सोने-सी चमकी खुशियों की आभा: धनतेरस 2025 पर देशभर में उमड़ा शुभता का सैलाब

– विशेष संवाददाता रिपोर्ट
कार्तिक मास की कृष्ण त्रयोदशी, जब दीपों की लौ में समृद्धि का उजास झिलमिलाता है, वही दिन कहलाता है धनतेरस — यानी धन और आरोग्य की आराधना का पर्व। इस वर्ष 2025 में धनतेरस का पावन त्योहार पूरे देश में 18 अक्टूबर, शनिवार को हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है।
सुबह से ही बाजारों में सोने-चांदी की खनक, दीपों की रौनक, और आस्था की गूंज से वातावरण स्वर्णिम हो उठा है। मान्यता है कि इस दिन भगवान धन्वंतरि, जो आयुर्वेद के जनक हैं, और माँ लक्ष्मी का पूजन करने से घर-परिवार में धन, स्वास्थ्य और सौभाग्य का वास होता है।
विस्तार: उत्सव का उल्लास, बाजारों की रौनक और आस्था की झिलमिलाहट
सुबह से ही शहरों और कस्बों के मुख्य बाजारों में खरीदारों की भीड़ उमड़ पड़ी। हर दुकान के बाहर सजी रंग-बिरंगी झालरों, दीयों की कतारों और लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियों ने मानो एक आध्यात्मिक मेले का रूप ले लिया हो।
जगह-जगह पर सजाए गए सोने-चांदी के आभूषण, तांबे-पीतल के बर्तन, और नई गाड़ियों की खरीदारी ने इस धनतेरस को और भी विशेष बना दिया है।
वहीं ऑनलाइन प्लेटफॉर्मों पर भी धनतेरस सेल का जलवा बरकरार है। इलेक्ट्रॉनिक आइटम, मोबाइल, ज्वेलरी और गृह सज्जा के सामान पर भारी छूट के चलते डिजिटल बाजार भी गुलजार है।
धार्मिक दृष्टि से, आज का दिन भगवान धन्वंतरि की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। मंदिरों में पूजा-अर्चना के साथ “ॐ धनं धन्यं पयः पूर्णं यशः कीर्तिं च मेऽवहि” की ध्वनि गूंज रही है।
लोग घरों में संध्या के समय दीपदान कर रहे हैं, ताकि अंधकार पर प्रकाश की विजय का संदेश दूर-दूर तक फैल सके।
???? निष्कर्ष: आस्था का दीप, समृद्धि की कामना और एक नई शुरुआत
धनतेरस सिर्फ सोना-चांदी खरीदने का दिन नहीं, बल्कि यह विश्वास और उजास का पर्व है। यह वह क्षण है जब हर घर के द्वार पर दीपक जलाकर लोग अपने जीवन में नई ऊर्जा, नई उम्मीद और नई चमक आमंत्रित करते हैं।
महिलाएं माँ लक्ष्मी की आराधना करती हैं, बच्चे दीये सजाते हैं, और बुजुर्ग घर के आँगन में कहते हैं—
“जहाँ दीप जले, वहाँ भाग्य फले।”
इस बार का धनतेरस ऐसे समय में आया है जब देश विकास, उत्साह और एकता की रोशनी से जगमगा रहा है।
हर हृदय में एक ही भावना है —
“दीपों की यह रौशनी, हर द्वार पर सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य की सुनहरी किरणें बिखेरे।”
विशेष संदेश:
धनतेरस 2025 पर अपने घरों में एक दीप जलाइए— न केवल लक्ष्मी के स्वागत में, बल्कि अपने भीतर की आशा, प्रेम और मानवता के लिए भी।
क्योंकि असली धन वही है — जो दूसरों के चेहरे पर मुस्कान बनकर लौटे।