिलेगा?
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क्या फर्जी दस्तावेज़ रद्द कर राजेंद्र की चाल नाकाम होगी?
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या फिर कुसमा एक मां जैसी महिला होते हुए भी दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हो जाएगी?
समय बताएगा कि प्रशासन इस धोखाधड़ी को रोक पाता है या नहीं, लेकिन एक बात साफ है— यह मामला मानवीय विश्वास और फर्जीवाड़े की सबसे कड़वी कहानी बन चुका है।






