हिमालयी हौसले की उड़ान: अमरपाटन की अंजना ने माउंट एल्ब्रुस फतह कर लहराया तिरंगा, बन गईं देश की शान

हिमालयी हौसले की उड़ान: अमरपाटन की अंजना ने माउंट एल्ब्रुस फतह कर लहराया तिरंगा, बन गईं देश की शान

 मैहर/अमरपाटन (मध्य प्रदेश):
देश की बेटियों में अगर जज़्बा हो, तो कोई भी चोटी ऊंची नहीं होती—इस बात को साबित कर दिखाया है अमरपाटन की वीर बेटी अंजना ने। 27 जुलाई की सुबह 6:00 बजे, यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एल्ब्रुस (ऊंचाई: 5,642 मीटर / 18,510 फीट) पर तिरंगा लहराकर अंजना ने न सिर्फ अपने क्षेत्र का, बल्कि पूरे भारतवर्ष का मान बढ़ाया।

कड़ाके की ठंड, सांसों की लड़खड़ाहट और माइनस तापमान की बर्फीली हवाओं के बीच जब शरीर जवाब देने लगा, तो अंजना का हौसला हिमालय से भी ऊंचा हो गया। ऑक्सीजन की कमी से जब कदम डगमगाने लगे, तब एक शेरपा दाई ने ऑक्सीजन बैग पकड़ाया और उसी पल अंजना ने अपने सपनों को ‘शिखर’ पर पहुंचा दिया।


एक बेटी का सपना, जो बना करोड़ों बेटियों की प्रेरणा
अंजना का यह पर्वतारोहण सिर्फ एक व्यक्तिगत जीत नहीं है, यह उन सभी बेटियों के सपनों की उड़ान है जो समाज की सीमाओं को लांघकर ऊंचाइयों को छूना चाहती हैं।

उन्होंने यह साबित कर दिया कि –

"अगर इरादे बुलंद हों, तो बर्फ की दीवारें भी रास्ता नहीं रोक सकतीं।"


पूरा देश गर्वित
इस ऐतिहासिक सफलता के बाद पूरे मध्यप्रदेश, विशेषकर मैहर और अमरपाटन क्षेत्र में खुशी की लहर है। स्थानीय लोग अंजना की इस उपलब्धि को "नारी शक्ति की नई परिभाषा" मान रहे हैं।


माउंट एल्ब्रुस के बारे में संक्षेप में:

  • स्थान: कॉकस पर्वतमाला, रूस

  • ऊंचाई: 5,642 मीटर (18,510 फीट)

  • यूरोप की सबसे ऊंची चोटी

  • विश्व की 7 सबसे ऊंची चोटियों में से एक


अंजना की ये जीत सिर्फ एक पदक नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को दिया गया एक संदेश है:

"चाहे बर्फ की परत हो या सोच की दीवार – बेटी अब रुकने वाली नहीं।"


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