वणक्कम काशी! महर्षि अगस्त्य की धरा पर 'काशी-तमिल संगमम्' का भव्य शुभारंभ

वणक्कम काशी! महर्षि अगस्त्य की धरा पर 'काशी-तमिल संगमम्' का भव्य शुभारंभ

वाराणसी, बाबा विश्वनाथ की पावन नगरी, आज एक ऐतिहासिक सांस्कृतिक मिलन की साक्षी बनी! भारत की सनातन ऋषि परंपरा के महान प्रतीक, महर्षि अगस्त्य को समर्पित 'काशी-तमिल संगमम्' के तृतीय संस्करण का शुभारंभ आज भव्य उल्लास के साथ हुआ।

इस गरिमामयी अवसर पर माननीय केंद्रीय मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान जी एवं केंद्रीय राज्य मंत्री Dr. L. Murugan जी की उपस्थिति ने इस महायज्ञ को और भी गौरवमयी बना दिया। यह आयोजन भारत की समृद्ध सांस्कृतिक एकता और 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' की भावना को और अधिक सशक्त करता है।

आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के दूरदर्शी विजन को साकार करने वाला यह महोत्सव उत्तर और दक्षिण भारत के बीच सांस्कृतिक सेतु का कार्य कर रहा है। काशी और तमिलनाडु—दोनों की धार्मिक और आध्यात्मिक विरासत को एक मंच पर लाने वाला यह संगम न केवल ज्ञान और परंपरा की धरोहर को सहेजता है, बल्कि राष्ट्रीय एकता की अमिट छाप भी छोड़ता है।

इस पावन अवसर पर इस महाआयोजन से जुड़ने वाले सभी विद्वानों, कलाकारों, साहित्यकारों एवं श्रद्धालुओं का हृदय से अभिनंदन। यह धरोहरों का संगम, भाषाओं का आलिंगन और परंपराओं का महोत्सव है—जो भारत की सांस्कृतिक एकात्मता को एक नई ऊँचाई पर ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है।

वन्दे काशी! वणक्कम तमिल नाडु!

????संस्कृति के इस महापर्व के प्रति हमारी मंगलमय शुभकामनाएँ!