शेफाली वर्मा की चमक से झिलमिलाया घर: जीत से पहले ही शुरू हो गया जश्न, पिता बोले — बेटी ने निभाया वादा, अब गर्व से सिर ऊंचा हो गया
रोहतक (हरियाणा)।
भारतीय महिला क्रिकेट टीम की ऐतिहासिक जीत के साथ ही रोहतक की बेटी शेफाली वर्मा ने देशभर के दिलों को जीत लिया। जैसे-जैसे टीम इंडिया फाइनल की ओर कदम बढ़ाती गई, वैसे-वैसे शेफाली के घर में जश्न का माहौल परवान चढ़ता गया। घर के आंगन में ढोल की थाप गूंजने लगी, रिश्तेदारों का तांता लग गया, और आतिशबाज़ी से आसमान रंगीन हो उठा। करीब रात 11:40 बजे, जब साउथ अफ्रीका की टीम 221 रन पर आठ विकेट खो चुकी थी, तभी परिवार ने जीत का जश्न शुरू कर दिया था — बेटी का बल्ला बोल चुका था, बाकी बस औपचारिकता थी!
पिता की सीख बनी सफलता की कुंजी
शेफाली की इस शानदार पारी के पीछे उनके पिता संजीव वर्मा की सलाह का अहम योगदान रहा। सेमीफाइनल में कम स्कोर के बाद जब शेफाली थोड़ी निराश थीं, तब पिता ने कहा था —
“धैर्य रखो बेटी, विकेट पर टिके रहना… रन अपने आप आएंगे।”
शेफाली ने पिता की इस सीख को मैदान पर उतारा और धैर्य व दृढ़ता से खेलते हुए टीम को ऐतिहासिक जीत दिला दी। भले ही वह शतक से थोड़ी चूक गईं, लेकिन पिता संजीव वर्मा के लिए यह पल गर्व से भरा था। वे बोले —
“शतक तो नहीं हुआ, पर उसने देश का दिल जीत लिया… मेरे लिए वही सबसे बड़ा इनाम है।”
मनसा देवी मंदिर में मांगी थी जीत की मन्नत
फाइनल मैच से पहले संजीव वर्मा ने राजस्थान के मनसा देवी मंदिर में जाकर बेटी और भारतीय टीम की जीत के लिए विशेष पूजा-अर्चना की थी। उनके साथ परिवार के सदस्य — चाचा मुकेश, भाई अमन और अंकित भी रविवार सुबह मंदिर पहुंचे थे।
“भगवान ने मौका दिया है, अब पूरी कोशिश करूंगी…”
शेफाली के भारतीय टीम में चयन की जानकारी जब आई, तो उसने सबसे पहले फोन अपनी मां परवीन बाला को किया। परवीन ने मुस्कुराते हुए बताया —
“उसने फोन पर कहा — बोलो, एक खुशखबरी है। मैंने कहा — टीम में सिलेक्शन हो गया क्या? तो उसने हंसते हुए कहा — हां मां, भगवान ने मौका दिया है, अब मैं इसे साबित कर दिखाऊंगी।”
आज शेफाली ने न सिर्फ अपनी मां से किया वादा निभाया, बल्कि पूरे देश को गर्व से भर दिया।
शेफाली की यह पारी सिर्फ क्रिकेट नहीं, बल्कि हर बेटी के लिए प्रेरणा है — कि विश्वास, मेहनत और परिवार के आशीर्वाद से हर सपने को साकार किया जा सकता है।






