अमेठी में बड़ा जमीन घोटाला उजागर: पिता का नाम बदलकर 5 बीघा जमीन हड़पने की साज़िश, पीड़ित ने लगाई एसपी से न्याय की गुहार
आर.वी.9 न्यूज़ | प्रेम कुमार शुक्ल, अमेठी, उत्तर प्रदेश
अमेठी जनपद में जमीन हड़पने का एक बेहद गंभीर और चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें राजस्व विभाग के एक अधिकारी पर संगीन आरोप लगे हैं। भेंटुआ ब्लॉक के ग्राम सभा निवासी रामकरण ने नायब तहसीलदार प्रशांत सिंह पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि अधिकारियों ने मिलीभगत कर उनके पिता रामलाल का नाम दस्तावेज़ों से हटाकर राम अभिलाष दर्ज कर दिया, ताकि करीब पांच बीघा जमीन पर कब्जा कराया जा सके।
सभी दस्तावेज़ों में दर्ज है पिता का नाम रामलाल, फिर भी बदल दिया गया इंद्राज
पीड़ित रामकरण का कहना है कि उनके पिता का नाम आधार कार्ड, पैन कार्ड, बैंक पासबुक, जाति प्रमाणपत्र, आय प्रमाणपत्र, वसीयतनामा और खतौनी—सभी दस्तावेजों में रामलाल ही दर्ज है। बावजूद इसके, राजस्व विभाग की मिलीभगत और दबंगई के कारण “इंद्राज खारिज” कर दिया गया और उनकी भूमि पर विपक्षियों का नाम डाल दिया गया। रामकरण ने बताया कि ग्राम प्रधान, पूर्व ग्राम प्रधान, जिला पंचायत सदस्य तथा ग्रामीणों ने भी अपने बयान में यह स्पष्ट कर दिया है कि वह रामकरण पुत्र रामलाल ही हैं। इसके बावजूद विभागीय अधिकारियों ने उनकी बात अनसुनी कर दी।
पीड़ित की जमीन पर जबरन रोपाई भी की, विरोध करने पर धमकी
रामकरण का आरोप है कि विपक्षियों ने उनकी जमीन में जबरन रोपाई कर दी और गेहूं की फसल काटने का भी काम किया। जब उन्होंने इसका विरोध किया, तो उन्हें गाली-गलौज और जान से मारने की धमकी दी गई — “तुम्हें जो करना हो करो।” पीड़ित ने 112 नंबर डायल कर पुलिस बुलवाई, तब जाकर उनकी पत्नी को विपक्षियों की मारपीट से बचाया जा सका। घटना के बाद शांतिभंग में कार्रवाई तो हुई, लेकिन जमीन विवाद जस का तस बना हुआ है।
नायब तहसीलदार पर खुलेआम तानाशाही का आरोप
रामकरण का कहना है कि नायब तहसीलदार प्रशांत सिंह ने उनकी कोई भी बात सुनने से इनकार कर दिया, जबकि वे सभी मूल प्रमाणपत्रों के साथ कई बार गुहार लगा चुके हैं। पीड़ित का कहना है—
“तहसीलदार ने एक बार भी मेरे दस्तावेज़ नहीं देखे, यह पूरी तरह विभागीय तानाशाही है।”
समझौते का भी नहीं हुआ पालन, मामला जिलाधिकारी के यहां लंबित
दिनांक 8 नवंबर 2025 को दोनों पक्षों के बीच राजस्व अधिकारियों की मौजूदगी में एक समझौता हुआ था, जिसमें तय किया गया था कि विवादित भूमि पर आधी-आधी खेती दोनों पक्ष करेंगे। लेकिन समझौते के बावजूद विपक्षी अपना दावा छोड़ने को तैयार नहीं हैं। मामला वर्तमान में अमेठी जिलाधिकारी कार्यालय में लंबित है। वहां यह शर्त रखी गई है कि मुकदमे में जिसकी कानूनी ‘डिग्री’ (अंतिम आदेश) आएगी, जमीन उसी की मानी जाएगी।
पीड़ित ने जताई अनहोनी की आशंका, एसपी से लगाई न्याय की गुहार
अपनी जमीन और परिवार को लेकर परेशान रामकरण ने कहा है कि वह दिहाड़ी मजदूरी कर अपनी कार्रवाई के लिए तहसील और जिला मुख्यालय के चक्कर लगा रहे हैं। उन्होंने यह भी आशंका जताई कि विपक्षियों की दबंगई से उनके साथ कोई अनहोनी हो सकती है। उन्होंने अमेठी के पुलिस अधीक्षक से न्याय की गुहार लगाई है और मांग की है कि—
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जमीन की जांच निष्पक्ष रूप से की जाए
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गलत तरीके से किए गए नाम परिवर्तन को निरस्त किया जाए
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नायब तहसीलदार प्रशांत सिंह की भूमिका की निष्पक्ष जांच की जाए
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विपक्षियों की धमकी व अतिक्रमण पर सख्त कार्रवाई की जाए
अब प्रशासन पर निगाहें — कार्रवाई होगी या मामला ठंडे बस्ते में जाएगा?
अमेठी में चर्चित होते इस जमीन विवाद ने राजस्व विभाग की कार्यप्रणाली को कटघरे में खड़ा कर दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि प्रशासन ने जल्द कार्रवाई न की, तो इससे दबंगई को और बढ़ावा मिलेगा। अब यह देखना होगा कि प्रशासन पीड़ित को न्याय दिलाता है, या यह मामला अन्य कई मामलों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा। फिलहाल, पीड़ित परिवार भगवान भरोसे अपनी टूटी हुई जिंदगी को संभालने की कोशिश कर रहा है।






