सफाई कर्मी के नाम पर खेल: जब अनुपस्थित कर्मी बनी चर्चा का विषय और जागरूकता अभियान हुआ सवालों के घेरे में!
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सफाई कर्मी की अनुपस्थिति और नोडल अधिकारी की 'लीपापोती' से उठे सवाल, क्या अभियान की सफलता इसी तरह होगी तय?
उत्तर प्रदेश में 1 अक्टूबर से 21 अक्टूबर 2024 तक चले विशेष संचारी रोग नियंत्रण एवं दस्तक अभियान का उद्देश्य था प्रदेश को स्वच्छ और स्वस्थ बनाना। इस अभियान के तहत झाड़ियों की कटाई, नालियों की सफाई, जल-जमाव का निस्तारण, फॉगिंग, एंटी-लार्वा का छिड़काव, और तालाबों की सफाई जैसे कार्यों के लिए सफाई कर्मियों की टीम बनाई गई थी। नोडल अधिकारी के रूप में सहायक विकास अधिकारी (पंचायत) को नियुक्त किया गया, जो ग्राम सचिव के मार्गदर्शन में काम कर रहे थे।
लेकिन, इस जागरूकता अभियान की सफलता पर सवाल तब खड़े हुए, जब घोसी विकास खंड के माछिल जमीन माछिल गांव में सफाई कर्मियों की एक टीम में अनुपस्थित कर्मी का मामला सामने आया।
मामला: एक सफाई कर्मी की गैर-मौजूदगी ने बिगाड़ा खेल
8 अक्टूबर को माछिल जमीन माछिल में सफाई टीम नंबर 12 अपने कार्य में जुटी हुई थी। 11 कर्मियों की इस टीम में 10 कर्मी नियमित रूप से उपस्थित थे। लेकिन, सफाई कर्मी पुष्पा यादव की गैरमौजूदगी ने सबका ध्यान खींचा। आर.वी.9 न्यूज़ की टीम जब सफाई कार्य का कवरेज करने पहुंची, तो कर्मियों ने बताया कि पुष्पा यादव कभी ड्यूटी पर नहीं आतीं। यहां तक कि उनकी मौजूदगी का किसी कर्मी को कोई प्रमाण नहीं था।
गांव प्रधान ने भी पुष्पा की गैरमौजूदगी की पुष्टि की। ग्रामीणों का कहना है कि पुष्पा यादव मुबारकपुर असना में कार्यरत है, जो बगल के गांव की निवासी हैं, और कभी-कभार किसी अन्य व्यक्ति के जरिए काम करवाती हैं। यह गांव मात्र 12 घरों और तीन छोटी नालियों तक सीमित है।
नोडल अधिकारी का रवैया: लीपापोती की कहानी
जब मामले की जानकारी नोडल अधिकारी राजेश तिवारी को दी गई, तो उन्होंने केवल शो-कॉज नोटिस जारी करने की बात कहकर मामले को टालने की कोशिश की। 12 नवंबर को जब मीडिया कर्मी घोसी ब्लॉक कार्यालय पहुंचे, तो सफाई कर्मियों को बुलाया गया, जो बेहद डरे-सहमे नजर आ रहे थे।
मीडिया का सवाल था—पुष्पा यादव को बुलाने के बजाय सफाई कर्मियों को बार-बार क्यों परेशान किया जा रहा है? आखिर नोडल अधिकारी की इस प्रक्रिया का उद्देश्य क्या था?
क्या है पुष्पा यादव की कहानी?
22 नवंबर को मीडिया टीम ने पुष्पा यादव के कार्यक्षेत्र का दौरा किया। ग्रामीणों ने खुलासा किया कि पुष्पा कभी सफाई के लिए नहीं आतीं। महीने में किसी अन्य के जरिए काम करवाकर औपचारिकता पूरी की जाती है। इस पर जब नोडल अधिकारी से सवाल किए गए, तो उनका कहना था कि पुष्पा ने किसी सहायक को रखा होगा।
मीडिया को ऐसा जवाब मिला, जिसने अधिकारियों की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए।
सफाई कर्मी के नाम पर साजिश या अनदेखी?
सूत्रों के मुताबिक, पुष्पा यादव के पति सहायक अध्यापक हैं। इससे यह संभावना भी जताई जा रही है कि सफाई कार्य करने की जिम्मेदारी को वे गंभीरता से नहीं लेना चाहते।
इस पूरे मामले ने शासन-प्रशासन के उन दावों को कटघरे में खड़ा कर दिया है, जिनमें साफ-सुथरी व्यवस्था के लिए बड़े अभियान चलाने की बात कही जाती है।
क्या अधिकारी इस मुद्दे पर गंभीरता से कार्रवाई करेंगे, या यह मामला भी लीपापोती की भेंट चढ़ जाएगा?
यह मामला केवल माछिल जमीन माछिल तक सीमित नहीं, बल्कि यह पूरे प्रदेश में शासन-प्रशासन की कार्यशैली का आईना है।________________________________________
यह मामला प्रशासनिक उदासीनता और भ्रष्टाचार की छोटी लेकिन गंभीर झलक है। जब तक ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई नहीं होगी, सरकारी अभियानों का उद्देश्य अधूरा ही रहेगा।
"आखिर कब तक हम 'दस्तक' देंगे, लेकिन सुनवाई नहीं होगी?"