गगहा दुर्गा मंदिर में 57 वर्षों से जीवंत है रामनवमी दंगल, अंतरराष्ट्रीय पहलवानों की भागीदारी से होगा भव्य प्रदर्शन

- रिपोर्टर: नरसिंह यादव, गोरखपुर
धरोहर का दंगल : 56 वर्षों से जीवित परंपरा, रामनवमी पर फिर गूंजेगी अखाड़े की हुंकार
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रामनवमी पर गूंजेगा दंगल – 56 वर्षों से जीवित है पूर्वजों की यह परंपरा
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धरोहर का दंगल : स्व. राम बचन सिंह की परंपरा को जीवित रखे हैं जयवीर-बबलू
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खेल और संस्कृति का संगम : महानवमी पर होगा ऐतिहासिक दंगल
बड़हलगंज (गोरखपुर)।
स्थानीय संस्कृति और परंपरा की अनमोल धरोहर, पीढ़ियों से चलती आ रही वह ऐतिहासिक दंगल प्रतियोगिता, जो सन 1969 में स्व. राम बचन सिंह द्वारा शुरू की गई थी, इस बार भी पूरे जोश और उत्साह के साथ आयोजित होने जा रही है। यह आयोजन अब सिर्फ एक खेल प्रतियोगिता नहीं रहा, बल्कि क्षेत्र की सांस्कृतिक पहचान बन चुका है।
1 अक्टूबर, महानवमी के पावन पर्व पर दोपहर 12 बजे से यह भव्य आयोजन आरंभ होगा। अखाड़े में पहलवानों की गूंजती हुंकार और दर्शकों की जयकार एक बार फिर उस परंपरा को जीवंत करेंगी, जिसे आज भी संरक्षक जयवीर सिंह और आयोजक रणवीर सिंह उर्फ बबलू अपने परिवार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ा रहे हैं।
धरोहर को जीवित रखने की कड़ी मेहनत
सन 1969 में जिस छोटे से बीज को स्व. राम बचन सिंह ने बोया था, वह आज वटवृक्ष का रूप ले चुका है।
जयवीर सिंह और रणवीर सिंह (बबलू) ने इसे केवल खेल आयोजन तक सीमित नहीं रखा, बल्कि इसे स्थानीय संस्कृति और सामूहिक उत्सव का प्रतीक बना दिया। तैयारियों को लेकर इस बार भी परिवार और ग्रामवासी पूरी तरह सक्रिय हैं। हर ओर चहल-पहल है, लोग अखाड़े के दिन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
कुश्ती ही नहीं, संस्कृति का भी पर्व
यह दंगल प्रतियोगिता जहां युवाओं को अपनी प्रतिभा दिखाने का सुनहरा मंच प्रदान करती है, वहीं दूसरी ओर स्थानीय संस्कृति को संरक्षित और पीढ़ियों तक पहुंचाने का माध्यम भी है। इसमें पूरे गांव और क्षेत्र के लोग तन-मन-धन से सहयोग करते हैं।
इसी दिन पास के मां दुर्गा मंदिर पर रामनवमी का विशाल मेला भी लगता है, जिसमें श्रद्धालु आस्था की डोर से जुड़ते हैं। आयोजक रणवीर सिंह (बबलू) स्वयं प्रतिदिन मां दुर्गा की पूजा कर अपने कार्यों का शुभारंभ करते हैं, जिससे आयोजन को आध्यात्मिक ऊर्जा भी प्राप्त होती है।
स्थानीय जनता से अपील
आयोजकों ने क्षेत्रीय जनता और दर्शकों से अपील की है कि वे अधिक से अधिक संख्या में इस आयोजन में उपस्थित होकर अपने पूर्वजों की इस धरोहर को और मजबूत बनाएं।
रामनवमी का यह दंगल केवल मिट्टी के अखाड़े में लड़े जाने वाली कुश्ती का नाम नहीं है, बल्कि यह उस जीवंत विरासत की मिसाल है जिसे एक परिवार ने पांच दशक से भी अधिक समय से अपने श्रम, विश्वास और जुनून से जीवित रखा है।
यह आयोजन हर बार यह संदेश देता है कि जब परंपरा, संस्कृति और खेल एक साथ जुड़ते हैं, तो समाज की एकता और उत्सव का रूप निखर उठता है।