जैसलमेर में दिल दहला देने वाली बस त्रासदी: एक ही परिवार के 5 सदस्य और पत्रकार राजेन्द्र सिंह की दर्दनाक मौत
— दीपावली की खुशियाँ मातम में बदलीं, जलती बस में परिवार के साथ सपने भी राख हुए
जैसलमेर।
राजस्थान के रेतीले जैसलमेर में दीपावली से पहले एक दिल दहला देने वाली त्रासदी ने पूरे प्रदेश को शोक में डुबो दिया है। एक निजी बस में लगी भीषण आग में एक ही परिवार के पाँच सदस्यों समेत स्थानीय पत्रकार राजेन्द्र सिंह की दर्दनाक मौत हो गई। जलती बस से उठती लपटों ने न सिर्फ यात्रियों की चीखें निगल लीं, बल्कि कई परिवारों के सपने भी राख कर दिए।
यह दर्दनाक हादसा पोकरण रोड पर हुआ, जब बस जैसलमेर से रवाना होकर सेतरावा के लवारन गांव की ओर जा रही थी। बस में सवार महेंद्र मेघवाल अपने परिवार के साथ दीपावली मनाने गांव लौट रहे थे। लेकिन कौन जानता था कि यह सफर उनकी ज़िंदगी का आख़िरी सफर साबित होगा।
महेंद्र मेघवाल जैसलमेर में सेना के गोला-बारूद डिपो में कार्यरत थे और परिवार के साथ इंद्रा कॉलोनी में किराये के मकान में रहते थे। हादसे में महेंद्र, उनकी पत्नी और तीन मासूम बच्चे—all जलकर राख हो गए। इस घटना ने पूरे क्षेत्र में मातम और दहशत का माहौल बना दिया है।
इसी बस में सवार स्थानीय पत्रकार राजेन्द्र सिंह भी पोकरण जा रहे थे, जहाँ उन्हें एक उद्घाटन समारोह में शामिल होना था। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था—वे भी इस हादसे में ज़िंदा जल गए। पत्रकार जगत ने उन्हें एक ईमानदार, निडर और समाजसेवी पत्रकार के रूप में याद किया है।
कैसे लगी आग?
प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, बस के इंजन हिस्से से अचानक धुआँ उठने लगा और कुछ ही क्षणों में पूरी बस आग की लपटों में घिर गई। कई यात्रियों ने खिड़कियों से कूदकर अपनी जान बचाई, लेकिन कई लोग अंदर ही फँस गए। राहत दल और दमकल की गाड़ियाँ मौके पर पहुँचीं, लेकिन तब तक आग विकराल रूप ले चुकी थी।
गाँव में पसरा मातम
सेतरावा और आस-पास के गाँवों में ग़म का माहौल है। महेंद्र के घर में दीपावली की तैयारियाँ चल रही थीं, लेकिन अब वहाँ सिर्फ़ सन्नाटा और आँसू हैं। रिश्तेदारों का रो-रोकर बुरा हाल है। लोग कह रहे हैं —
“जिस घर में दीये जलने थे, वहाँ अब सिर्फ़ राख बची है…”
श्रद्धांजलि
राजस्थान के मुख्यमंत्री समेत कई जनप्रतिनिधियों ने इस हादसे पर गहरा शोक जताया है और मृतकों के परिजनों को सांत्वना दी है। जिला प्रशासन ने जांच के आदेश दे दिए हैं, वहीं घायल यात्रियों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
यह हादसा एक बार फिर सोचने पर मजबूर करता है कि हमारे सफर कितने असुरक्षित हैं — और त्योहारों की खुशियों के बीच एक चिंगारी कैसे पूरी ज़िंदगी उजाड़ सकती है।
“महेंद्र मेघवाल और राजेन्द्र सिंह… आपकी यादें और आपकी कहानियाँ सदा रहेंगी,
क्योंकि कुछ लोग जाते नहीं — अमर हो जाते हैं।” ????






