जंगल है तो मंगल है – मंत्री ने किया वृक्षारोपण और कृषि वानिकी का महत्व उजागर
प्रयागराज में आयोजित विशेष मेले को संबोधित करते हुए श्री सिंह ने कहा कि वृक्ष केवल आय या कृषि भूमि की उत्पादकता तक सीमित नहीं, बल्कि समाज और पर्यावरण दोनों की जीवन रेखा हैं। उन्होंने जोर देते हुए कहा—
“रोपा गया प्रत्येक पेड़ स्वच्छ वायु, जल सुरक्षा और बेहतर स्वास्थ्य में योगदान देता है। बढ़ती हरियाली जैव विविधता को संरक्षित करती है और आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षा कवच का काम करती है।”
मुख्य संदेश
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किसानों और समुदायों को खेतों, बंजर भूमि व चरागाहों पर वृक्षारोपण के लिए प्रेरित किया गया।
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वनों के अनियंत्रित दोहन और शहरीकरण से पैदा हुई चुनौतियों पर चिंता जताई गई।
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कृषि वानिकी, गैर-लकड़ी वन उत्पादों और सतत भूमि उपयोग प्रथाओं को ग्रामीण आजीविका और पारिस्थितिक संतुलन का आधार बताया गया।
तकनीकी व सांस्कृतिक रंग
???? विशेषज्ञों ने चिनार, गम्हार, मोरिंगा, बाँस, मेलिया दुबिया, चंदन, सागौन, यूकेलिप्टस और महोगनी जैसी प्रजातियों पर विस्तृत चर्चा की।
???? किसानों को वृक्षारोपण, खेती, प्रसंस्करण और विपणन पर व्यावहारिक ज्ञान दिया गया।
???? सांस्कृतिक कार्यक्रम में प्रयागराज के कलाकारों ने लोक आल्हा गायन, जादू, कठपुतली और नाटक “जंगल है तो मंगल है” के जरिए हरियाली का संदेश प्रभावशाली ढंग से फैलाया।
सम्मान व प्रेरणा
कार्यक्रम में क्षेत्र के प्रगतिशील किसानों को वृक्षारोपण और कृषि वानिकी में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए सम्मानित भी किया गया।
यह आयोजन न सिर्फ पर्यावरणीय चेतना जगाने का माध्यम बना, बल्कि किसानों और समाज को हरियाली और समृद्धि की साझा राह पर आगे बढ़ने की प्रेरणा भी दी। ????






